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    नंबरों में भी 'जुड़वां', बस कंडक्टर की जुड़वां बेटियों का कमाल; 10वीं में हासिल किए समान अंक

    Updated: Fri, 30 May 2025 09:30 PM (IST)

    राजस्थान बोर्ड दसवीं के परिणाम में नागौर की जुड़वा बहनें कनिष्का और कार्तिका चौधरी ने एक अनूठा रिकॉर्ड बनाया है। दोनों ने 97.17% अंक प्राप्त किए हैं जो कि एक अद्भुत संयोग है। इनके पिता राजस्थान रोडवेज में कंडक्टर हैं। कनिष्का इंजीनियर और कार्तिका डॉक्टर बनना चाहती हैं। वहीं अलवर के जतिन कुमार ने 95.33% अंक प्राप्त किए हैं जिन्होंने गरीबी में रहकर सफलता हासिल की है।

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    बस कडंक्टर की जुड़वा बेटियों ने परीक्षा में भी हासिल किए समान नंबर।

    जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड दसवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में प्रदेश के नागौर जिले की दो जुड़वा बहनों ने रोचक रिकार्ड बनाया है। अंक तालिका में दोनों बहनों के एक समान नंबर आए हैं। इसे मात्र यह संयोग ही कहा जाएगा कि जुड़वा बहनों ने बोर्ड परीक्षा में समान रूप से 97.17 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं।

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    इनके नाम कनिष्का और कार्तिका चौधरी हैं। इनके पिता शिवनारायण चौधरी राजस्थान रोडवेज में कंडक्टर हैं। मां सुमन गृहिणी है। दोनों बहनों ने गांव की एक निजी स्कूल में पढ़ाई की।

    जुड़वा बहनों ने क्या कहा? 

    दोनों ने कहा कि हमने मेहनत की थी। ऐसे में अच्छे नंबर से पास होने की उम्मीद तो थी, लेकिन यह संयोग रहा कि हम दोनों को समान रूप से 97.17 प्रतिशत अंक मिले हैं।

    दोनों जुड़वा बहनों को आए समान अंक

    कनिष्का के हिंदी में 96, अंग्रेजी में 98, विज्ञान में 97, सामाजिक विज्ञान में 98, गणित और संस्कृत में 97-97 नंबर आए हैं। वहीं, कार्तिका के हिंदी व गणित में 96-96, अंग्रेजी और संस्कृत में 99-99, विज्ञान में 95 व सामाजिक विज्ञान में 98 नंबर आए हैं।

    दोनों बहनें एक ही स्कूल में पढ़ने के साथ एक ही कमरे में रहती है। दोनों एक दूसरे की हर काम में मदद करती है। कनिष्का ने इंजीनियर बनना चाहती है। वहीं कार्तिका का सपना चिकित्सक बनने का है।

    कभी भरपेट भोजन नहीं मिला

    अलवर के रहने वाले जतिन कुमार ने दसवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में 95.33 प्रतिशत नंबर हासिल किए हैं। जतिन ने कहा कि हमने गरीबी इतनी देखी कि कभी पेट भर भोजन नहीं किया। पिता शराब पीने के आदी होने के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है।

    अमित की मां ने कहा कि गरीबी के कारण मैंने बेटे को कभी दस रुपये की चॉकलेट नहीं खिलाई। पिता अलग रहते हैं। जतिन मां के साथ झोंपड़ी में रहकर पढ़ाई करता है। मां मजदूरी करती है। जतिन की मां मंजू ने कहा कि मजदूरी में इतना पैसा नहीं मिलता कि मैं बेटे को भर पेट भोजन करवा सकूं।