राष्ट्रीय पर्यटन सम्मेलनः भारत के ग्लोबल टूरिज्म विजन में राजस्थान की भूमिका होगी निर्णायक
राष्ट्रीय पर्यटन सम्मेलन में भारत के ग्लोबल टूरिज्म विजन में राजस्थान की निर्णायक भूमिका पर चर्चा हुई। राजस्थान की संस्कृति और विरासत इसे खास बनाती है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार कई योजनाएं चला रही है, जिससे रोजगार बढ़ रहे हैं। यह सम्मेलन पर्यटन उद्योग के विकास और नए अवसर खोजने का एक मंच है।

उदयपुर से शुरू हुआ भारत के पर्यटन पुनर्जागरण का नया अध्याय
डिजिटल टीम, उदयपुर/जयपुर। भारत के पर्यटन नक्शे पर राजस्थान का नाम पहले से ही स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है, लेकिन इस बार झीलों की नगरी उदयपुर ने पर्यटन की एक और एक नई कहानी लिख दी, एक ऐसी कहानी, जो भारत को विश्व के शीर्ष दस पर्यटन देशों में शामिल करने के संकल्प से जुड़ी है।
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की पहल पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय पर्यटन सम्मेलन में पहले दिन जब देशभर के पर्यटन मंत्री “वन स्टेट–वन ग्लोबल ट्यूरिज्म डेस्टिनेशन” थीम पर चर्चा के लिए एक मंच पर जुटे, तो यह महज़ औपचारिक बैठक नहीं थी यह भारत के पर्यटन नए सिरे से उत्थान की घोषणा थी। भारत में घरेलू पर्यटकों का विदेशों की ओर बढ़ता रुझान एक चुनौती भी है लेकिन अब यह सोच बदल रही है कि ‘पहले अपना देश देखो, फिर विदेश जाओ।’ राजस्थान इस सोच का नेतृत्व कर सकता है, क्योंकि यहां यात्राओं के मायने सिर्फ़ “देखने” से नहीं, बल्कि “जीने” से जुड़ते हैं। राजस्थान पर्यटन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के शब्दों में, राजस्थान सिर्फ़ एक डेस्टिनेशन नहीं, बल्कि एक भावना है।”
उदयपुर सम्मेलन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत के ग्लोबल टूरिज्म विज़न में राजस्थान की भूमिका निर्णायक होगी। यहां परंपरा है, नीति है, और वह जीवंत संस्कृति भी जो पर्यटन को केवल अर्थव्यवस्था नहीं, एक संवेदना बनाती है। राजस्थान आने वाले वर्षों में सिर्फ़ “इंक्रेडिबल” नहीं, बल्कि “सस्टेनेबल एंड रिस्पॉन्सिबल राजस्थान” के रूप में पहचाना जाएगा। जहां हर पर्यटक केवल फोटो नहीं, बल्कि एक कहानी लेकर लौटेगा — उस धरती की कहानी, जो इतिहास भी है और भविष्य भी।
राजस्थान: जहां इतिहास और भविष्य साथ-साथ चलते हैं
सम्मेलन में राजस्थान की उपमुख्यमंत्री एवं पर्यटन मंत्री दिया कुमारी ने जब कहा कि हमारे हर किले-महल की अपनी कहानी है, और राजस्थान पर्यटन की दृष्टि से पूरी दुनिया का आइकोनिक डेस्टिनेशन है, तो वह केवल भावनात्मक बयान नहीं था यह उस रणनीतिक दिशा का परिचय था, जो राजस्थान पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है। राजस्थान सरकार ने बीते वर्षों में पर्यटन क्षेत्र को केवल विरासत-केन्द्रित दृष्टि से नहीं, बल्कि रोजगार, निवेश और सस्टेनेबल डेवलपमेंट से जोड़ने की कोशिश की है। राजस्थान टूरिज्म यूनिट पॉलिसी के ज़रिए निवेशकों को सिंगल विंडो सिस्टम, भूमि आवंटन और प्रोत्साहन योजनाओं जैसी सुविधाएं देकर पर्यटन को उद्योग के रूप में पुनर्परिभाषित किया जा रहा है।
प्रमुख शासन सचिन पर्यटन राजेश यादव व पर्यटन आयुक्त रुक्मणि रियाड़ द्वारा प्रस्तुत प्रजेंटेशन ने इस दिशा में ठोस दृष्टि दी की शौर्य, संस्कृति और आध्यात्म की त्रिवेणी के रूप में उदयपुर, जैसलमेर और पुष्कर को ग्लोबल डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की यीजना है।
उदयपुर से गूंजी ‘ग्लोबल डेस्टिनेशन इंडिया’ की पुकार
राजस्थान की झीलों, पहाड़ियों और विरासत के बीच यह सम्मेलन अपने आप में एक प्रतीक है कि भारत अब केवल पर्यटक आकर्षण नहीं, बल्कि ग्लोबल ट्यूरिज्म पावर बनने की दिशा में आगे बढ़ चुका है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत में पर्यटन की सभी संभावनाएं हैं, बस ज़रूरत है उन्हें तलाशने और तराशने की। अब समय आ गया है कि भारत वैश्विक पर्यटन सूचकांक में टॉप-10 देशों में शामिल हो और जीडीपी में पर्यटन का योगदान 10 प्रतिशत तक पहुंचे।
यह बयान सिर्फ़ एक आकांक्षा नहीं, बल्कि उस बदले हुए आत्मविश्वास का प्रतीक है जिसमें भारत अब अपने सांस्कृतिक और प्राकृतिक वैभव को वैश्विक मानचित्र पर एक संगठित विज़न के तहत प्रस्तुत करना चाहता है।
एक नई प्रतिस्पर्धा : लेकिन विकास के लिए
गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक महत्वपूर्ण बात कही— कि अब राज्यों के बीच “स्वस्थ प्रतिस्पर्धा” शुरू हो चुकी है। यह प्रतिस्पर्धा न तो किसी पुरस्कार की है, न आंकड़ों की, बल्कि उस राष्ट्रीय दृष्टिकोण की है जिसमें हर राज्य अपनी विशिष्टता को विश्व के सामने प्रस्तुत करना चाहता है।
भारत में 2024 में 2 करोड़ विदेशी पर्यटक आए, जबकि घरेलू पर्यटन का आंकड़ा कई गुना बढ़ा। राजस्थान के लिए यह अवसर है कि वह इन यात्राओं का केंद्र बने, क्योंकि यहां हर किलोमीटर पर एक अनुभव बदल जाता है भाषा, परिधान, भोजन और संगीत सब कुछ नया। राजस्थान में 23 करोड़ घरेलू और 20 लाख विदेशी पर्यटक वर्ष 2024 में पहुंचे। यह संख्या सिर्फ़ पर्यटकों की नहीं, बल्कि विश्वास की भी है। उदयपुर की हवाओं में इस सम्मेलन के बाद एक नया आत्मविश्वास महसूस किया जा सकता है। पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना 2.0 के तहत राजस्थान में खाटूश्यामजी, केशोराय पाटन, करणी माता मंदिर और मालासेरी डूंगरी जैसे स्थलों का विकास इस बात का प्रमाण है कि धार्मिक, सांस्कृतिक और अनुभव आधारित पर्यटन एक साथ चल सकते हैं।
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