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Rajasthan Political Crisis: राजस्थान कांग्रेस में सियासी उबाल, पायलट को मात देने में जुटे गहलोत

गहलोत अपने समर्थकों को अधिक से अधिक संख्या में कांग्रेस संगठन में भी पद दिलवाना चाहते हैं। गहलोत की इस चाल को समझते हुए पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस आलाकमान को अपना पुराना वादा याद दिलाया जिसमें उन्हे और गहलोत समर्थकों को बराबर का हिस्सा दिया जाएगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 01:11 PM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 05:23 PM (IST)
Rajasthan Political Crisis: राजस्थान कांग्रेस में सियासी उबाल, पायलट को मात देने में जुटे गहलोत
राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर आंतरिक सियासत तेज।

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर आंतरिक सियासत तेज हो गई है। करीब दो सप्ताह बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार दो साल का कार्यकाल पूरा कर रही है। इसी बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्रिमंडल विस्तार व राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर अपने विश्वस्तों के साथ कसरत शुरू कर दी है।

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गहलोत अपने समर्थकों को अधिक से अधिक संख्या में कांग्रेस संगठन में भी पद दिलवाना चाहते हैं। गहलोत की इस चाल को समझते हुए पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस आलाकमान को अपना पुराना वादा याद दिलाया, जिसमें उन्हे और गहलोत समर्थकों को बराबर का हिस्सा दिया जाएगा। मंत्रिमंडल व राजनीतिक नियुक्तियों में दोनों के बीच समान रूप से बंटवारा होगा।

पायलट ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल व अजय माकन तक इस बारे में अपनी बात पहुंचाई तो गहलोत सक्रिय हो गए। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि गहलोत नहीं चाहते हैं कि पायलट का प्रदेश की राजनीति में दखल हो। गहलोत ना तो पायलट को फिर से उप मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और ना ही उनके समर्थकों को सत्ता व संगठन में पद देना चाहते हैं। इस नेता का कहना है कि एक दिन पहले राज्य सरकार गिराने के भाजपा के प्रयासों को लेकर दिया गया बयान भी गहलोत की रणनीति का हिस्सा है। गहलोत ने कांग्रेस आलाकमान तक अप्रत्यक्ष रूप से यह संदेश पहुंचाया कि बागी विधायकों व भाजपा नेताओं के बीच अभी भी कहीं ना कहीं संपर्क है। उन्होंने अपने बयान में नाम लिए बिना पायलट पर हमला बोला था ।

सूत्रों के अनुसार गहलोत आलाकमान तक यह संदेश पहुंचाने में जुटे हैं कि उनकी पसंद के अनुसार फैसले होने पर ही सरकार सुरक्षित रह सकती है। इस बाबत गहलोत समर्थक जयपुर से दिल्ली तक सक्रिय हो गए हैं। गहलोत समर्थक नेता पार्टी के केंद्रीय नेताओं तक गहलोत को ही एकमात्र प्रदेश का सर्वमान्य नेता बताने में जुटे हैं। उधर कांग्रेस में इस बात को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं कि पांच माह पूर्व पायलट और उनके समर्थकों की बगावत थमने के बाद हुए समझौते को दरकिनार करते हुए गहलेात ने आधा दर्जन नियुक्तियां कर दी। इनमें राजस्थान लोकसेवा आयोग व सूचना आयोग शामिल है। पायलट समर्थक इन दोनों संस्थाओं में हुई नियुक्तियों के मामले में अपनी नाराजगी दिल्ली तक पहुंचाई है। 


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