दहेज प्रथा भी भ्रूणहत्या का एक मुख्य कारण: वीरेंद्र मुनि
दहेज प्रथा भी भ्रूण हत्या का एक कारण है जिससे समाज को जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहिए।

जागरण संवाददाता, संगरूर
दहेज प्रथा भी भ्रूण हत्या का एक कारण है, जिससे समाज को जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहिए। उक्त विचार वीरेंद्र मुनि महाराज ने जैन स्थानक मोहल्ले में जारी धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि दहेज एक कलंक है, जो आज भी समाज के सम्मान की चादर से पूरी तरह धुल नहीं पाया है। गरीब मां बाप बेटियों को जन्म देने से इसलिए भी घबराते हैं कि उनके पास बेटियों के हाथ पीले करने के लिए दहेज नहीं है। बेटियों की रक्षा भी कलयुग में चुनौती की तरह है। चारों तरफ दहेज व इज्जत के भूखे भेड़िये घूम रहे हैं जिससे माता पिता चितित रहते हैं। उन्होंने कहा कि जैन आगमों में दहेज का शब्द नहीं है। वहां प्रीतिदान शब्द आता है। माता पिता या सास ससुर अपनी बेटी या बहू को अपनी खुशी से जो देते हैं, वो प्रीतिदान है। इस दान में प्रेम व खुशी है। जबकि दहेज में लालसा व बेबसी है। इस अवसर पर बहू की दुर्दशा पर बयान किया कि जो न होना था, वही काम हो गया, शादी का सौदा आखिरी अंजाम हो गया, दुल्हन को भसम कर गई ज्वाला दहेज की, स्टोव बेचारा फ्री में बदनाम हो गया।
सभा के मंत्री सतभूषण जैन ने बताया कि अठारह सितंबर को संगरूर में सुदर्शन लाल महाराज की जन्म शताब्दी को समर्पित समागम होगा। जिसमें बड़ी संख्या में संगत शिरकत करेगी।
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