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    राजस्थान में "मियों का बाड़ा" गांव का नाम बदलकर हुआ "महेश नगर"

    राजस्‍थान के बाड़मेर के एक गांव मियों का बाड़ा के नाम को राजस्थान सरकार द्वारा महेश नगर का नाम बदल दिया।

    By Preeti jhaEdited By: Updated: Thu, 09 Aug 2018 06:11 PM (IST)
    राजस्थान में "मियों का बाड़ा" गांव का नाम बदलकर हुआ "महेश नगर"

    जागरण संवाददाता, जयपुर। उत्तर प्रदेश के मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन किए जाने के तत्काल बाद राजस्थान के एक गांव का नाम भी बदल गया है। पाक सीमा से सटे बाड़मेर जिले के "मियों का बाड़ा" गांव का नाम अब बदलकर "महेश नगर" हो गया है। गांव का नाम को बदलने की मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वसुंधरा राजे सरकार की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। यहां के स्टेशन पर लगे बोर्ड से मियों का बाड़ा साफ कर महेश नगर लिख दिया गया है।

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    प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग ने सभी सरकारी विभागों को एक परिपत्र जारी कर कहा है कि अब इस गांव से संबंधित कामकाज महेश नगर के नाम से होगे। गांव के स्कूल, पटवार घर और सरकारी अस्पताल से भी पुराना नाम हटाकर नया नाम लिख दिया गया है।

    जानकारी के अनुसार, आजादी से पहले इस गांव का नाम "महेश रो बाड़ो" था, जो बाद में मियां का बाड़ा कहलाया जाने लगा। अब मियों का बाड़ा का नया नाम महेश नगर कर दिया गया है। नाम बदलने की जानकारी जिला कलेक्टर और सिवाना तहसील के एसडीएम ने दी है।

    सेना, आईबी और बीएसएफ की रिपोर्ट के बाद बदला गया नाम
    गृह मंत्रालय को राजस्थान सरकार ने इसी साल जनवरी माह में प्रस्ताव भेजा था, जिसे गृह मंत्रालय ने हाल ही में मंजूरी दे दी है। हालांकि, नाम बदलने के इस कदम पर बाड़मेर के सिवाना के विधायक हमीर सिंह का कहना है कि मियों का बाड़ा का नाम बदलने की मांग काफी पुरानी थी । उन्होंने कहा, 'इस गांव में भगवान शिव का मंदिर के होने की वजह से इसका नाम महेश नगर रखा गया है। इसके पहले इसका यही नाम था, लेकिन वक्त के साथ लोगों की बोली में बदलाव और पलायन के चलते इसे मियों का बाड़ा बुलाया जाने लगा। उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय ने आईबी, भू-सर्वेक्षण विभाग और डाक विभाग द्वारा भेजी गई रिपोर्टों का अध्ययन किया। इन रिपोर्टों में नाम बदलने को लेकर कोई आपत्ति नहीं थी, इसलिए मंजूरी दी गई है। पाक सीमा के निकट होने के कारण सेना,बीएसएफ और आईबी की रिपोर्ट मत्वपूर्ण मानी गई ।


    250 घर, 2000 की जनसंख्या
    सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 250 घरों के इस गांव में करीब 2000 लोग रहते हैं,इनमें से मात्र 4 परिवार अल्पसंख्यक समुदाय के है । ग्रामीणों का कहना है कि देश में चाहे कहीं भी तनाव हो,लेकिन इस गांव में कभी तनाव के हालात नहीं बने,सब आपस में मिलजुलकर रहते है ।