एसटीपी : स्लम बस्तियों का फंड अनाधिकृत कॉलोनियों में लगाया
मनदीप कुमार संगरूर 110 करोड़ रुपये के एसटीपी की चल रही जांच के दौरान मंगलवार को बैठक हुई।
मनदीप कुमार, संगरूर
110 करोड़ रुपये के एसटीपी की चल रही जांच के दौरान मंगलवार को एक नई खामी सामने आई। प्रोजेक्ट अधीन स्लम बस्तियों पर खर्च किया जाने वाला फंड अनाधिकृत कॉलोनियों पर खर्च कर दिया गया। शिकायतकर्ता ने इसका बकायदा रिकार्ड, प्रोजेक्ट का नक्शा, अनाधिकृत कॉलोनियों में चल रहे प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य की तस्वीरों इत्यादि जांच अधिकारी-कम-सहायक कमिश्नर (शिकायतें) सिमरप्रीत कौर को सौंपी। जब जांच अधिकारी ने इसका जवाब सीवरेज बोर्ड, प्रोजेक्ट कंपनी शाहपुरजी प्लोंजी के अधिकारियों से मांगा तो वह कोई भी जवाब नहीं दे पाए। अधिकारियों के सुस्त रवैये पर सख्त फटकार लगाते हुए सहायक कमिश्नर ने सख्ती से कहा कि वह इस शिकायत की कार्रवाई रिपोर्ट बनाकर जल्द डीसी को सौंपेगी, जिसके बाद इनके खिलाफ बनती कार्रवाई की जाएगी।
पेशी के दौरान सीवरेज बोर्ड के एसडीओ तेजिदरपाल, जूनियर इंजीनियर कंपनी के मुलाजिम सुखजिदर सिंह शामिल हुए। मंगलवार को मेरा संगरूर मुहिम के तहत शिकायतकर्ता जतिदर कालड़ा ने 110 करोड़ प्रोजेक्ट संबंधी शिकायत की सुनवाई सहायक कमिश्नर सिमरप्रीत कौर एसडीएम दिड़बा समक्ष हुई। मुहिम के संयोजक व शिकायतकर्ता जतिदर कालड़ा ने बताया कि सीवरेज बोर्ड व शाहपुरजी पलोंजी कंपनी द्वारा स्लम व गरीब बस्तियों के विकास हेतु खर्च होने वाली 110 करोड़ रुपये प्रोजेक्ट की एक बड़ी रकम प्राइवेट अनाधिकृत कालोनियों के विकास पर खर्च कर दी गई है या खर्च हो रही है। जबकि इस रकम से शहर के बाहरी इलाके की स्लम बस्तियों को पहल के आधार पर प्रोजेक्ट अधीन कवर किया जाना था। उन्होंने सबूत के तौर पर स्लम बस्ती के अधर में लटके निर्माण व अनाधिकृत कालोनियों में चल रहे कार्य की तस्वीरें व एक नक्शा पेश किया। उन्होंने अनाधिकृत कालोनी की पूरी सूची सहायक कमिश्नर को सौंपी। कालड़ा ने बताया कि शहर की स्लम व गरीब बस्तियों में गत साठ वर्षों से आबादी बसी हुई है, लेकिन सीवरेज बोर्ड व कंपनी ने वहां पर विकास नहीं किया। जबकि प्रोजेक्ट के एग्रीमेंट अनुसार इन बस्तियों में पहले काम किया जाना था। एग्रीमेंट व नक्शे के विपरीत बोर्ड व कंपनी ने कम आबादी व खाली प्लांट वाली अनाधिकृत कॉलोनियों का विकास करवा दिया, यह नियम के खिलाफ है। पिछली पेशी दौरान कंपनी व सीवरेज बोर्ड से सहायक कमिश्नर द्वारा मांगा गया रिकार्ड भी मंगलवार तक जमा नहीं करवाया गया। सुनवाई के दौरान सहायक कमिश्नर सिमरप्रीत कौर ने सीवरेज बोर्ड को जवाब देने को कहा, तो वह स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। इस पर उन्हें लिखती जवाब देने की हिदायत की गई। कालड़ा ने जांच अधिकारी को बताया कि कंपनी ने एग्रीमेंट की शर्तों की उल्लंघना लगातार जारी है।
सहायक कमिश्नर सिमरप्रीत कौर ने बातचीत दौरान बताया कि इस शिकायत की जांच पूरी गंभीरता से की जा रही है। अब तक की जांच में सामने आया है कि एग्रीमेंट का समय 18 माह था, जबकि चार वर्ष तक काम पूरा नहीं हुआ है। वहीं जहां पर काम हुआ हैं, वहां पर भी खामियां सामने आ रही हैं। लाइटें अभी तक नहीं लगाई गई है। आज स्लम बस्तियों का फंड अनाधिकृत कालोनियों पर खर्च करने की शिकायत पेश हुई है, जिसका जवाब संबंधित कंपनी या सीवरेज बोर्ड अधिकारी मौके पर नहीं दे पाए हैं। पिछला मांगा रिकार्ड भी पेश नहीं किया है। जांच की रिपोर्ट जल्द डीसी को सौंपेगी, जिसके बाद इनके खिलाफ बनती सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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