Story of Asaram Bapu: आसाराम पर अपनी किताब में IPS ने किया खुलासा, कभी रोता तो कभी दीवार पर मारता था सिर
Story of Asaram Bapu राजस्थान कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी अजय पाल लांबा ने आसाराम बापू की जेल के सलाखों की पीछे पहुंचने की कहानी पर एक किताब लिखी है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। कभी लाखों लोगों के लिए चमत्कारी भगवान माने जाने वाला आसाराम बापू जेल की सलाखों के पीछे कैसे पहुंचा, इसको लेकर राजस्थान कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी अजय पाल लांबा ने किताब लिखी है। किताब के को-ऑथर संजीव माथुर हैं। लाखों लोगों के दिलों पर राज करने वाले आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज करने से लेकर उसको जेल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लांबा ने अपनी किताब में लिखा कि गिरफ्तारी के बाद कैसे आसाराम जमीन पर बैठकर रोने लगा। 5 सितंबर को प्रकाशित होने वाली इस किताब में उन्होंने लिखा, पूछताछ के दौरान फूट-फूट कर रो रहे आसाराम ने पुलिस अफसरों से लेकर कांस्टेबल तक के पैर पकड़े, कभी धमकी देने लगा तो कभी दीवार पर सिर मारने लगा और कभी गाना गाने लगा।
बनायी गयी "टफ-20" टीम
जोधपुर में पुलिस उपायुक्त रहते हुए लांबा ने 20 अफसरों व पुलिसकर्मियों की टीम के साथ किस तरह का जाल बिछाकर आसाराम को गिरफ्तार किया, यह इस किताब में उन्होंने लिखी है । पुलिस की इस टीम को "टफ-20" नाम दिया गया था। वर्तमान में जयपुर में अतिरिक्त आयुक्त पद पर तैनात लांबा ने बताया, आसाराम को सजा हुई तो तब इस पर किताब लिखने का विचार मन में आया। डयूटी के बाद जब भी समय मिलता तो प्रतिदिन केस के बारे में लिखना शुरु किया। किताब लिखने का मुख्य मकसद इस तरह के कथित संतों की वजह से सभी संतों की बदनामी और भक्तों की गड़बड़ाती आस्था के बारे में सभी वर्गों को सचेत करना है । उन्होंने कहा, मैंने किताब लिखने का फैसला इसलिए किया क्योंकि मैं चाहता था कि आसाराम की कहानी बतायी जाए, जिससे लोग जान सके कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। मामला दर्ज होने और जांच शुरु होने से लेकर आसाराम को दोषी साबित करने तक की प्रक्रिया पुलिस और वकालात के पेशे से जुड़े लोगों के साथ ही युवाओं के काम आ सकती है। हार्पर कॉलिंस की तरफ से प्रकाशित होने वाली इस किताब की डिमांड प्रकाशन से पहले ही काफी होने लगी है ।
दबाव, प्रलोभन और धमकियों का विवरण
लांबा ने लिखा, मामला दर्ज होने के बाद से गिरफ्तारी और दोषी साबित करने तक जांच कर रही पुलिस टीम पर काफी दबाव आए। आसाराम के समर्थकों ने हर तरह के दबाव डलवाने के साथ ही धमकियां भी दी। पैसे का लालच भी दिया। गांव में रह रहे लांबा के माता-पिता को धमकी दी गई, लालच दिया गया। उनकी टीम में शामिल राज्य पुलिस सेवा की अधिकारी चंचल मिश्रा को फोन पर धमकियां दी गई, अपशब्द कहे गए, आखिरकार दोनों को अपने मोबाइल बंद करने पड़े। आसाराम ने खुद को बेकसूर साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उसने खुद को नपुंसक साबित करके बचने की कोशिश की। उसका पोटेंसी टेस्ट कराने की बात आई तो उच्च अधिकारियों में विरोधाभास था। आखिरकार उसका टेस्ट हुआ, जिसमें आसाराम के नपुंसक होने का बहाना झूठा निकला। आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले तीन लोगों की हत्या और कईयों पर हमलों के बाद अन्य को सुरक्षित कैसे रखा,यह भी किताब में लिखा है। पीड़िता की तरफ से 58 गवाह थे, उनमें से 6 मुख्य थे ।
किताब में लिखा, कैसे मिली कथित गॉडमैन को सजा
अगस्त,2013 में आसाराम के खिलाफ दिल्ली में आईपीसी की धारा 342,376 व 508 के तहत नाबालिग के यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज हुआ। पीड़िता के पिता की रिपोर्ट थी कि आसाराम ने पीड़िता का जोधपुर स्थित आश्रम में जुलाई के अंतिम सप्ताह में यौन उत्पीड़िन किया था । मामला दिल्ली से जोधपुर ट्रांसफर हो गया। सबूत जुटाने के बाद पुलिस की टीम आसाराम की तलाश में जोधपुर, भोपाल, इंदौर, दिल्ली, छींदवाड़ा सहित कई शहरों में भेजी गई। 31 अगस्त, 2013 को उसे इंदौर हवाई अड्डे से पकड़ा गया। उसे इंदौर आश्रम में ले जाया गया, जहां पूछताछ के दौरान पुलिसकर्मियों के साथ उसके समर्थकों ने हाथापाई की। इस दौरान जोधपुर महिला थाने की एसएचओ मुक्ता पारीक इंदौर आश्रम में ही रह गई, हालांकि बाद में वह सुरक्षित जोधपुर पहुंच गई। आसाराम को जोधपुर लाकर पूछताछ के बाद 1 सितंबर, 2013 को गिरफ्तार किया गया।
ये रही चुनौतियां
1. हजारों समर्थकों से घिरा आसाराम और उसे सजा, महिला पुलिस अफसर आश्रम में फंसी।
2. कानून व्यवस्था कायम रखना और बेकसूर होने का आसाराम का हर दांव फेल करना।
3. गवाहों की जान का खतरा और सबूत जुटाकर उसे सजा दिलाना