Rajasthan: जयपुर में अनाथ आश्रम में आठ बच्चों के साथ कुकर्म, शराब पार्टी भी हुई
Rajasthan जयपुर में स्थित एक अनाथ आश्रम में रहने वाले आठ से 10 वर्ष के आठ बच्चों के यौन शोषण का मामला सामने आया है। आश्रम में 19 बच्चे रहते हैं जिनमें से आठ बच्चों के साथ कुकर्म करने के साथ ही यौन शोषण किया गया।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित एक अनाथ आश्रम में रहने वाले आठ से 10 वर्ष के आठ बच्चों के यौन शोषण का मामला सामने आया है। आश्रम में 19 बच्चे रहते हैं, जिनमें से आठ बच्चों के साथ कुकर्म करने के साथ ही यौन शोषण किया गया। यह मामला शहर के श्री हिंदू अनाथ आश्रम का है। यहां होने वाले बच्चों के यौन शोषण का मामला बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों के पास बुधवार शाम को पहुंचा। बृहस्पतिवार को पुलिस हरकत में आई है। बच्चों से पूछताछ में सामने आया कि यहां रहने वाले 17 से 19 साल तक तीन किशोर आठ से 10 साल वर्ष की उम्र के बच्चों का यौन शोषण कर रहे थे। बच्चों का यौन शोषण दो माह से हो रहा था। बाल कल्याण समिति की काउंसलर शांति बेरवाल ने इस संबंध में कोतवाली पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया है।
पुलिस थाना अधिकारी ओमप्रकाश का कहना है कि आश्रम के संचालक और संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। बच्चों को दूसरे आश्रम में भेजा गया है। बेरवाल ने बताया कि बच्चों की काउंसलिंग की तो उनकी पीड़ा सुनी। बच्चों ने बताया कि तीन किशोरों ने उनके साथ कुकर्म किया। बच्चों के विरोध करने पर उन्हें डराया-धमकाया जाता था। शोषण करने वालों में से ही किसी ने इस घटनाक्रम का अपने मोबाइल से वीडियो बनाया। यह वीडियो उससे कैसे वायरल हो गया, इसकी जांच की जा रही है। धनतेरस की रात को आश्रम में शराब पार्टी और नृत्य का कार्यक्रम बाहर से आने वाले युवको ने किया था। इसका भी वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में बच्चे के साथ जबरदस्ती करते हुए एक किशोर को दिखाया गया है।
बाल अधिकारिता आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने बताया कि आश्रम में सुरक्षाकर्मी नहीं था । इस कारण बाहर से कोई भी जब चाहे आश्रम में पहुंच जाता था। आयोग की टीम को शराब की खाली बोतल भी आश्रम में मिली है। बच्चों का यौन शोषण करने वालों में से एक किशोर पहले इसी आश्रम में रहता था, शेष दो अन्य उसके दोस्त हैं। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि आश्रम का एक कर्मचारी भी इन तीनों किशोरों का सहयोग करता था। उसके सहयोग से ही यह आश्रम के अंदर तक पहुंचते थे। आश्रम में वही बच्चे रहते हैं जिनके माता-पिता नहीं है। विभिन्न माध्यमों से यह बच्चे आश्रम में पहुंचते हैं।
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