पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को ला दिया था घुटनों के बल
सन् 1965 में पंजाब आमर्ड पुलिस (पीएपी) में भर्ती होने वाले खेमकरण निवासी कश्मीर सिंह एक वर्ष बाद बीएसएफ में भर्ती हो गए थे। 1968 में बतौर नायक पदोन्नत हुए।

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन
सन् 1965 में पंजाब आमर्ड पुलिस (पीएपी) में भर्ती होने वाले खेमकरण निवासी कश्मीर सिंह एक वर्ष बाद बीएसएफ में भर्ती हो गए थे। 1968 में बतौर नायक पदोन्नत हुए। जम्मू-कश्मीर के बांदीपुर क्षेत्र में 15 हजार, 460 फीट की ऊंचाई पर कश्मीर सिंह ने पाकिस्तानी सैनिकों का बहादुरी से मुकाबला किया।
भारतीय सेना की बहादुरी का किस्सा सुनाते उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी के 93 हजार सैनिकों को हमारी सेना ने घुटनों पर ला दिया था। उस समय लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा तैनात थे। जबकि चीफ आफ आर्मी मानिक शाह की अगुआई में हमारी सेना ने जंग का मैदान फतेह करते हुए पाक से बंगलादेश को आजाद करवाया था।
खेमकरण निवासी 75 वर्षीय कश्मीर सिंह 31 मई 2003 को बतौर इंस्पेक्टर बीएसएफ से रिटायर्ड हुए थे। कश्मीर सिंह ने बताया कि सात बटालियन में तैनाती के दौरान मैंने जम्मू-कश्मीर के ऊंचाई वाले क्षेत्र में (बांदीपुर) सेना की पेट्रोलिग पार्टी को दुश्मन मुल्क की फौज से बचाया था। जिसके बदले मुझे सेना द्वारा संग्राम मेडल के साथ नकद पुरस्कार दे कर सम्मानित किया गया था। कश्मीर सिंह सेना से रिटायर्ड होने के बाद अब सीमा पर तैनात बीएसएफ व आम लोगों के बीच तालमेल बढ़ाते आए है। जिसके बदले उनको बीएसएफ के अधिकारियों द्वारा कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।
युवाओं को भेजना चाहिए सेना में
कश्मीर सिंह कहते हैं कि 1971 की जंग पाक कभी नहीं भूल सकता। क्योंकि चीफ आफ आर्मी मानिक शाह के नेतृत्व में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा की सूझबूझ से पाक को कड़ी हार का सामना करना पड़ा था। कश्मीर सिंह कहते है कि आज का दौर युवाओं को विदेश भेजने का नहीं बल्कि फौज में भेजने का है।
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