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    मानसून बाद राजस्थान की पहाड़ियों पर दिखेंगे दुर्लभ और चमत्कारी सफेद पलाश

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Thu, 09 May 2019 12:31 PM (IST)

    सफेद पलाश को दुर्लभ और चमत्कारी पेड़ माना जाता है। कहा जाता है कि सफेद पलाश के फूल का कैप्शूल मुंह में रखने से व्यक्ति अदृश्य हो जाता है।

    मानसून बाद राजस्थान की पहाड़ियों पर दिखेंगे दुर्लभ और चमत्कारी सफेद पलाश

    उदयपुर,सुभाष शर्मा। सफेद पलाश को दुर्लभ और चमत्कारी पेड़ माना जाता है। जानकारों की मानें तो अभी तक प्रदेश में सफेद पलाश के गिनती भर पेड़ होंगे लेकिन आने वाले महीनों में राजस्थान में दक्षिण की पहाड़ियों पर सफेद पलाश के कई पौधे दिखाई देंगे। वन विभाग ने इसके लिए अभी से कवायद शुरू कर दी है। अभी तक वन विभाग सफेद पलाश के सौ पौधे तैयार कर चुका है।

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    अभी तक उदयपुर में मदनमोहन मालवीय आयुर्वेद कॉलेज में सफेद पलाश का इकलौता पेड़ लगा है, जहां आयुर्वेद के विद्यार्थियों को इसके महत्व के बारे में जानकारी दी जाती है। अब उदयपुर जिले के आदिवासी बहुल कोटड़ा में वन विभाग की नर्सरी में सफेद पलाश के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। वन विभाग की योजना शुरुआत में इन पौधों को चीरवा की घाटी में लगाए जाने की है, जो आमजन के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।

    बताया गया कि अभी तक सौ पौधे वन विभाग तैयार कर चुका है और आगामी महीनों में नई पौध तैयार की जाएगी। यह पौध दो महीने बाद बारिश के दौरान लगाए जाएंगे ताकि वह पनप सकें। आगामी महीनों में सफेद पलाश को आदिवासियों की आजीविका से जोडऩे की भी योजना है। बताया गया कि सफेद पलाश औषधीय महत्व का पौधा है जिसकी पत्तियां, फूल तथा टहनियां ही नहीं, बल्कि जड़ तक आयुर्वेद की दवाइयां बनाने में उपयोगी होती है। मदनमोहन मालवीय आयुर्वेद महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य मुरली गोविन्द आचार्य बताते हैं कि पलाश स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी है।

    इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन सी, आयरन, कैल्शियम, सोडियम की मात्रा होती है। साथ ही यह कोलेस्ट्रोल फ्री है, जो कई बीमारियों में काम आता है। इसके अलावा सफेद पलाश का उपयोग वास्तु शास्त्र में भी किया जाता है। कहा तो यह भी जाता है कि सफेद पलाश के फूल का कैप्शूल मुंह में रखने से व्यक्ति अदृश्य हो जाता है लेकिन प्रामाणिक रूप से इसे सही मानना कठिन हैै। हालांकि वास्तुशास्त्री और आयुर्वेद से जुड़े लोग इसे चमत्कारिक अवश्य मानते हैं। 

    उदयपुर उत्तर मंडल के उप वन संरक्षक ओपी शर्मा का कहना है केसरिया पलाश के पौधे दक्षिण राजस्थान में भरपूर हैं। पिछले कुछ सालों से इसके फूलों का उपयोग हर्बल गुलाल के रूप में लिया जा रहा है। अब विभाग की योजना सफेद पलाश के पौधे लगाए जाने की है। वन विभाग की नर्सरी में पौध तैयार हो चुकी है। मानसून आने पर पहले चरण में चीरवा के घाटे में इन्हें लगाया जाएगा। जो बेहद सुरक्षित ऐरिया है। इसके बाद अन्य क्षेत्रों में लगाए जाने की योजना है।

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