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    Rajasthan: चित्तौड़गढ़ का राणा प्रताप सागर बांध लबालब, दो साल तक पानी की चिंता खत्म

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Mon, 18 Oct 2021 09:14 PM (IST)

    Rajasthan चित्तौड़गढ़ जिले का राणा प्रताप सागर बांध लबालब हो गया। जिसके बाद मंगलवार सुबह ग्यारह बजे इसका एक गेट खोला दिया गया। निचले इलाकों में बाढ़ के हालात से बचाव के लिए हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है और पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है।

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    चित्तौड़गढ़ का राणा प्रताप सागर बांध लबालब। फाइल फोटो

    उदयपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान के बड़े बांधों में शुमार चित्तौड़गढ़ जिले का राणा प्रताप सागर बांध लबालब हो गया। जिसके बाद मंगलवार सुबह ग्यारह बजे इसका एक गेट खोला दिया गया। निचले इलाकों में बाढ़ के हालात से बचाव के लिए हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है और पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है। मानसून के अलविदा करने के बाद आए पानी के चलते अब दो साल पानी की समस्या पैदा नहीं होगी। बांध का जलस्तर उसके भराव क्षमता 1157.40 फिट को पार कर चुका है। जबकि उसमें पानी की आवक जारी है। मंगलवार सुबह लगभग ग्यारह बजे राणा प्रताप सागर बांध का एक गेट खोला गया और 22000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इससे पहले सायरन बजाकर अलर्ट किया गया, ताकि निचले इलाकों में रहने वाले लोग सतर्क रहें। बाढ़ के हालात पर नियंत्रण के लिए पुलिस की गश्त निचले इलाकों में बढ़ा दी गई है।

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    बारिश के चलते बढ़ी बांध में पानी की आवक 

    बताया गया कि क्षेत्र में पिछले दो दिन से हुई तेज बारिश के चलते राणा प्रताप सागर बांध तथा गांधी सागर बांध में पानी की आवक बढ़ गई। गांधी सागर बांध के लबालब होने के बारह घंटे बाद राणा प्रताप सागर बांध भी लबालग हो गया। जिसके चलते उसका एक गेट खोलना पड़ा। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के इंदौर, खंडवा, उज्जैन संभाग में बारिश होने पर चंबल नदी के जरिए गांधी सागर तथा महाराणा प्रताप सागर बांध में पानी आता है। गांधी सागर बांध से पानी की निकासी के बाद सोमवार सुबह रावतभाटा के राणा प्रताप सागर बांध में पानी पहुंचा। जिसके चलते राणा प्रताप सागर बांध लबालब हो गया। सुबह साढ़े नौ बजे सायरन बजाकर निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को अलर्ट किया और ग्यारह बजे बांध का एक गेट खोल दिया गया। राणा प्रताप बांध के अधिशासी अभियंता रविंदर कटारा का कहना है कि रावतभाटा स्थित इस बांध के गेट कब तक खुले रहेंगे, यह पानी की आवक पर निर्भर है। यहां से निकला पानी जवाहर सागर बांध में जाता है, जहां पानी के जरिए बिजली निर्माण शुरू किया जा चुका है। गांधी सागर तथा राणा प्रताप सागर बांध के लबालब होने से हाड़ौती ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के किसानों की दो साल तक पानी की चिंता मिट गई है।