Dhai Din Ka Jhonpra: भाजपा नेताओं ने उठाया अजमेर के 'ढाई दिन के झोपड़े' का मामला, कहा-संस्कृत विद्यालय को तोड़कर बना दी मस्जिद
Dhai Din Ka Jhonpra राजस्थान में भाजपा नेताओं ने अजमेर के ढाई दिन झोपड़े को लेकर दावा जताया है। उनका कहना है कि संस्कृत विद्यालय जिसमें हिंदू धर्म की पूजा-पाठ होती थी उसे मस्जिद बना दिया गया है।

उदयपुर, संवाद सूत्र। Dhai Din Ka Jhonpra: महाराणा प्रताप सेना के अजमेर की दरगाह शरीफ के मंदिर होने के दावे के बाद स्थानीय भाजपा नेताओं ने अजमेर के ढाई दिन झोपड़े को लेकर दावा जताया है। उनका कहना है कि संस्कृत विद्यालय जिसमें हिंदू धर्म की पूजा-पाठ होती थी, उसे मस्जिद बना दिया गया। इसको लेकर भाजपा नेताओं ने इंटरनेट मीडिया पर ढाई दिन के झोपड़े के स्तंभों पर उत्कीर्णदेव प्रतिमाओं को बताया है। इंटरनेट मीडिया पर जारी मैसेज में स्थानीय भाजपा नेताओं ने कहा कि विहिप के शीर्षस्थ नेता रहे दिवंगत अशोक सिंहल ने केवल अयोध्या, मथुरा तथा काशी के मंदिरों की मुक्ति की मांग की थी, लेकिन अब उन सभी मंदिरों को वापस लिए जाने की जरूरत हैं, जो पहले देव स्थानक रहे। उनमें ताजमहल, कुतुबमीनार के साथ अजमेर स्थित ढाई दिन का झोपड़ा भी शामिल है। स्थानीय भाजपा नेता विजय प्रकाश विप्लवी, डा. जिनेन्द्र शास्त्री सहित कई नेताओं का कहना है कि अब गुड का रस नहीं, भेली (गुड के रस से बना ठोस) लेने का वक्त है। जहां तक ढाई दिन के झोापड़े की बात है, यह साफ जाहिर है कि यह एक संस्कृत विद्यालय था। इतिहास में इसका उल्लेख है।
जानें, ढाई दिन के झोपड़े का इतिहास
इतिहास में उल्लेख है कि ढाई दिन का झोपड़ा पहले संस्कृत विद्यालय था। इसका निर्माण सिर्फ महज ढाई दिन में किया गया और इस कारण इसका नाम अढाई दिन का झोपड़ा पड़ गया। संस्कृत विद्यालय को परिवर्तित करके तात्कालिक शासक मोहम्मद गोरी के आदेश पर उनके गवर्नर कुतुबुद्दीन ऐबक ने वर्ष 1194 में इसका निर्माण कराया था। उस समय अजमेर के शासक सम्राट पृथ्वीराज चौहान थे। तराइन के युद्ध में जीत के बाद मोहम्मद गोरी ने तारागढ़ पर हमला कर दिया था और यहां स्थित संस्कृत विद्यालय में मस्जिद में परिवर्तित कर दिया। इसका प्रमाण ढाई दिन के झोपड़े के मुख्य द्वार के बाईं ओर लगा संगमरमर का एक शिलालेख है, जिस पर संस्कृत में इस विद्यालय का उल्लेख है। यहां पंचकल्याणक के प्रतीक स्वरूप पांच गर्भ गृह भी हैं। इसकी दीवारों पर हरकेली नाटक (विग्रहराज चतुर्थ द्वारा रचित)के अंश मिलते हैं, जो संस्कृत पाठशाला होने के साक्षी हैं। 90 के दशक तक इस मस्जिद के आंगन में कई देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां यहां-वहां बिखरी हुई पड़ी थीं, जिन्हें बाद में एक सुरक्षित स्थान पर रखवा दिया गया। ये भारत की सबसे प्राचीन इस्लामी मस्जिदों में शुमार है। जिसका उल्लेख इतिहासकार जावेद शाह खजराना ने किया था और बताया कि केरल स्थित चेरामन जुमा मस्जिद के बाद ढाई दिन का झोपड़ा सबसे पुरानी मस्जिद है।
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