वंश… तुम्हारी नन्ही मुस्कान को सलाम, दुनिया से जाते-जाते कई जिंदगियों को रोशन कर गया नन्हा फरिश्ता
चंडीगढ़ के एक छोटे बच्चे वंश ने दुनिया को अलविदा कहने से पहले कई जिंदगियों को रोशन किया। संगरूर के टोनी बंसल और प्रेमलता ने अपने बेटे को खोने के बाद भी अंगदान का साहसी फैसला लिया। पीजीआई के डॉक्टरों द्वारा वंश को ब्रेन डेड घोषित किए जाने के बाद माता-पिता ने यह निर्णय लिया।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। वंश अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसका नाम हमेशा एक फरिश्ते के रूप में याद रखा जाएगा, जिसने जाते-जाते कई जिंदगियों को रोशनी दी। संगरूर के लहरागागा निवासी टोनी बंसल और प्रेमलता ने इकलौते लाल को खोने के बाद भी जो फैसला लिया, वह सिर्फ साहसी नहीं, बल्कि इंसानियत की मिसाल बन गया।
डॉक्टरों ने घोषित किया ब्रेन डेड
18 मई को जब पीजीआई के डॉक्टरों ने वंश को ब्रेन डेड घोषित किया, तब माता-पिता ने आंसुओं के बीच वह निर्णय लिया, जिसे कोई भी मां-बाप सोच भी नहीं सकते। उन्होंने वंश की देह को दान कर दिया। पीजीआई के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी शिशु का अंगदान और देहदान एक साथ हुआ हो।
वंश के पिता टोनी बंसल ने कहा वंश तो चला गया, लेकिन उसके अंगों से किसी को रोशनी मिले, किसी की धड़कन दोबारा चले, यही हमारी सबसे बड़ी तसल्ली है।’ मां प्रेमलता ने कहा, ‘वो उस व्यक्ति की सांसों में जिंदा रहेगा, जिसे उसके अंगों से नई जिंदगी मिली है।’
PGI ने दी श्रद्धांजलि, कहा- यह साहस अतुलनीय
पीजीआइ के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने गहरी संवेदना जताते कहा कि बच्चे की मौत से बड़ा दुख कोई नहीं होता, लेकिन इस परिवार ने अपने गहरे दुख को एक नई उम्मीद में बदल दिया।
वंश भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी देह से होने वाला अनुसंधान न जाने कितने डाक्टरों को शिक्षित करेगा और अनगिनत मरीजों की सहायता करेगा। यह साहस हम सभी के लिए प्रेरणा है।
दस माह के वंश की फाइल फोटो l

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