तरनतारन में साढ़े तीन साल में नौवां SSP नियुक्त, रवजोत कौर ग्रेवाल के सस्पेंड के बाद सुरेंद्र लांबा को मिली जिम्मेदारी
पंजाब के तरनतारन जिले में पुलिस नेतृत्व में बार-बार बदलाव हो रहा है। आम आदमी पार्टी के शासन में नौ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बदले जा चुके हैं। हाल ही में सुरेंद्र लांबा को नया एसपी नियुक्त किया गया है। राजनीतिक हस्तक्षेप और सीमावर्ती स्थिति के कारण यहां पुलिस प्रशासन में स्थिरता बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।

सुरेंद्र लांबा बने तरनतारन के नए एसएसपी। फोटो एक्स
रोहित कुमार, चंडीगढ़। भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे पंजाब के सीमावर्ती और संवेदनशील जिला तरनतारन में एक बार फिर पुलिस नेतृत्व बदल गया है। आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल में यह जिला अब तक नौ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को देख चुका है।
शनिवार को निर्वाचन आयोग ने सुरेंद्र लांबा को तरनतारन का नया वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नियुक्त करने का आदेश जारी किया। अब तक इस सीमावर्ती जिले में जिन अधिकारियों ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य किया है, उनमें दीपक पारीक, अभिमन्यु राणा, गौरव तूरा, गुरमीत सिंह चौहान, रंजीत सिंह ढिल्लों, अश्विनी कपूर, गुरप्रीत सिंह भुल्लर, रवजोत कौर ग्रेवाल और अब सुरेंद्र लांबा शामिल हैं।
लगातार तबादलों से तरनतारन में पुलिस प्रशासन की स्थिरता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अब यह देखना होगा कि सुरेंद्र लांबा कितनी अवधि तक अपनी जिम्मेदारी निभा पाते हैं। सीमावर्ती स्थिति और राजनीतिक दखल के कारण तरनतारन में स्थायी पुलिस नेतृत्व बन पाना कठिन साबित हुआ है। यहां अकसर स्थानांतरण राजनीतिक विवादों और जनप्रतिनिधियों से टकराव के कारण होते रहे हैं।
आम आदमी पार्टी सरकार के आरंभिक दौर में रंजीत सिंह ढिल्लों को स्थानीय नेताओं के दबाव में हटाया गया था। वर्ष 2023 में गुरमीत सिंह चौहान का तबादला खडूर साहिब के विधायक मनजिंदर सिंह लालपुरा से विवाद के बाद किया गया। इसी प्रकार गौरव तूरा और जिला उपायुक्त को एक समारोह में अकाली दल के पूर्व विधायक विरसा सिंह के साथ मंच साझा करने पर हटा दिया गया।
बाद में अभिमन्यु राणा को सहायक उपनिरीक्षक चरणजीत सिंह हत्या प्रकरण की जांच के दौरान विधायक लालपुरा की आलोचना झेलनी पड़ी, जिसके तुरंत बाद उनका भी तबादला कर दिया गया। रवजोत कौर ग्रेवाल तरनतारन की पहली महिला वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक थीं, जिन्होंने 11 सितंबर 2025 को पदभार संभाला था, लेकिन उनका कार्यकाल दो माह से भी कम रहा। अकाली दल की शिकायत के बाद यह कार्रवाई की गई।

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