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    आईआईटी जोधपुर के 14वें स्थापना दिवस पर में सेंटर फॉर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का हुआ उद्घाटन

    By Priti JhaEdited By:
    Updated: Tue, 03 Aug 2021 12:43 PM (IST)

    विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग विज्ञान इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड भारत द्वारा वित्त पोषित आईआईटी जोधपुर एम्स जोधपुर और डार्ट बैंगलोर के सहयोग से अनुसंधान कार्य करेगा। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी केंद्र डीएमडी रोग में मूलभूत समस्याओं का समाधान करेगा और भारत में डीएमडी रोगियों में रूटीन परीक्षणों के लिए कई चिकित्सीय सुविधा विकसित करेगा।

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    भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर, के 14 वे स्थापना दिवस

    जोधपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर, के 14 वे स्थापना दिवस के मौके पर सेंटर फॉर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का उद्घाटन हुआ। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. आशुतोष शर्मा के मुख्य आतिथ्य तथा एम्स जोधपुर के निदेशक डॉ संजीव मिश्रा के विशेष आतिथ्य में शिक्षकों को अनुसंधान और शिक्षण उत्कृष्टता में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित भी किया गया।

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    विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, और विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (डीएसटी-एसईआरबी), भारत द्वारा वित्त पोषित, आईआईटी जोधपुर एम्स जोधपुर और डार्ट बैंगलोर के सहयोग से अनुसंधान कार्य करेगा। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी केंद्र डीएमडी रोग में मूलभूत समस्याओं का समाधान करेगा और भारत में डीएमडी रोगियों में रूटीन परीक्षणों के लिए कई चिकित्सीय सुविधा विकसित करेगा।

    इस अवसर डॉ. आशुतोष शर्मा ने आईआईटी जोधपुर को शिक्षा का उच्च केंद्र बताते हुए इसमें नवीन सोच और बहु-विषयक आउटरीच के साथ विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने की क्षमता वाला केंद्र बताया । उन्होंने कहा कि सामाजिक समस्याओं का तकनीकी समाधान, मापनीयता, स्वीकार्यता विकास की धुरी है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं में अपनी प्रगति के लिए आईआईटी जोधपुर को बधाई देता हूं।

    बहुआयामी शिक्षा और अनुसंधान समय की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में एम्स निदेशक डॉ. संजीव मिश्रा ने संस्थान की प्रगति और स्थानीय समुदाय में इसके योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि आईआईटी जोधपुर और एम्स जोधपुर बहु-विषयक अनुसंधान क्षेत्रों का पता लगाने के लिए एक साथ काम करने वाले उत्कृष्टता के दो संस्थान हैं। उन्होंने कहा कि सामान्य धारणा के अनुसार, इंजीनियर और डॉक्टर अलग तरह से काम करते हैं और सोचते हैं, लेकिन हमारा मानना है कि आने वाली वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए इंजीनियरों और डॉक्टरों के लिए एक साथ काम करने का समय आ गया है।

    आईआईटी जोधपुर और एम्स जोधपुर इन पुलों का निर्माण इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च और लर्निंग के लिए कर रहे हैं। दोनों संस्थानों द्वारा संयुक्त रूप से पेश किया जाने वाला यह मास्टर मेडिकल टेक्नोलॉजी प्रोग्राम देश में अपनी तरह का अनूठा कार्यक्रम है, और इसके साथ, हम भविष्य के लिए एक मजबूत अंतःविषय नींव बनाने पर काम कर रहे हैं।

    आईआईटी जोधपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ आर चिदंबरम ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की।वर्तमान में, आईआईटी संस्थान 200 से अधिक प्रायोजित अनुसंधान परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिसके वित्तीय परिव्यय रुपये से अधिक है। इसके अलावा, IIT जोधपुर ने अपने प्रौद्योगिकी नवाचार और स्टार्टअप केंद्र (TISC) के माध्यम से युवाओं की उद्यमशीलता की आकांक्षाओं को एक बड़ा बढ़ावा दिया है।

    क्या होता है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी

    मस्कुलर डिस्ट्रॉफी मासपेशियों के रोगों का एक ऐसा समूह है, जिसमें लगभग 80 प्रकार की बीमारियां शामिल हैं। इस समूह में कई प्रकार के रोग शामिल हैं, लेकिन आज भी सबसे खतरनाक और जानलेवा बीमारी-ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्राफी (डीएमडी) है। अगर इस बीमारी का समय रहते इलाज न किया जाए तो ज्यादातर बच्चों की मौत 11 से 21 वर्ष के मध्य हो जाती है, लेकिन डॉक्टरों और अभिभावकों में उत्पन्न जागरूकता ने इनकी जान बचाने और ऐसे बच्चों की जिंदगी बेहतर बनाने में विशेष भूमिका निभाई है। विशेष रूप से स्टेम सेल और बोन मैरो सेल-ट्रांसप्लांट के प्रयोग से इन मरीजों की आयु बढ़ाई जा रही है।