Haldighati War: रक्ततलाई से चार दशक पुराना हल्दीघाटी युद्ध संबंधी शिलालेख एएसआइ ने हटाया
Haldighati War एएसआइ ने हल्दीघाटी में रक्ततलाई स्थित चार दशक पहले पर्यटन विभाग की ओर से लगवाए शिलालेख को हटवा दिया है जिसमें निर्णायक हल्दीघाटी युद्ध को लेकर गलत तथ्य अंकित थे। अगले महीने से नए तथा वास्तविक तथ्यों के साथ यहां शिलालेख लगवाया जा सकेगा।

उदयपुर, संवाद सूत्र। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने हल्दीघाटी में रक्ततलाई स्थित चार दशक पहले पर्यटन विभाग की ओर से लगवाए शिलालेख को हटवा दिया है, जिसमें निर्णायक हल्दीघाटी युद्ध को लेकर गलत तथ्य अंकित थे। अगले महीने से नए तथा वास्तविक तथ्यों के साथ यहां शिलालेख लगवाया जा सकेगा। भारतीय पुरातत्व विभाग जोधपुर मंडल के अधीक्षक विपिन चंद्र नेगी के मुताबिक, विवादास्पद कथन वाले शिलालेख हटवाए जाने संबंधी विभागीय आदेश की पालना में यह कार्रवाई की गई है। नया शिलालेख लिखवाए जाने से पहले हल्दीघाटी युद्ध को लेकर प्रामाणिक तथ्यों को लेकर अध्ययन जारी है। अगले महीने तक प्रामाणिक जानकारी के साथ नया शिलालेख लगवाया जा सकेगा।
इधर, राजपूत समाज सहित विभिन्न संगठनों ने विवादास्पद जानकारी वाले शिलालेख के हटाए जाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि वर्षों से लोगों को महाराणा प्रताप और हल्दीघाटी युद्ध को लेकर गलत जानकारी दी जा रही थी, जिसे अब सुधारा जा रहा है। इस मुद्दे को पहली बार प्रामाणिकता से उठाने वाले उदयपुर के इतिहासकार प्रो. चंद्रशेखर शर्मा का कहना है कि पुस्तकों में हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की जीत को स्वीकार कर प्रकाशित कर लिया गया, अब शिलालेख पर भी प्रामाणिक जानकारी मिले पाएगी। उल्लेखनीय है कि हल्दीघाटी युद्ध को लेकर रक्ततलाई में पर्यटन विभाग की ओर से लगवाए शिलालेख में महाराणा प्रताप की सेना के कदम पीछे खींचने की जानकारी लिखी थी, जिसे इतिहासकार प्रो. चंद्रशेखर शर्मा ने गलत बताया और उन्होंने प्रमाण सहित साबित करके दिखाया कि हल्दीघाटी युद्ध निर्णायक युद्ध था, जिसमें महाराणा प्रताप ने जीत हासिल की थी।
वासुदेव देवनानी ने गहलोत सरकार पर साधा निशाना
अजमेर संवाद सूत्र के मुताबिक, भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रताप की सेना को हल्दीघाटी के युद्ध से पीछे हटना पड़ा ऐसा लिखा शिलालेख हल्दीघाटी से हटाने के निर्णय के बाद यह साफ साबित हो चुका है कि हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप ही विजयी हुए। इस निर्णय के बाद तो राज्य सरकार को मान लेना चाहिए कि हल्दीघाटी युद्ध में अकबर की सेना नहीं बल्कि महाराणा प्रताप ही विजयी हुए। देवनानी ने कहा कि बीच के कालखंड में हमारे विजयी व सतत संघर्ष के इतिहास को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया, जिसमें से राणा प्रताप से जुड़ा इतिहास भी एक है। महाराणा प्रताप महान थे, जबकि सालों तक इतिहास में बच्चों को अकबर महान पढ़ाया गया। गत भाजपा सरकार मे राज्य के बच्चों को हल्दीघाटी के युद्ध में प्रताप की विजय का इतिहास पढ़ाया गया, परंतु सत्ता परिवर्तन के साथ ही कांग्रेस सरकार ने पुनः वही गुलामी की मानसिकता से ओतप्रोत इतिहास अपने विद्यार्थियों को पढ़ाना शुरू कर दिया। कांग्रेस की हमेशा से ही तुष्टिकरण की नीति रही है। उसकी ओर से किसी न किसी बहाने अपने वीर, योद्धा व महापुरुषों का अपमान किया जाता रहा हैं। देवनानी ने कहा कि राजसमंद जिले मे हल्दीघाटी स्थित रक्त तलाई स्थान पर स्मारक लगाया हुआ है, जिसमें लिखा हुआ है कि राणा प्रताप की सेना को युद्ध में पीछे हटना पड़ा। अब तक इतिहास में भी यही पढ़ाया जाता रहा है, जो कि सत्य से काफी दूर है। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने अपनी स्टेट यूनिट को आदेश दिया है कि स्मारक से उस पत्थर को हटाया जाए, जिस पर राणा प्रताप की सेना के पीछे हटने की बात लिखी है। देवनानी ने राज्य सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि कम से कम अब तो सरकार और उसके शिक्षा मंत्री मान ले कि राणा प्रताप ही महान थे और उन्होंने ही हल्दीघाटी का युद्ध जीता था न कि अकबर ने।
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