Rajasthan: चर्चा में गुर्जर समाज के देवता भगवान देवनारायण की जन्मस्थली, प्रसाद में मिलती रोटी; PM करेंगे दौरा
पीएम मोदी 28 जनवरी को भीलवाड़ा के मालासेरी गांव जा रहे हैं। मालासेरी गुर्जर समाज के प्रमुख लोक देवता भगवान देवनारायण की जन्मस्थली है। मोदी के दौरे को लेकर भाजपा नेता और गुर्जर समाज के लोग कई दिनों से तैयारी कर रहे हैं।

सुभाष शर्मा, उदयपुर। भीलवाड़ा जिले का मालासेरी गांव इन दिनों चर्चा में है। इसकी वजह है आगामी 28 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित यात्रा। मालासेरी की गुर्जर समाज के तीर्थ स्थल के रूप में पहचान तो पहले से ही है, लेकिन अब ये देशभर में चर्चा का विषय बन गया है।
भाजपा नेता कर रहे तैयारी
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया समेत पार्टी के वरिष्ठ नेता मालासेरी पहुंचकर पीएम मोदी की प्रस्तावित यात्रा को लेकर तैयारी में जुटे हैं। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी यहां की यात्रा कर ना केवल प्रदेश के गुर्जर समाज को, बल्कि देश भर के गुर्जर समाज को पार्टी से जोड़ना चाहते हैं।
लोकदेवता देवनारायण की जन्मस्थली
मालासेरी गुर्जर समाज के प्रमुख लोक देवता भगवान देवनारायण की जन्मस्थली है। भगवान देवनारायण का जन्म बगड़ावत कुल के नागवंशीय गुर्जर परिवार में हुआ था। उनकी जन्म तिथि को एक राय नहीं है। हालांकि, कथाओं के अनुसार संवत 1097 में माघ महीने की शुक्ल सप्तमी को ज्यादातर लोग उनकी जन्म तिथि मानते हैं। यहां देश भर से गुर्जर समाज के लोग अपने आराध्य की पूजा—अर्चना के लिए पहुंचते हैं। यूं तो यहां साल भर कार्यक्रम चलते हैं, लेकिन माघ महीने में बड़ा उत्सव भी मनाया जाता है।
भगवान विष्णु का अवतार माने जाते हैं
देव भक्त लोकदेवता देवनारायण भगवान को विष्णुजी का अवतार मानते हैं। कहा जाता है कि कई सालों तक माता साडू ने मालासेरी की डूंगरी में अखंड तपस्या की, जिसके कारण भगवान विष्णु देवनारायण के रूप में मालासेरी डूंगरी के पत्थरों को चीर कर कमल के फूल पर अवतरित हुए।
अवतार वाली जगह पर कमल की तरह पत्थर का आकार
जिस जगह भगवान देवनारायण का अवतार हुआ, उस जगह आज भी पत्थर का आकार कमल के फूल की तरह है। इसी डूंगरी पर भगवान देवनारायण के प्रिय नाग देवता का भी अवतार हुआ था, जहां पर आज भी तीन सुरंग बनी हुई हैं। कहा जाता है कि यह कई किलोमीटर तक लंबी हैं।
पोसवाल गोत्र के पुजारी करते हैं पूजा
गुर्जर समाज के पोसवाल गोत्र के पुजारी ही मंदिर में पूजा करते आ रहे हैं। मुख्य पुजारी हेमराज पोसवाल बताते है कि भगवान देवनारायण छुआछूत एवं अंधविश्वास के खिलाफ ही नहीं थे, बल्कि पर्यावरण प्रेमी एवं आयुर्वेदिक के ज्ञाता थे। यहां राज्य सरकार की ओर से भगवान देवनारायण पेनोरमा की स्थापना के लिए भवन का निर्माण कराया गया है।
60 सीटों पर गुर्जर समाज का दबदबा
प्रदेश की 60 सीटों पर गुर्जर समाज का दबदबा है। 10 सीटों पर हार-जीत का फैसला भी यही समाज करता आ रहा है, जबकि बाकी 50 सीटों पर 20 हजार से अधिक मतदाता इसी समाज के है। ऐसे में प्रधानमंत्री की इस यात्रा के जरिए भाजपा गुर्जर समाज को अपने से जोड़ने की योजना में जुटा है।
प्रसाद में मिलती है रोटी
यहां किसी मिठाई से नहीं, बल्कि भगवान का भोग गेहूं की खास प्रकार से बनाई जाने वाली रोटी से लगता है। एक रोटी लगभग 2 फीट चौड़ी गोलाकार, आधा इंच मोटी तथा चार किलो वजन की होती है। परम्परागत चूल्हे पर बनी रोटी कढ़ी के साथ मिलती है, जिसे पाकर भक्त भी आनंदित हो उठते हैं। यहां भगवान देवनारायण को भोग के बाद सुबह 9 बजे से लेकर रात 9 बजे तक हजारों की संख्या में देव भक्त प्रसाद पाते हैं।
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