क्या जयपुर के संस्थापक को भूल गया गुलाबी नगर, सूनी ही रही जयसिंह द्वितीय की जयंती
स्टेच्यू सर्किल पर जयपुर के संस्थापक सवाई जय सिंह द्वितीय की मूर्ति लगी है। पर यहां आने वाले लोग इस बात से नावाकिफ ही हैं। खास कर कि देसी विदेशी सैलानी। 18 नवंबर को जयपुर का जन्मदिन है। इंतजार है क्या उस दिन कुछ खास होगा या नहीं !

अमित शर्मा, जयपुर। वैसे तो जयपुर का जन्मदिन 18 नवंबर को आता है, लेकिन आज भी इसकी चर्चा की जानी जरूरी है। खबर लिखने से ठीक एक दिन पहले यानी कि 3 नवंबर को सवाई जयसिंह द्वितीय की जयंती थी। वही सवाई जयसिंह जिन्हें जयपुर का संस्थापक कहा जाता है। जिन्होंने जयपुर को बसाया।
आमेर के राजा जयसिंह द्वितीय का जन्म 3 नवंबर 1681 को हुआ और मृत्यु 21 सितंबर 1743 में। पुराने जयपुर जिसे परकोटा भी कहा जाता है, को सुनियोजित ढंग से बसाने के लिए जयसिंह द्वितीय की तारीफ की जाती रही है। उन्हें खगोल संबंधी रुचि भी थी और जानकारियां भी। इसी कारण उन्होंने बनारस, दिल्ली, उज्जैन, मथुरा और जयपुर में वेधशालाओं का निर्माण भी कराया।
18 नवंबर को है जयपुर दिवस
जयसिंह द्वितीय की जयंती पर जयपुर में कोई बड़ा कार्यक्रम या आयोजन न होना कई शहर प्रेमियों को अखरता नजर आया। संभवत इसके पीछे 18 नवंबर को जयपुर दिवस पर होने वाले संभावित आयोजन कारण हो सकते हैं। हालांकि एक वक्त में जयपुर दिवस पर भी शहर में नगर निगम और राजस्थान सरकार की ओर से भव्य आयोजन हुआ करते थे, जिनमें समय के साथ कमी ही आई।
शहरवासियों की टीस
सोशल एक्टिविस्ट और पत्रकार मोहन मंगलम ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में एक टीस जाहिर की। उनका इशारा जयपुर के स्टेच्यू सर्किल की ओर था। उन्होंने लिखा कि जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह की जयंती पर विडम्बना है कि लोग जानते ही नहीं कि स्टेच्यू सर्किल पर उनकी प्रतिमा है। उनका निशाना सर्किल के नाम को लेकर रहा। उनका सुझाव है कि इस सर्किल का नाम उसी पर हो जिसकी प्रतिमा लगी है और जिसने जयपुर को बसाया।
बहरहाल जयपुर के संस्थापक की जयंती पर हमने पूर्व राजपरिवार की सदस्य और मौजूदा राजसमंद सांसद दिया कुमारी के सोशल मीडिया अकाउंट भी खंगाले। वहां भी तीन नवंबर की सुबह एक फेसबुक पोस्ट नजर आई, जिसमें सवाई जय सिंह द्वितीय की जयंती पर कोटि कोटि नमन का संदेश मिला।
अब जयपुर वासियों को 18 नवंबर का इंतजार है। देखना है कि सरकार, पूर्व राजपरिवार, निगम या शहरप्रेमी जयपुर के जन्मदिन को याद रखते हैं, या फिर जयपुर के संस्थापक की जयंती की ही तरह वो भी सोशल मीडिया पोस्ट में ही सिमट कर रह जाएगा।
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