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    जयपुर की महापौर Somya Gurjar को गहलोत सरकार ने किया बर्खास्त, 6 साल तक नहीं लड़ सकेंगी चुनाव

    By JagranEdited By: PRITI JHA
    Updated: Tue, 27 Sep 2022 01:36 PM (IST)

    Jaipur Mayor Somya Gurjar Latest Updates सर्वोच्च न्यायालय में 23 सितंबर को जयपुर की महापौर सौम्या गुर्जर से जुड़े मामले की सुनवाई हुई थी। न्यायालय ने दो दिन बाद कार्रवाई करने का समय दिया था। शनिवार और रविवार को दो दिन अवकाश के बाद गुर्जर को बर्खास्त कर दिया गया।

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    Rajasthan Politics: जयपुर की महापौर सौम्या गुर्जर को गहलोत सरकार ने किया बर्खास्त, 6 साल तक नहीं लड़ सकेंगी चुनाव

    जयपुर, जागरण संवाददाता। Jaipur Municiple Coproration Mayor Somya Gurjar: राजस्थान की राजधानी जयपुर नगर निगम (ग्रेटर) की महापौर सौम्या गुर्जर को मंगलवार को सरकार ने बर्खास्त कर दिया है। गुर्जर भाजपा के टिकट पर निर्वाचित हुई थीं। न्यायिक जांच रिपोर्ट आने के बाद इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय में 23 सितंबर को गुर्जर के निलंबन से जुड़े मामले की सुनवाई हुई थी। न्यायालय ने दो दिन बाद कार्रवाई करने का समय दिया था। शनिवार और रविवार को दो दिन अवकाश के बाद गुर्जर को बर्खास्त कर दिया गया।

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    छह साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित

    स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक ह्रदेश शर्मा ने उन्हें बर्खास्त करने के आदेश जारी किए हैं। उन्हें पद से बर्खास्त करने का प्रस्ताव तैयार करके नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के पास भेजा गया था। मंत्री ने हस्ताक्षर करके प्रस्ताव को मंजूरी दी। गुर्जर को अगले छह साल तक के लिए स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया गया है। न्यायिक जांच के बाद सरकार ने उन्हें बर्खास्त किया है। अब वे सरकार के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील कर सकती है।

    यह है पूरा प्रकरण

    जानकारी के अनुसार 4 जून 2021 को निगम मुख्यालय में महापौर के कक्ष में एक बैठक के दौरान तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी यज्ञमित्र सिंह देव और तीन पार्षदों के बीच विवाद हुआ था। देव का आरोप था कि महापौर एवं पार्षदों ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया, धक्का-मुक्की की। उन्होंने इसकी लिखित में शिकायत ज्योति नगर पुलिस थाने में की थी। पांच जून को सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए महापौर सौम्या  गुर्जर, पार्षद पारस जैन, अजय सिंह और शंकर शर्मा के खिलाफ शिकायत की जांच स्वायत्त शासन विभाग के क्षेत्रीय निदेशक को सौंपी थी। छह जून को रिपोर्ट में महापौर और पार्षदों को दोषी मानते हुए पद से निलंबित कर दिया गया था। साथ ही इनके खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करवा दी।

    गुर्जर ने फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी

    मालूम हो कि सरकार ने शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बना दिया। गुर्जर ने सरकार के इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने 28 जून को महापौर को निलंबन आदेश पर स्टे देने से मना कर दिया था। जुलाई में गुर्जर ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर न्यायिक जांच रुकवाने और निलंबन आदेश पर स्टे की मांग की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने एक फरवरी, 2022 को निलंबन आदेश पर स्टे दे दिया।

    निलंबन आदेश पर स्टे

    सर्वोच्च न्यायालय से स्टे मिलने के अगले दिन गुर्जर फिर महापौर की कुर्सी पर बैठ गईं। सरकार द्वारा शुरू की गई न्यायिक जांच की रिपोर्ट 11 अगस्त को आई, जिसमें गुर्जर व तीनों पार्षदों को दोषी माना गया। पार्षदों को सरकार ने इसी न्यायिक जांच के आधार पर पद से हटाया है। सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में न्यायिक जांच रिपोर्ट पेश की। 23 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के बाद सरकार को कार्यवाही के लिए स्वतंत्र करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया। इसके बाद सरकार ने महापौर को बर्खास्त करने का फैसला लिया।

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