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Udaipur: लंबी लड़ाई के बाद उदयपुर की झील में उतारी इलेक्ट्रिक बोट, जिला कलेक्टर ने फीता काटकर किया लोकार्पण

झीलों को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए पर्यावरण प्रेमियों की लंबे अरसे से चल रही लड़ाई में आखिरकार गुरुवार को सफलता मिल ही गई। जिला प्रशासन के आला अधिकारियों की मौजूदगी में गुरुवार को पीछोला झील में पहली इलेक्ट्रिक बोट उतारी गई। फोटो- जागरण।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaPublished: Thu, 02 Mar 2023 09:23 PM (IST)Updated: Thu, 02 Mar 2023 09:23 PM (IST)
पीछोला झील में इलेक्ट्रिक बोट का शुभारंभ करते संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट, कलक्टर ताराचंद मीणा व अन्य।

उदयपुर, जेएनएन। झीलों को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए पर्यावरण प्रेमियों की लंबे अरसे से चल रही लड़ाई में आखिरकार गुरुवार को सफलता मिल ही गई। जिला प्रशासन के आला अधिकारियों की मौजूदगी में गुरुवार को पीछोला झील में पहली इलेक्ट्रिक बोट उतारी गई। इस अवसर पर संभागीय आयुक्त राजेंद्र भट्ट और जिला कलक्टर ताराचंद मीणा सहित कई आला अधिकारी मौजूद थे।

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हाईकोर्ट के आदेश के बाद रोका गया था स्पीड बोट्स का संचालन

राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बाद पिछले दिनों ही उदयपुर की झीलों में स्पीड बोट्स का संचालन रोक दिया गया था। पर्यावरण प्रेमियों की लंबे समय से मांग चली आ रही थी कि उदयपुर की झीलों में सौर आधारित या इलक्ट्रिक बोट्स ही संचालित की जाए। साथ ही जिला प्रशासन को यह भी सुझाव दिया था कि जिन होटलों के लिए सड़क मार्ग से रास्ता हो, उनकी जेटी और बोट्स झीलों में संचालन की अनुमति प्रदान किसी भी सूरत में नहीं कराई जाए। इसके बावजूद उदयपुर की दर्जनों होटल संचालकों ने पीछोला झील के अंदर अपनी-अपनी जेटी लगा ली और बोट्स संचालित कर रहे थे।

जिला कलेक्टर ने फीता काटकर किया लोकार्पण

पर्यावरणविद् और झील संरक्षण समिति से जुड़े विशेषज्ञों के लगातार प्रयास के बाद गुरुवार को पहला प्रयास सामने आया जब उदयपुर की पीछोला झील में पहली इलक्ट्रिक बोट उतारी गई। अब माना जा रहा है कि जल्द ही झीलों में संचालित पेट्रोल व डीजल ईंधन से चलाई जा रही बोट्स हटा ली जाएंगी। इसी श्रृंखला में संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट और जिला कलेक्टर तारा चंद मीणा ने पीछोला झील में लीला पैलेस की नई 18 सीटर इलेक्ट्रिक बोट का फीता काटकर लोकार्पण किया।

पर्यावरणविद् डॉ. अनिल मेहता का कहना है कि लंबे समय से यह मांग चली आ रही थी। अभी भी दर्जनों ऐसी बोट्स को झीलों से हटाया जाना बाकी है, जो डीजल और पेट्रोल से चलाई जा रही हैं।


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