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    Rajasthan: चैतन्य राज सिंह बने जैसलमेर के नए महारावल

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Fri, 15 Jan 2021 04:42 PM (IST)

    Rajasthan खुली जीप में चैतन्य राज सिंह को निवास स्थान जवाहिर पैलेस से फोर्ट पहुचे। यहां रास्ते लोगों ने गुलाब पुष्प की वर्षा से स्वर्ण नगरी को रंग दिया। चैतन्य राज सिंह ने गद्दी संभालने से पहले अपनी कुलदेवी और जैसलमेर के आराध्य लक्ष्मीनाथ भगवान के दर्शन किए।

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    चैतन्य राज सिंह बने जैसलमेर के नए महारावल। फाइल फोटो

    जोधपुर, संवाद सूत्र। Rajasthan: राजा रजवाड़ों का काल स्वर्णनगरी जैसलमेर में शुक्रवार को फिर जीवंत हो उठा, यहां जैसलमेर के 44वे महारावल के रूप में चैतन्य राज सिंह को गद्दी पर बैठाया गया। समूचा जैसाण इसका गवाह बना। जैसलमेर की जनता का नए महारावल के प्रति लगाव कुछ इस कदर था कि समूचा मार्ग लोगों के हुजूम से खचाखच भरा नजर आया और आखिरकार कोर्ट के दरवाजे बंद किए गए। जिसके बावजूद लोगों का हुजूम बड़ी संख्या में अपने नए महारावल की एक झलक देखने के लिए लालायित नजर आया। सोनार दुर्ग में लोगों के जयकारों के बीच 25 वर्षीय चैतन्य राज सिंह को महारावल के सिंहासन पर बैठाया गया।

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    पूर्व महारावल ब्रजराज सिंह के 28 दिसंबर को निधन के बाद मल मास की अवधि के पूरा होने पर जैसलमेर के नए महारावल को गद्दी पर विराजित किया गया। इस आयोजन के लिए पूरे जैसलमेर को सजाया गया। इस अवसर पर विश्व प्रसिद्ध सोनार फोर्ट में शुक्रवार को एक बार फिर राजशाही दौर जीवंत हो उठा। एक खुली जीप में चैतन्य राज सिंह को अपने निवास स्थान जवाहिर पैलेस से फोर्ट पहुचे। यहां संपूर्ण रास्ते लोगों ने गुलाब पुष्प की वर्षा से स्वर्ण नगरी को एक नई हवा में रंग दिया। चैतन्य राज सिंह ने गद्दी संभालने से पहले अपनी कुलदेवी और जैसलमेर के आराध्य लक्ष्मीनाथ भगवान के दर्शन किए।

    शाही परिधान में पहुचे चैतन्य राज को पंडितों के मंत्रोचार के बीच उन्हें महारावल की गद्दी पर बैठाया गया। उनके गद्दी पर बैठते ही पूरा सोनार फोर्ट जयकारों से गूंज उठा। गोपा परिवार की तरफ से उनका तिलक कर विधिवत रूप से महारावल घोषित किया गया। इस आयोजन के लिए जैसलमेर और उसके आसपास के गांवों और कस्बों से बड़ी संख्या में ग्रामीण सोनार दुर्ग आए। इसको लेकर राज तिलक की जगह-जगह लाइव टेलीकास्ट की भी व्यवस्था की गई थी। इसके बावजूद लोगों में भारी उत्साह और भीड़ को देखते हुए सोनार दुर्ग के मुख्य द्वार को भी बंद करना पड़ा। चैतन्य राज सिंह दिवंगत पूर्व महारावल दिवंगत बृजराज सिंह के ज्येष्ठ पुत्र हैं। ब्रजराज सिंह का 28 दिसंबर को निधन हो गया था।

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