आखिर कैसे दिखते थे शहीद ऊधम सिंह? सुनाम में चार प्रतिमाएं, सभी का चेहरा अलग
शहीद ऊधम सिंह जिन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया भारतीय इतिहास में अमर हैं। सुनाम उनकी जन्मभूमि में उनकी चार प्रतिमाएं स्थापित की गईं लेकिन कोई भी उनके असली चेहरे से मेल नहीं खाती। उनकी अस्थियां और वस्तुएं अभी भी विदेशी संग्रहालयों में हैं जिससे सुनाम के लोग अपने नायक की निशानियों के दीदार को तरस रहे हैं।

जागरण संवाददाता, संगरूर। देश की आजादी के इतिहास में शहीद ऊधम सिंह का नाम हमेशा अमर रहेगा। 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने वाले इस वीर सपूत ने 21 साल बाद लंदन में माइकल ओ’डवायर को मौत के घाट उतारकर अंग्रेजी हुकूमत को हिला दिया था।
हालांकि, विडंबना यह है कि जिस सुनाम को उनकी जन्मभूमि के तौर पर ‘सुनाम ऊधम सिंह वाला’ नाम दिया गया, वहां के लोग अपने इस नायक का असली चेहरा अब तक नहीं देख पाए हैं।
कारण, वर्ष 1970 से 2021 तक सुनाम में ऊधम सिंह की चार प्रतिमाएं स्थापित की गईं, परंतु इनमें से किसी भी प्रतिमा का चेहरा उनके वास्तविक रूप से मेल ही नहीं खाता। ऐसे में सुनाम में आने वाला हर व्यक्ति इन अलग-अलग प्रतिमाओं को देखकर यही सोचता है कि आखिर ऊधम सिंह का असली रूप कैसा था?
असली तस्वीरें मौजूद, फिर भी प्रतिमा काल्पनिक क्यों?
एडवोकेट गुरमीत सिंह जनाल कहते हैं कि कांस्य की प्रतिमा किसी साधारण सिपाही जैसी लगती है, जबकि बठिंडा रोड की प्रतिमा बिल्कुल अलग है। इतिहासकार और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि ऊधम सिंह की असली तस्वीरें मौजूद हैं, जिनसे हूबहू प्रतिमा बनाई जा सकती है।
अपने बलिदानी की निशानियों के दीदार को तरस रहा सुनाम सुनाम में ऊधम सिंह की स्मृति में यादगार और अजायब घर स्थापित किया गया है, लेकिन दुर्भाग्यवश उसमें न तो उनकी अस्थियां व राख रखी गईं और न ही वो वस्तुएं, जो उनके अंतिम दिनों की साथी थीं।
संग्रहालयों में मौजूद है उनसे जुड़ी वस्तुएं
उनकी डायरी, रिवाल्वर, कारतूस रखने का केस, कोट और अन्य वस्तुएं आज भी विदेश के संग्रहालयों में ही हैं। साहित्यकार राकेश कुमार कहते हैं कि सरकारी कालेज में रखे ऊधम सिंह की अस्थियों के दो कलश भी बठिंडा रोड स्थित उनकी यादगार में शिफ्ट नहीं किए गए हैं।
सीएम ने कहा था, असल चेहरे वाली प्रतिमा बनवाएंगे कामरेड वरिंदर कौशिक कहते हैं कि सरकार के पास तस्वीरें होने के बावजूद हर बार प्रतिमा का चेहरा काल्पनिक बनाया गया।
वर्ष 2023 में राज्य स्तरीय शहीदी दिवस समागम के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घोषणा की थी कि माहिर कारीगर से बुत बनवाकर लगाया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ी अपने नायक का असली चेहरा देख सके। यह वादा अधूरा है।
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