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भंवरी मामले में दस साल से जेल में बंद पूर्व विधायक मलखान सिंह को हाईकोर्ट से मिली जमानत

महिपाल मदेरणा मलखानसिंह विश्नोई ओमप्रकाश पुखराज दिनेश सहीराम उमेशाराम व अशोक ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। भंवरी देवी के पति अमरचंद की जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज की। तत्कालीन लूणी विधायक मलखान सिंह की ओर से भी अर्जी लगाई गई जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 17 Aug 2021 08:53 PM (IST)Updated: Tue, 17 Aug 2021 09:03 PM (IST)
भंवरी मामले में दस साल से जेल में बंद पूर्व विधायक मलखान सिंह को हाईकोर्ट से मिली जमानत
बहस पूरी होने के बाद कोर्ट प्रदेश के इस बहुचर्चित मामले में अपना फैसला सुनाएगा।

जासं, जोधपुर । भंवरी मामले में पूर्व विधायक मलखान सिंह विश्नोई की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली । वे दस साल से जेल में है । घटना के समय मलखान सिंह विश्नोई लूणी विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे। भंवरी प्रकरण में एक आरोपी परसराम विश्नोई जो कि मलखान विश्नोई के भाई भी है, को गत 27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत प्रदान की थी कि ट्रायल में विलम्ब होने के कारण किसी व्यक्ति को अनिश्चितकाल के लिए जेल में बंद नहीं रखा जा सकता है। इसके बाद लगातार भंवरी देवी मामले में लंबे अरसे से जेल में बंद अन्य आरोपियों को भी जमानत मिलने की उम्मीदें बंध गई। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को आधार बना महिपाल मदेरणा मलखानसिंह विश्नोई,ओमप्रकाश , पुखराज , दिनेश सहीराम , उमेशाराम व अशोक ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। इस मामले में भंवरी देवी के पति अमरचंद की ओर से भी जमानत याचिका लगाई गई थी लेकिन उसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद भंवरी देवी मामले में तत्कालीन लूणी विधायक मलखान सिंह की ओर से भी अर्जी लगाई गई जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया है।मामले में कुल 17 गिरफ्तारियां हुई । इसके बाद से महिपाल व मलखान अभी तक जेल में ही है । 10 साल बाद मलखान का जेल से बाहर आएंगे।

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ये है मामला

जोधपुर जिले के बिलाड़ा थाने में अमरचंद नामक एक व्यक्ति ने एक सितम्बर 2011 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी पत्नी एएनएम भंवरी देवी लापता है । साथ ही उसने अपनी पत्नी के अपहरण की आशंका जताते हुए राज्य सरकार में तत्कालीन मंत्री महिपाल मदेरणा समेत दो तीन लोगों पर शक जाहिर किया । इसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया मामले की जांच कुछ आगे बढ़ती इस बीच राज्य सरकार ने बढ़ते विरोध को ध्यान में रख मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। प्रकरण की जांच 15 अक्टूबर 2011 को सीबीआई को सौंपी गई । सीबीआई ने 3 दिसंबर 2011 को महिपाल मदेरणा से पूछताछ की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया । बाद में इस मामले में कांग्रेस विधायक मलखान सिंह विश्नोई का भी नाम आया । उन्हें भी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया । सीबीआई का दावा है कि भंवरी देवी का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी गई । बाद में शव को जला कर उसकी राख को राजीव गांधी लिफ्ट नहर बहा दिया गया।

ये कारवाई हुई है अभी तक

सीबीआई ने तीन किस्तों में इस मामले की चार्जशीट कोर्ट में पेश की । पहली चार्जशीट मार्च 2012 पेश की गई । कोर्ट में अब तक इस मामले में 197 गवाह के बयान पूरे हो चुके है । साथ ही सभी के मुल्जिम बयान भी पूरे हो चुके है । सीबीआई ने 17 जुलाई को ही मुल्जिम बयान पूरे कराए है । अब इस मामले में बचाव पक्ष अपने साक्ष्य पेश कर रहा है साक्ष्य पेश करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बहस शुरू होगी । बहस पूरी होने के बाद कोर्ट प्रदेश के इस बहुचर्चित मामले में अपना फैसला सुनाएगा ।

इस आधार पर मिली जमानत

मामले की सुप्रीम कोर्ट में परसराम की जमानत के आवेदन को स्वीकार करते हुए कहा था कि हम मानते है कि यह मामला बेहद गंभीर व जघन्य अपराध से जुड़ा है लेकिन ट्रायल में हो रहे विलम्ब के कारण किसी आरोपी को अनिश्चितकाल के लिए जेल बंद रखना उचित नहीं होगा । ऐसे में हम सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ट्रायल कोर्ट की टर्म एंड कडीशन के आधार पर जमानत प्रदान करते हैं ।


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