अशोक गहलोत सरकार योजनाओं से हटाएगी संघ के नेताओं के नाम
Ashok Gehlot government. राजस्थान सरकार ने सरकारी योजनाओं से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े नेताओं के नाम हटाने का निर्णय किया है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में सरकारी योजनाओं से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े नेताओं के नाम हटाने को लेकर अशोक गहलोत सरकार ने निर्णय किया है। इसके साथ ही पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल के अंतिम दौर में कॉलेज शिक्षा और स्कूली शिक्षा में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात होने वाले लेक्चरार्स व शिक्षकों के करीब चार हजार तबादले करने का निर्णय लिया गया है। आरएसएस विचारधारा के कुलपतियों को भी हटाया जाएगा।
प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी व डॉ. हेडगेवार का देश की आजादी में या फिर निर्माण में कोई योगदान नहीं है, लिहाजा इनको नहीं पढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि आरएसएस के इन नेताओं का नाम सरकारी योजनाओं से जोड़ने का कोई कारण नहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ही नहीं बल्कि सभी सरकारी योजनाओं से आरएसएस नेताओं के नाम हटाए जाएंगे। किसी एक विशेष विचारधारा के बारे में विधार्थियों को नहीं पढ़ाया जा सकता है।
नाम के आगे चौकीदार नहीं पढ़ा सकते
डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस सरकार अपनी योजनाओं में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू इंदिरा गांधी और स्व.राजीव गांधी का नाम इसलिए लगाती है, क्योंकि देश के निर्माण में और देश के विकास में इनका योगदान है। डोटासरा का दावा है कि आरएसएस के नेताओं का देश के विकास में कोई योगदान नहीं है, यह केवल एक विचारधारा के मानने वाले लोग हैं। डोटासरा ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने संघ मुख्यालय के आदेश पर शिक्षा का भगवाकरण कर दिया था। एक विचारधारा के सोच वाले लोगों के नाम पर योजनाओं के नाम रख दिए। उनको पाठ्यक्रम में भी शामिल कर लिया, लेकिन अब हम समीक्षा कर रहे है।
उन्होंने कहा कि अब कोई अपने नाम के आगे चौकीदार लगा ले तो हम उसको सरकारी स्कूलों में चौकीदार नहीं पढ़ा सकते, लिहाजा अगर इनके लिए सावरकर वीर थे तो हम सरकारी स्कूलों में वीर सावरकर नहीं पढ़ा सकते हैं। हमने महाराणा प्रताप के बारे में हर जगह पढ़ाया कि महान थे और हल्दीघाटी का युद्ध जीते थे। उन्होंने कहा कि आरएसएस और भाजपा के लोग जानबूझकर लोगों में भ्रम फैला रहे है कि हमने महाराणा प्रताप को अकबर से नीचा दिखाया है, जबकि सच्चाई यह है कि महाराणा प्रताप के संबंध में पाठ्यक्रम हमने ही पाठ्यक्रम में जोड़ा है।
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