Rajasthan: घनश्याम तिवारी की दो साल बाद भाजपा में वापसी
Rajasthan घनश्याम तिवारी ने कहा कि लंबे समय के बाद मुझे इस मंच से बोलने का मौका मिल रहा है। मैं भाजपा की विचारधारा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं। हालांकि उन्होंने एक बार कांग्रेस के साथ मंच साझा किया था लेकिन उन्होंने इसकी सदस्यता स्वीकार नहीं की।

जयपुर, प्रेट्र। Rajasthan: राजस्थान के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी शनिवार को भाजपा में शामिल हो गए। दो साल पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वह यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में भाजपा में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में राज्य पार्टी अध्यक्ष सतीश पूनिया भी उपस्थित थे। तिवारी ने कहा कि लंबे समय के बाद मुझे इस मंच से बोलने का मौका मिल रहा है। उन्होंने कहा कि वह भाजपा की विचारधारा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। हालांकि उन्होंने एक बार कांग्रेस के साथ मंच साझा किया था, लेकिन उन्होंने कभी भी इसकी सदस्यता स्वीकार नहीं की। उन्होंने कहा कि इससे पहले, वह अपने दिल और आत्मा के साथ भाजपा के साथ थे, लेकिन कुछ परिस्थितियों के कारण एक नई पार्टी बनाई।
इससे पहले पूनिया ने कहा कि तिवारी का भाजपा में वापस आना अपवाद नहीं है। उमा भारती, कल्याण सिंह, बाबू लाल मरांडी भी पार्टी में लौट आए थे। पूनिया ने राज्य में हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में अपनी हार को लेकर कांग्रेस पर भी निशाना साधा। कहा कि इसके खिलाफ लोगों के जनादेश के बावजूद सत्ताधारी पार्टी इस बार अपने वोट शेयर में वृद्धि का दावा कर रही है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी सोशल मीडिया के माध्यम से राज्य सरकार चला रहे हैं, जबकि युवाओं को नौकरी मिलने का इंतजार है।
गौरतलब है कि जून, 2018 में भाजपा से इस्तीफा देने से पहले तिवारी तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाले राज्य के किसानों की दुर्दशा और भ्रष्टाचार सहित कई मुद्दों पर निशाना साध रहे थे। तिवारी ने 2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले भारत वाहिनी पार्टी बनाई थी। उन्होंने सांगानेर सीट से चुनाव लड़ा था। वह हार गए थे। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ मतभेद के चलते तिवारी ने विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर भारत वाहिनी नाम से अलग पार्टी बना ली थी। वह जनसंघ के समय से जुड़े हुए थे। तिवारी आरएसएस के स्वयंसेवक भी रहे हैं। छह बार विधायक रहे हैं। वह आपातकाल के दौरान जेल भी गए थे। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा का टिकट नहीं मिलने के कारण सुरेंद्र गोयल ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। लाटा भाजपा के टिकट पर पार्षद और मीणा जिला प्रमुख बने थे, लेकिन पिछले दिनों दोनों ने पार्टी से बगावत कर दी थी। बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डूंगरराम गेदर भी कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
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