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Great Indian Bustard: अब लुप्त नहीं होगा राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण, इस तरह सहेजेगी सरकार

Godawan. सोन चिरैया के नाम से भी प्रसिद्ध गोडावण अब देश में महज 150 ही बचे हैं। ऐसे में सम में नए जन्मे चूजों ने उम्मीद बंधाई है कि राजस्थान का राज्य पक्षी अब लुप्त नहीं होगा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 03:24 PM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 03:24 PM (IST)
Great Indian Bustard: अब लुप्त नहीं होगा राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण, इस तरह सहेजेगी सरकार
Great Indian Bustard: अब लुप्त नहीं होगा राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण, इस तरह सहेजेगी सरकार

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके ग्रेड इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) को लेकर अच्छी खबर सामने आई है। राजस्थान के सीमावर्ती जैसलमेर जिले के सम में स्थापित हैचरी में सहेज कर रखे गए सात में से छह अंडों से चूजे बाहर निकल आए हैं। गोडावण के ये सभी छह चूजे एकदम स्वस्थ हैं। सातवें अंडे से चूजे बाहर निकलने का इंतजार किया जा रहा है।

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सोन चिरैया के नाम से भी प्रसिद्ध गोडावण अब देश में महज 150 ही बचे हैं। ऐसे में सम में नए जन्मे चूजों ने उम्मीद बंधाई है कि राजस्थान का राज्य पक्षी अब लुप्त नहीं होगा। प्रदेश के वनमंत्री सुखराम विश्नोई का कहना है कि गोडवाण को बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है।

डेजर्ट नेशनल पार्क में स्थापित किया सेंटर

राजस्थान के वन विभाग ने कुछ माह पूर्व गोडावण को बचाने के लिए एक योजना तैयार की थी। इसके तहत डेजर्ट नेशनल पार्क से सटे जैसलमेर के सम में एक सेंटर स्थापित किया गया। इस सेंटर में गोडावण के अंडों को सहेजने की योजना थी। इस योजना का कई वन्य जीव विशेषज्ञों ने समर्थन किया तो कई ने विरोध, लेकिन राज्य सरकार अपनी योजना पर कायम रही। विशेषज्ञों को इस सेंटर में विशेष रूप से नियुक्त किया गया। जून में गोडावण के अंडे देने के समय वन विभाग ने डेजर्ट नेशनल पार्क से सात अंडों को अलग-अलग समय एकत्र किया।

इन अंडों को अबूधाबी से मंगाए गए विशेष तरह के एक्यूबेटर में रख कर सहेजा गया। इन अंडों को करीब 25 दिन सहेज कर रखना पड़ता है। काफी बड़े आकार के इन अंडों में से पहला चूजा करीब एक माह पहले निकला। इसके बाद वहां तैनात टीम पूरे उत्साह के साथ बाकी छह अंडों को सहेजने में जुट गई। इन सभी चूजों को विदेश से मंगाया गया विशेष आहार दिया जा रहा है। इसके अलावा क्षेत्र में उपलब्ध इनका प्राकृतिक आहार भी दिया जा रहा है।

सरकार की ये है योजना

इन सभी चूजों को सम के सेंटर में ही रख कर बड़ा किया जाएगा। तीन वर्ष का होने पर गोडावण व्यस्क होता है और प्रजनन के लिए तैयार होता है। तीन वर्ष तक इन्हें यहां रख कर इनसे अंडे लिए जाएंगे। वहीं, अगले वर्ष इसी तर्ज पर गोडावण के अंडे एकत्र कर इनको इसी तर्ज पर सहेजा जाएगा। इनकी संख्या पच्चीस से अधिक होने पर इन्हें डेजर्ट नेशनल पार्क में छोड़ दिया जाएगा। इस परियोजना के लिए राजस्थान के वन विभाग के साथ ही देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय के अलावा इस मामले में विशेषज्ञता रखने वाले अबू धाबी के एक संस्थान का सहयोग लिया जा रहा है।

ऐसा होता है गोडावण

गोडावण को बोलचाल में सोन चिड़िया, हुकना व गुरायिन जैसे नाम से भी बुलाया जाता है। एक मीटर से अधिक ऊंचा यह पक्षी उड़ने वाले सभी में सबसे अधिक वजनी माना जाता है। यह भारत व पाकिस्तान के शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है। पहले यह देश के कई राज्यों में पाया जाता था। लेकिन अब आंध्र प्रदेश में सिर्फ सात व गुजरात में इसकी संख्या महज दो रह गई हैं। दोनों मादा हैं, जबकि राजस्थान में इसकी संख्या 150 से भी कम रह गई है। इसकी घटती संख्या के कारण इसे गंभीर रूप से संकटग्रस्त पक्षी की श्रेणी में रखा गया है। इसका प्रमुख खाना टिड्‌डी है। इसके अलावा यह सांप, छिपकली व बिच्छू आदि को भी खाता है। 

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