राजस्थान में अटका मतांतरण विरोधी विधेयक, फिर करना होगा इंतजार
राजस्थान में मतांतरण विरोधी विधेयक फिर अटक गया। दरअसल विधानसभा का बजट सत्र सोमवार को समाप्त हो गया और विधेयक पारित नहीं हो सका। यह विधेयक तीन फरवरी को विधानसभा में पेश किया गया था लेकिन सदन में पारित करवाने की तारीख तय नहीं की गई थी। प्रदेश में पिछले 16 वर्षों में मतांतरण विरोधी विधेयक किसी न किसी कारण से अटक रहा है।

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान सरकार का मतांतरण विरोधी विधेयक फिर अटक गया। विधानसभा का बजट सत्र सोमवार को समाप्त हो गया, लेकिन विधेयक पारित नहीं हो सका। सरकार ने सत्र के अंतिम दिन दो विधेयक तो पारित करवा लिए, लेकिन मतांतरण विरोधी विधेयक को कार्यसूची में रखा ही नहीं गया।
फरवरी में पेश किया गया था विधेयक
यह विधेयक तीन फरवरी को विधानसभा में पेश किया गया था, लेकिन सदन में पारित करवाने की तारीख तय नहीं की गई थी। विधेयक में जबरन, लोभ व लालच देकर मतांतरण पर 50 हजार से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना और एक से 10 साल तक की सजा का प्रविधान किया गया था।
मतांतरण के लिए कलेक्टर को दो महीने पहले आवेदन कर अनुमति लेने के साथ मतांतरण के मकसद से शादी करने वालों के खिलाफ भी कड़े प्रविधान किए गए थे। विधेयक में पहले के धर्म में लौटने को मतांतरण के दायरे से बाहर रखा गया है।
16 वर्षों से अटक रहा मतांतरण विरोधी विधेयक
बता दें कि प्रदेश में पिछले 16 वर्षों में मतांतरण विरोधी विधेयक किसी न किसी कारण से अटक रहा है। पहले यह विधेयक वर्ष 2008 में केंद्र और राज्य के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण अटक गया था। वर्तमान सरकार ने पुराने विधेयक को वापस लिया और नया विधेयक तैयार कर विधानसभा में पेश किया, लेकिन यह विधेयक पारित नहीं कराय जा सका। विधानसभा का बजट सत्र सोमवार देर शाम अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।

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