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    Bhanwar Lal passed away: कांग्रेस के भंवरलाल शर्मा का निधन, सरकार बचाने से लेकर गिराने में रही थी अहम् भूमिका

    By Jagran NewsEdited By: PRITI JHA
    Updated: Sun, 09 Oct 2022 01:41 PM (IST)

    Bhanwar Lal Sharma passed away कांग्रेस से 8 बार विधायक रहे भंवर लाल शर्मा का निधन शर्मा के निधन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई गणमान्य नेताओं ने ...और पढ़ें

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    Bhanwar Lal Sharma passed away: कांग्रेस से 8 बार विधायक रहे भंवर लाल शर्मा का निधन

    नई दिल्ली, एजेंसी। Bhanwar Lal Sharma Passed Away: उदयपुर, संवाद सूत्र। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चूरू जिले के सरदाशहर से विधायक पंडित भंवरलाल शर्मा का रविवार सुबह जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में निधन हो गया है। 77 वर्षीय विधायक लंबे समय से बीमार चल रहे थे और शनिवार शाम को उन्हें एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उनके निधन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने शोक जताया है। उनके बारे में कहा जाता है कि वह बड़े ही बेबाक थे और उनके संबंध भाजपा के दिग्गज नेता दिवंगत भैंरोंसिंह शेखावत से भी रहे।

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    37 साल के राजनीतिक करियर में खुलकर अपने विचार रखे

    मालूम हो कि उन्होंने राज्य सरकार को गिराने और बचाने दोनों में ही अहम् भूमिका निभाई और राहुल गांधी को लेकर दिए बयान को लेकर पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया था।

    पंडित भंवरलाल शर्मा ने अपने 37 साल के राजनीतिक करियर में खुलकर अपने विचार रखे, जिसके चलते उन्हें कई बार परेशानी का सामाना भी करना पड़ा।

    राहुल गांधी को जोकर कहने पर पार्टी से निलंबित

    जानकारी हो कि आठ साल पहले उन्हें राहुल गांधी को जोकर कह दिया और पार्टी ने उन्हें इसके लिए निलंबित कर दिया था। लंबे समय से बीमार विधायक भंवरलाल शर्मा गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में भी भर्ती रहे थे। वहां से छुट्टी मिलने के बाद जयपुर रह रहे थे।

    बताया गया कि किड़नी सहित अन्य कई तरह की बीमारियों की वजह से उनकी तबियत एक बार फिर शनिवार को बिगड़ी और शनिवार शाम जयपुर के एमएमएस अस्पताल में भर्ती कराया, जहां रविवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं। उनके बेटे अनिल शर्मा को सरकार ने पिछले साल राजनीतिक नियुक्ति दी थी।

    सरपंच से शुरू किया राजनीतिक करियर

    पंडित भंवरलाल का जन्म सरदार शहर के समीप जैतसीसर गांव में 17 अप्रैल 1945 को हुआ था। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत 1964 में की थी और वह पहली बार गांव के सरपंच निर्वाचित हुए। इसके बाद उन्होंने सियासत में पीछे मुड़कर नहीं देखा। शर्मा पहली बार 1985 में विधायक बने और सरदार शहर से सात बार विधायक रहे। 1990 में राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री और विधानसभा में उप मुख्य सचेतक जैसे पदों पर भी रहे। कांग्रेस से पहले वह जनता पार्टी में भी रहे थे।

    राज्यपाल मिश्र, सीएम गहलोत एवं कांग्रेस-भाजपा के नेताओं ने जताया शोक

    राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ‘सरदारशहर (चूरू) से कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन पर मेरी गहरी संवेदनाएं। काफी समय से वो अस्वस्थ चल रहे थे, उनके स्वास्थ्य को लेकर मैं उनके परिवारजनों के संपर्क में था, कल रात एसएमएस अस्पताल पहुंचकर चिकित्सकों से जानकारी ली और परिवार से मुलाकात की थी।‘

    शर्मा के निधन पर राज्यपाल कलराज मिश्र, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व कैबिनेट मंत्री डाॅ़ गिरिजा व्यास, पूर्व सांसद रघुवीर मीणा, पूर्व मंत्री दयाराम परमार, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित कई मंत्रियों और नेताओं ने शोक जताया है।

    एक बार फिर विधानसभा में 199 विधायक

    राजस्थान में जब से नई विधानसभा का निर्माण हुआ है, तब से ज्यादातर समय प्रदेश में पूरे 200 विधायक नहीं बैठ पाए। पिछले कुछ महीनों से पूरे दो सौ विधायक थे, लेकिन पंडित भंवरलाल शर्मा के निधन से एक बार फिर विधायकों की संख्या 199 रह गई। उनके निधन के बाद राज्य में कांग्रेस विधायकों की संख्या 107 रह गई। सरदार शहर के लिए उपचुनाव का निर्णय चुनाव आयोग ही करेगा। किसी विधायक के निधन पर छह महीने के भीतर उपचुनाव करवाने का प्रावधान है लेकिन जब कार्यकाल एक साल से कम हो तो उपचुनाव नहीं कराए जाते।

    देसी अंदाज ही उनकी पहचान

    विधायक पंडित भंवरलाल की पहचान उनकी देसी अंदाज थी। वह आम आदमी से लेकर सत्ता को लेकर जिस तरह के बयान देते थे, उसके लिए वह चर्चा में भी रहे और परेशानी में भी। इसके बावजूद उन्होंने अपना ठेठ देसी अंदाज नहीं छोड़ा। उनके विधानसभा के लोग उन्हें दादा कहते थे। वह उनके यहां आने वाले हर व्यक्ति को भूखा कभी नहीं जाने देते थे। वह जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले सरदारशहर के लोगों का खास ध्यान रखते थे। क्षेत्र के किसी जरूरतमंद के पास दवा के पैसे नहीं होते थे तो वे इसका भी इंतजाम करते थे।