दोस्त की बात सुन पीसीएस की परीक्षा दी और पहली ही बार में हुए सिलेक्ट
5.6 इंच कद चेहरे पर नजर का चश्मा शारीरिक तौर पर पूरी तरह फिट ये हैं एसडीएण रजनीश अरोड़ा। ...और पढ़ें

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : 5.6 इंच कद, चेहरे पर नजर का चश्मा, शारीरिक तौर पर पूरी तरह फिट और हाजिर जवाब के तौर पर जाने जाते पीसीएस अधिकारी रजनीश अरोड़ा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। लोगों की मदद करना वह अपना धर्म समझते हैं। एसडीएम रजनीश अरोड़ा काफी खुशदिल भी हैं। उनके जीवन के कुछ ऐसे अनछुए पहलु भी हैं, जिन्हें दैनिक जागरण ने छूने का प्रयास किया।
मूल रूप से चंडीगढ़ के निवासी रजनीश अरोड़ा पिछले करीब 30 वर्ष से अमृतसर में परिवार के साथ रहते हैं। उनके पिता सुरिंदर मोहन अरोड़ा कारोबारी थे और मा सुदर्शना कुमारी अध्यापिका थीं। मां के निधन के पश्चात रजनीश अरोड़ा को शिक्षा विभाग में सरकारी नौकरी मिली थी। 2014 में अचानक मन बनाया कि दो वर्ष बाद नौकरी छोड़ देंगे ताकि निजी कारोबार में समय दिया जा सके।
उनके एक दोस्त जयइंद्र थे, जिनके साथ उनकी अच्छी बनती थी। दोनों साथ काफी समय व्यतीत करते थे। अप्रैल 2014 में जयइंद्र ने रजनीश अरोड़ा को बताया कि वह पीसीएस के लिए अप्लाई कर रहे हैं। दोस्त की बात सुनते ही उनके दिमाग में आया कि आखिर मैं पीसीएस अधिकारी क्यों नहीं बन सकता। बस उसी समय ठान लिया। घर लौटकर पत्नी प्रो. रितु अरोड़ा (लेक्चरर) से बात की तो अरोड़ा ने पत्नी के साथ पीसीएस की परीक्षा के लिए आवेदन कर दिया। इसके पश्चात शिक्षा विभाग से डेढ़ माह की छुट्टी लेकर परीक्षा की तैयारी में जुट गए। अप्रैल माह में पंखा बंद करके डायनिंग टेबल की कुर्सी पर लगातार 16 से 18 घटे तक पढ़ाई की। रजनीश की अंग्रेजी भले ही थोड़ी तंग थी, परंतु पत्नी प्रो. रितु की गाइडलाइन से परीक्षा की इस कदर तैयारी की कि रजनीश तो पहली ही बार में पीसीएस में सिलेक्ट हो गए पर पत्नी की सिलेक्शन नहीं हो पाई। बतौर पीसीएस उनकी पहली पोस्टिंग फरीदकोट में हुई।
रजनीश अरोड़ा को सादगी भरा जीवन पसंद है। सुबह पाच बजे उठकर भगवान को याद करते है। इसके बाद हल्की कसरत और सैर करने के बाद एक घटे के लिए परिवार के साथ समय बिताते हैं। सुबह नौ बजे नाश्ता कर साढ़े नौ बजे घर से पैदल कार्यालय में पहुंचते हैं। दोपहर का खाना वह घर में ही खाते हैं। एसडीएम अरोड़ा के पास स्विफ्ट कार है। परिवार के साथ कहीं जाना हो तो वह गनमैन को साथ लेकर नहीं जाते बल्कि खुद ड्राइव करते हैं। वह न तो ब्राडेड कपड़े पहनते और न ही ब्रांडेड घड़ी लगाने का शौक रखते है। तरनतारन शहर के ही रंजीत टेलर से वह कपड़े खुद सिलवाते हैं। उनका कहना कि आप उस मुकाम पर पहुंच जाएं जहां आपकी आपकी पहचान ब्राडेड कपड़ों से नहीं बल्कि आपके काम से होनी चाहिए। एसडीएम अरोड़ा अपनी सरकारी गाड़ी में ड्यूटी पर जाते समय मास्क और सैनिटाइजर का स्टाक रखते हैं। जिस भी गाव में जाते हैं, वहा पर लोगों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए जागरूक करने के सात मास्क और सैनिटाइजर भी बाटते हैं। अच्छे कुक भी हैं, कई तरह के चिकन करते थे तैयार
पीसीएस अधिकारी रजनीश अरोड़ा पहले तरह-तरह का चिकन तैयार करते थे। वर्ष 2003 में उन्होंने नान वेज को अलविदा कह दिया। इसके बाद से उनका सारा परिवार शाकाहारी हो गया है। रसोई में जाकर फास्ट फूड तैयार करना उनको बहुत पसंद है। मक्की की रोटी, सरसों का साग, चाटी की लस्सी और गन्ने उनको काफी भाते हैं। हालाकि खाने में वह सिंपल रोटी, मूंगी की दाल, काले चने, करेला आदि को तरजीह देते हैं। रात को सोते समय दूध में शक्कर डालकर पीते हैं। फूलों से करते हैं प्यार
रजनीश अरोड़ा की रिहायश एसडीएम काप्लेक्स में ही है। काप्लेक्स में बकायदा झूला लगा है। आसपास फूल-पौधों का बगीचा है। शाम के समय फुर्सत मिलती है तो खुर्पा लेकर फूलों की गुडाई में लग जाते हैं। अपने हाथ से पौधों को पानी देते हुए वह पंजाबी गीत सुनते हैं। पंजाबी गायक गुरदास मान, हरभजन मान, स्व. सुरजीत बिंदरखिया, सरदूल सिकंदर के गीत उनको बहुत पसंद हैं। खुशी के मूड में वह कमलजीत नीरू के पुराने गीत गुनगुनाते हैं।

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