Infants Deaths: राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत पर हाई कोर्ट सख्त, मांगी रिपोर्ट
Rajasthan High Court. राजस्थान हाई कोर्ट ने कोटा सहित प्रदेश के सभी जिलों में नवजात बच्चों की मौत के कारणों की रिपोर्ट तलब की है।
जोधपुर, जेएनएन। Infants Deaths. राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में नवजातों की मौतों पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने कोटा सहित प्रदेश के सभी जिलों में नवजात बच्चों की मौत के कारणों की रिपोर्ट तलब की है। साथ ही, न्याय मित्र राजवेन्द्र सारवस्वत व अतिरिक्त महाअधिवक्ता पंकज शर्मा को निर्देश दिया कि वे राज्य के किन्ही दो जिला अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर वहां के हालात के बारे में विस्तृत रिपोर्ट पेश करे। मामले की अगली सुनवाई दस फरवरी होगी।
कोटा सहित प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालों में नवजातों की मौत के मामले में राज्य सरकार को निर्देश देते हुए सरकारी अस्पतालों में स्वीकृत रिक्त पदों की भी जानकारी मांगी है। वर्ष 2017 में बांसवाड़ा जिले सरकारी अस्पतल में एक माह में बच्चों की मौत होने के मामले में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट प्रसंज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई करते हुए मामले में मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति व न्यायाधीश पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मंगलवार को प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बच्चों की बढ़ती मौत के मामले की सुनवाई की।
न्यायमित्र राजवेन्द्र सारस्वत ने खंडपीठ के समक्ष जनता का पक्ष रखा। खंडपीठ ने बच्चों की बढ़ती मौतों पर चिंता जताई। खंडपीठ ने कहा कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में डॉक्टरों व अन्य कर्मचारियों के पद रिक्त हैं। इस पर चिंता व्यक्त करते हुए खंडपीठ कहा कि पर्याप्त कर्मचारियों के बगैर मरीजों का इलाज कैसे संभव हो पाएगा? इसके बाद उन्होंने राज्य सरकार से प्रदेश सभी सरकारी अस्पतालों में सभी तरह के कर्मचारियों के कुल स्वीकृत व रिक्त पदों की सूची पेश करने का आदेश दिया। इसके अलावा खंडपीठ ने बच्चों की मौत के मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी सरकारी अस्पतालों के संपूर्ण रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत करने का आदेश दिया।
उल्लेखनीय है कि सिर्फ दिसंबर जोधपुर में 146 बच्चों की अस्पताल में मौत हो चुकी है। इनमें से 102 नवजात हैं। वहीं, कोटा में एक माह भीतर सौ अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। मामले में 10 फरवरी को अगली सुनवाई होगी।
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