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लोकसभा चुनाव 2019: जातिगत समीकरणों के फेर में फंसा राजस्थान

राजस्थान की कुल 25 सीटों में से 13 पर मतदान चौथे चरण में संपन्न हो चुका है जबकि शेष 12 पर मतदान छह मई को होना है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 11:17 AM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 11:17 AM (IST)
लोकसभा चुनाव 2019: जातिगत समीकरणों के फेर में फंसा राजस्थान
लोकसभा चुनाव 2019: जातिगत समीकरणों के फेर में फंसा राजस्थान

बीकानेर, नरेन्द्र शर्म/मनीष गोधा। मौसेरे भाइयों के बीच है दिलचस्प मुकाबला बीकानेर के चुनावी मुकाबले में भाजपा के प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल और कांग्रेस के मदनगोपाल मेघवाल मौसेरे भाई हैं। मदनगोपाल पहली बार चुनाव मैदान में हैं और अनुभव की कमी उनके कैंपेन में भी नजर आ रही है। उनके सारथी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट बने हुए हैं।

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वहीं, अर्जुनराम को मोदी लहर का साथ है। बीकानेर राजस्थान के उत्तर पश्चिमी इलाके का बड़ा शहर है। इसे हजार हवेलियों का शहर कहा जाता है। पुराने शहर में बने ज्यादातर मकान हवेलियों की तरह बनाए गए हैं। गलियां बेहद संकरी हैं, लेकिन इन्हीं संकरी गलियों से निकली बीकानेरी भुजिया की सौंधी महक और रसगुल्ले की मिठास पूरी दुनिया में बीकानेर का डंका बजवा रही है।

लोगों का दिन कामकाज में गुजरता है और शामें हर मोहल्ले में लगे पाटों (लकड़ी के तख्त) पर होने वाली चर्चाओं में, जिनमें  आजकल छाई है चुनावी चर्चाएं। वर्ष 1998 में कांग्रेस के बड़े जाट नेता बलराम जाखड़ यहां से सांसद बने तो 2004 में फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र को भी यहां के लोगों ने सांसद बनाया। 2009 के परिसीमन यह सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हो गई और तब से अर्जुनराम मेघवाल ही यहां से जीत रहे हैं।

हम सांसद से नाराज हैं...

शहर का सियासी हाल जानने के लिए जैसे ही हम बीकानेर चंदन चौधरी सर्किल पर बस से उतरे तो एक ऑटो चालक कैलााशदान से मुलाकात हुई और उन्होंने जो कहा वह हमें बीकानेर शहर, बीकानेर से तीस किलोमीटर दूर देशनोक और उससे आगे नोखा तक में सुनाई देता रहा। कैलाशदान का कहना था अर्जुनराम से लोग नाराज हंै, लेकिन आएगा तो मोदी ही...।

यहां से हम देशनोक निकले जहां प्रसिद्ध करणीमाता का मंदिर है। इस पूरे मंदिर मे चूहे घूमते रहते है और यदि आप भाग्यशली हैं तो आपको सफेद चूहे भी नजर आ जाएंगे। देशनोक कोलायत विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है जहां बड़े भाजपाई नेता देवीसिंह भार्टी का खासा असर माना जाता है। देवीसिंह भार्टी इस बार अर्जुनराम मेघवाल का खुल कर विरोध कर रहे हैं और इसके चलते भाजपा से इस्तीफा तक दे चुके हैं। लेकिन मोदी के मामले में तो उनका असर भी बेअसर नजर आया। मंदिर के बाहर दुकानदारो से चर्चा की तो ज्यादातर ने कहा कि इस बार भाटी जी के विरोध का भी असर नहीं है। वोट तो मोदी के नाम पर ही पड़ेगा...।

श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ : स्थानीय मुद्दा भी है और राष्ट्रवाद का जोर भी भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान के इस संसदीय क्षेत्र में पंजाब से आने वाला रसायनयुक्तऔर सीवरेज का बदबूदार पानी लोगों के

लिए परेशानी का सबब है। यह मुद्दा कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के लिए गले की हड्डी बना हुआ है। पिछले

तीन दशक से दोनों ही पार्टियां हर चुनाव में पंजाब के फिरोजपुर सहित अन्य क्षेत्रों की फैक्ट्रियों से हैरिक के बैराज में छोड़े जाने वाले सीवरेज को बंद कराने का आश्वासन देती रही हैं, लेकिन अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सका है। यहां के लोगों का कहना है कि जहरीला पानी पीने से क्षेत्र में कैंसर जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।

इधर, सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की ओर से श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में पिछले एक माह में दस ड्रोन आए, जिन्हे भारतीय सेना ने मार गिराया। पाक सीमा पर सेना की बढ़ती गतिविधियों को देखकर यहां के किसानों में राष्ट्रवाद की भावना भी चरम पर ह लेकिन सवाल मोदी का है... करीब 550 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा ने निहालचंद मेघवाल को लगातार सातवीं बार मैदान में उतारा है।

वहीं कांग्रेस ने भरतराम मेघवाल को तीसरी बार टिकट दिया है। रावतसर के रामदेव अग्रवाल, कैलाश विश्नोई और महेश गुप्ता का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या गंदे पानी की है। इस मुद्दे को लेकर दोनों पार्टियों से लोग नाराज हैं, लेकिन सवाल मोदी को पीएम बनाने का है, इसिलए भाजपा को वोट देंगे...। संगरिया में व्यापार मंडल के अध्यक्ष मोहनलाल जैन बोले, हम पाकिस्तान पर हुई एयर स्ट्राइक से संतुष्ट हैं...।

भरतपुर : मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही बसपा उत्तरप्रदेश के आगरा और मथुरा जिलों से सटे राजस्थान के भरतपुर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) कड़ी टक्कर दे रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और बसपा सुप्रीमो मायावती यहां चुनाव सभाओं को संबोधित कर चुके हैं। एससी के लिए आरक्षित इस सीट पर भाजपा ने वर्तमान सांसद बहादुर सिंह कौली का टिकट काटकर नये चेहरे रंजीता कौली को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने भी नये चेहरे अभिजीत कुमार को टिकट दिया है। अभिजीत कुमार पूर्व राजस्व अधिकारी हैं।

बसपा ने यहां से सूरज यादव को प्रत्याशी बनाया है। रंजीता कोली तीन बार सांसद रह चुके गंगाराम की पुत्रवधु हैं। एससी वर्ग में कोली जाति के एकजुट होने के साथ ही भाजपा के परंपरागत सवर्ण वोट बैंक पर उनकी उम्मीद टिकी हुई है।

वहीं जाट बहुल इस क्षेत्र में पूर्व राजपरिवार का दबदबा आज भी कायम है। यहां के पूर्व महाराजा विश्वेंद्र सिंह कांग्रेस सरकार में मंत्री हैं। विश्वेंद्र सिंह की जाट समाज में मजबूत पकड़ का लाभ अभिजीत कुमार को मिल सकता है। यहां मेव समाज से भी कांग्रेस को उम्मीद है। भरतपुर से गहलोत सरकार में तीन मंत्री हैं।

सीकर : जाट कैपिटल में महरिया बनाम सरस्वती राजस्थान का सीकर लोकसभा क्षेत्र प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे

देश की जाट राजनीति का केंद्र रहा है। कारण है कि हरियाणा से आकर चौधरी देवीलाल और पंजाब के बलराम जाखड़ ने सीकर में किस्मत आजमाई। 1989 में सीकर से सांसद बनने के साथ ही चौधरी देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री बने। वहीं बलराम जाखड़ यहां से सांसद रहते हुए लोकसभा अध्यक्ष और देश के कृषि मंत्री रहे। जाट राजनीति में सीकर के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल

बिहारी वाजपेयी ने जाटों को आरक्षण की घोषणा यहीं पर एक सभा में की थी। सीकर के वर्तमान भाजपा सांसद सुमेधानंद सरस्वती भी हरियाणा के रोहतक निवासी हैं।

देवीलाल और जाखड़ देश के दिग्गज जाट नेता थे और सरस्वती भी जाट समाज से आते हैं। ‘ताऊ पूरा तोलेगा, लालकिले से बोलेगा’ का नारा एक समय में यहीं बुलंद हुआ था। इस जिले में भूतपूर्व सैनिक मतदाताओं की तादाद काफी होना भी इसके चर्चित होने का कारण है। इस बार सीकर में भाजपा ने एक बार फिर सुमेधानंद सरस्वती को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने सुभाष महरिया को टिकट दिया है। महरिया भाजपा के टिकट पर तीन बार सांसद और वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ मतभेद के चलते वह करीब छह माह पूर्व कांग्रेस में शामिल हो गए थे। यहां मुख्य मुकाबला सुमेधानंद और महरिया के बीच है, लेकिन माकपा के अमराराम भी सियासी समीकरण बिगाड़ सकते हैं।

जाट बहुल इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल जाट मतदाताओं को अधिक से अधिक संख्या में अपने पक्ष में करने में जुटे हैं। राजपूत, दलित, मुस्लिम, ओबीसी और सवर्ण जातियां यहां निर्णायक भूमिका अदा करेंगी। इन जातियों को अपने पक्ष में करने के लिए दोनों ही दलों ने अपनी-अपनी रणनीति बनाई है। एनडीए में हाल ही में शामिल हुए हनुमान बेनीवाल भी भाजपा का समर्थन कर रहे हैं।

चुनना इनमें से ही एक को है...

दैनिक जागरण की टीम सीकर के चौमूं पहुंची। बस स्टैंड पर ही हमने लोगों से चुनावी हाल जाना। रमाकांत यादव से पूछा कि कौन जीत रहा है? उन्होंने कहा- हम सुमेधानंद को नहीं जानते, हम तो मोदी और राष्ट्रवाद को जानते हैं। हमने तो पांच साल सुमेधानंद का चेहरा तक नहीं देखा, लेकिन मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट देंगे...। सब्जी विक्रेता भोलाराम सैनी का कहना है कि सुमेधानंद का विरोध तो बहुत है, लेकिन मोदी को जिताना है...। श्रीमाधोपुर में भगवान सहाय जाट बोले, दोनों ही प्रत्याशी ठीक नहीं हैं, लेकिन चुनना इनमें से ही एक को है। अंतिम दिन फैसला करेंगे...।

राजस्थान की कुल 25 सीटों में से 13 पर मतदान चौथे चरण में संपन्न हो चुका है, जबकि शेष 12 पर मतदान छह मई को होना है। 

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