जगदीप धनखड़ परिवार के रुतबे की गवाह है राजस्थान के झुंझुनूं की विशाल हवेली, यहां बीता था उनका बचपन
राजस्थान के झुंझुनूं जिले का किठाना गांव इन दिनों चर्चा में है। गांव में पहुंचते ही वह विशाल हवेली ध्यान आकर्षित करती है जहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का बचपन बीता था।

झुंझुनूं, महेश कुमार वैद्य। लगभग आठ हजार की आबादी वाला राजस्थान के झुंझुनूं जिले का किठाना गांव इन दिनों चर्चा में है। हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले की सीमा से महज तीस-पैंतीस किलोमीटर दूर इस गांव के जगदीप धनखड़ को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। गांव में पहुंचते ही वह विशाल हवेली ध्यान आकर्षित करती है, जहां धनखड़ का बचपन बीता था। मजबूती से खड़ी यह हवेली धनखड़ परिवार के रुतबे की गवाह है।
परिवार के हर सदस्य के लिए यह लम्हा बड़ी खुशी का है। इस हवेली व गांव में उनके नए घर में दो दिन से रौनक छाई है। रविवार को भी गांव में जश्न का माहौल है। स्वजन हर आने वाले का मीठा मुंह करा रहे हैं।
ताऊ के पास रही है गांव की चौधर
जगदीप धनखड़ के पिता किसान गोकुलचंद की गांव में बहुत प्रतिष्ठा है। जगदीप के चचेरे भाई विजयपाल ने कहा कि बड़ी पंचायत की राजनीति में तो जगदीप ने ही कदम रखे थे, मगर इससे पहले गांव की चौधर (सरपंच) उनके पिता हरिबख्श धनखड़ के पास भी रही है। पिता हरिबख्स व चाचा गोकुलचंद और रामनिवास का खेती-किसानी से जुड़ाव रहा था।
पुश्तैनी हवेली के अलावा अब परिवार के लोगों ने नए घर भी बनाए हैं, मगर हवेली की अपनी शान है। जगदीप की प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई, लेकिन छठी कक्षा से उनकी पढ़ाई चितौड़गढ़ के सैनिक स्कूल व जयपुर में हुई। कानून की डिग्री लेकर पहले राजस्थान उच्च न्यायालय व बाद में सर्वोच्च न्यायालय में नाम कमाया। समाज के लिए लड़ाई लड़ी। सांसद, मंत्री व विधायक और राज्यपाल बनने पर इतनी खुशी नहीं हुई थी, जितनी उपराष्ट्रपति की उम्मीदवारी से हुई है।
शेखावत के बाद शेखावाटी के लाल
भैंरोसिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद यह माना जा रहा है कि राजस्थान को दूसरी बार शेखावाटी की जाटलैंड से उपराष्ट्रपति की कुर्सी मिलेगी। ग्रामीणों का मानना है कि धनखड़ जिस तरह वह बंगाल में संविधान के रक्षक बने, उसी तरह राज्यसभा में भी नियम-कानूनों को महत्व मिलेगा। हमारे धनखड़ रबर स्टैंप नहीं रहेंगे।
गांव से हमेशा जुड़े रहे धनखड़
जगदीप के चचेरे भाई विजयपाल ने कहा कि भाई जगदीप धनखड़ ने गांव की माटी से कभी नाता नहीं तोड़ा। उनकी शादी गांव झारोदा राजस्थान में हुई थी। यह महेंद्रगढ़ के कस्बा सतनाली के पास है। बाद में उनके बड़े साले महेंद्रगढ़ के सतनाली में, मंझले गुरुग्राम में व सबसे छोटे जयपुर में बस गए। भाईसाहब को चौ. देवीलाल के संघर्षमय जीवन से बहुत प्रेरणा मिली है।
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