Kumbhalgarh Fort: अब कुंभलगढ़ दुर्ग रात में दिखेगा बहुरंगी, सुनने को मिलेगी शौर्य गाथा; रंगबिरंगी लाइटों से चमकेगा दुर्ग
Kumbhalgarh Fort कुंभलगढ़ दुर्ग को देखने के लिए आने वाले पर्यटकों को अब मेवाड़ के महाराणा की ना केवल शौर्य गाथा सुनने को मिलेगी बल्कि रात में दुर्ग की बहुरंगी छटा भी दिखाई देगी। दुर्ग में विभिन्न तरह की रंगीन लाइटें लगाई गई हैं जो कई किलोमीटर दूर से दिखेंगी।
उदयपुर, संवाद सूत्र। Kumbhalgarh Fort: राजस्थान ही नहीं देश के प्रसिद्ध किलों में शुमार कुंभलगढ़ दुर्ग को देखने के लिए आने वाले पर्यटकों को अब मेवाड़ के महाराणा की ना केवल शौर्य गाथा सुनने को मिलेगी, बल्कि रात में दुर्ग की बहुरंगी छटा भी दिखाई देगी। दुर्ग कों विभिन्न तरह की रंगीन लाइटों से दिखाने के लिए तीन सौ से ज्यादा ऐसी लाइटें लगाई गई हैं, जो कई किलोमीटर दूर से दिखेंगी। कुंभलगढ़ दुर्ग में लाइट और साउंड सिस्टम के लिए काम करने वाले प्रोजेक्ट मैनेजर अरुण शर्मा बताते हैं कि इसकी तैयारी दो साल पहले से शुरू कर दी गई थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस काम में अवरोध पैदा हो गया था। अब काम पूरा हो चुका है और यहां आने वाले पर्यटकों को ना केवल मेवाड़ के महाराणा प्रताप और मेवाड़ की शौर्य गाथा लाइट और साउंड के साथ देखने को मिलेंगी।
लाइट और साउंट के साथ होगा महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा का शो
वहीं, पूरे दुर्ग को बहुरंगी रोशनी के साथ देख पाएंगे। इसके लिए किले में 300 से ज्यादा रंग-बिरंगी लाइटें लगाई गई हैं। जिससे पूरा दुर्ग आठ तरह की लाइट में रोशनी से दमकेगा। जून के दूसरे हफ्ते में इसकी शुरुआत दैनिक रूप से हो जाएगी। उन्होंने बताया कि हर दिन शाम सात बजे लाइट और साउंट के साथ मेवाड़ और महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा का शो होगा। जो लगभग 45 मिनट का होगा। इसे देखने वाले पर्यटकों से अलग से फीस देनी होगी। यह शो किले के मुख्य द्वार के पास मौजूद शिव मंदिर के पास होगा। उन्होंने बताया कि जहां दुर्ग आठ रंग की लाइटों से भीगा सा दिखाई देगा, वहीं किले का यज्ञ वेदी चौक, जैन मंदिर के साथ अन्य कई स्थानों पर सोलह तरह की रोशनी के लिए व्यवस्था की गई है।
जानें, कुंभलगढ़ की खासियत
उल्लेखनीय है कि उदयपुर जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर राजसमंद जिले में कुंभलगढ़ मौजूद है। जिसका निर्माण तात्कालिक राणा कुंभा ने 1458 ईस्वी में करवाया था। इसी दुर्ग में महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। यह किला अजेय रहा। साल 2013 में यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया था। इसकी दीवार विश्व की दूसरी सबसे लंगी दीवार है, जो लगभग 36 किलोमीटर लंबी है। जिसमें 365 छोटे-बड़े मंदिर हैं, जो हिंदू और जैन संप्रदाय के हैं। मानसून के दौरान कुंभलगढ़ दुर्ग बादलों से घिर जाता है और इसे देखने देश-विदेश के पर्यटक यहां आते हैं।