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    विद्या सबंल योजना स्थगित करने से युवाओं के अरमानों पर फिरा पानी, बेरोजगारों के साथ फिर से विश्वासघात : देवनानी

    By Jagran NewsEdited By: Vijay Kumar
    Updated: Mon, 14 Nov 2022 06:56 PM (IST)

    सरकार के शासनकाल में अब तक 11 भर्ती परीक्षाएं विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से कराई गई हैं लेकिन कुछ परीक्षाएं पेपर लीक होने और सरकार की अकर्मण्यता के कारण विवादों में उलझ गई हैं। यही कारण है कि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड को दूसरी पारी का पेपर निरस्त करना पड़ा।

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    सत्ता से जुड़े माफियाओं द्वारा पेपर लीक कर बेरोजगारों के सपने और मेहनत पर पानी फेर देते हैं।

    अजमेर, जासं। सरकार भर्ती परीक्षाएं कराने के नाम पर महज बेरोजगारों को ठग रही है। उसकी मंशा बेरोजगारों को नौकरियां देने की नहीं है। यही कारण है कि जो भी परीक्षाएं होती हैं, तो सत्ता से जुड़े माफियाओं द्वारा पेपर लीक कर बेरोजगारों के सपने और मेहनत पर पानी फेर देते हैं। पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने यह आरोप लगाते हुए कहा कि यदि सरकार गंभीर होती और उसका प्रशासन व पुलिस तंत्र मजबूत होता, तो अब वनरक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक नहीं होता। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब विद्या संबल योजना को आगामी आदेश तक के लिए स्थगित कर बेरोजगारों के साथ फिर से विश्वासघात किया है।

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    देवनानी ने सोमवार को मीडिया से बात कर रहे थे।

    अब तक 11 भर्ती परीक्षाएं कराईं

    सरकार के शासनकाल में अब तक 11 भर्ती परीक्षाएं विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से कराई गई हैं, लेकिन कुछ परीक्षाएं पेपर लीक होने और सरकार की अकर्मण्यता के कारण विवादों में उलझ गई हैं। कुछ परीक्षाओं को लेकर अभ्यर्थी कोर्ट में जा चुके हैं। देवनानी ने कहा कि जैसे-तैसे तो फॉर्म भरवाने के दो साल बाद वनपाल और वनरक्षक भर्ती परीक्षाएं हुई हैं, लेकिन 12 नवंबर को दूसरी पारी में हुई परीक्षा का पेपर पहले ही बाहर आ गया। यही कारण है कि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड को दूसरी पारी का पेपर निरस्त करना पड़ा।

    कोई भी परीक्षा निर्विध्न नहीं हुई

    उन्होंने कहा कि इस बोर्ड की अमूमन तौर पर कोई भी परीक्षा निर्विध्न नहीं हुई है। हर परीक्षा में किसी-ना-किसी प्रकार के रोड़े आए हैं। कभी पेपर लीक हुए हैं, तो कभी विवादों में फंसी है। उन्हें तो यह भी समझ में नहीं आता कि आखिर सरकार ने अधीनस्थ बोर्ड से वनपाल और वनरक्षक भर्ती परीक्षा फॉर्म भरवाने के दो साल बाद क्यों कराई। यदि यह परीक्षा फॉर्म भरवाने के कुछ माह बाद ही करा ली जाती, तो अब तक सैकड़ों लोगों को नौकरियां मिल चुकी होतीं।

    एजेंसी से निष्पक्ष जांच की मांग

    देवनानी ने कहा कि जिस तरह परीक्षाओं के पेपर लीक होते हैं, उससे यह आशंका बल खाली है कि पेपर लीक करने वाले माफियाओं का सरकार को संरक्षण हैं। पुलिस अब तक कई लोगों को पकड़ चुकी है। इससे पहले भी कई परीक्षाओं के पेपर लीक हुए, लेकिन सरकार ने उनसे बिल्कुल भी सबक नहीं सीखा। इसी का नतीजा है कि अब फिर परीक्षा का पेपर लीक हो गया, जिससे पिछले दो साल से नौकरी की आस में पूरी मेहनत के साथ तैयारी कर लाखों अभ्यर्थियों के अरमानों और मेहनत पर पानी फिर गया है। उन्होंने सरकार से इस पूरे मामले की किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराने की मांग की है।

    आवेदकों के साथ विश्वासधात

    देवनानी ने कहा कि इसी प्रकार सरकार ने विद्या संबल योजना के तहत हजारों शैक्षिक-प्रशैक्षिक योग्यताधारियों को गैस्ट फैकल्टी के रूप में स्कूलों में रोजगार देने की घोषणा कर उन्हें गुमराह किया। सरकार ने हर सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों को गैस्ट फैकल्टी से लगाने के लिए आवेदन मांगे, लेकिन सोमवार को शिक्षा निदेशालय ने इसे आगामी आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया है। जबकि हजारों बी.एड. और एम.एड. योग्यताधारी बेरोजगार सरकारी स्कूलों में गैस्ट फैकल्टी शिक्षक बनने के लिए आवेदन कर चुके हैं।

    कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी

    देवनानी ने कहा, एक ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुजरात में कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी करते हुए कहते हैं कि गुजरात में यदि कांग्रेस की सरकार बनी, तो पांच साल में दस लाख नौकरियां दी जाएंगी। उनका यह बयान ही बहुत ज्यादा हास्यास्पद है। सवाल यह है कि जो मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल में अब तक राजस्थान में महज एक लाख 20 हजार युवाओं को ही नौकरियां दे सके हैं, वे गुजरात में कैसे दस लाख युवाओं को नौकरियां दिलाएंगे। उन्होंने कहा कि गहलोत को पहले अपने राज्य में लाखों युवाओं को सरकारी नौकरियां देने का प्लान बनाना चाहिए, उसके बाद गुजरात की बात करनी चाहिए।