वर्षों से ताले में कैद है संगरूर के शाही परिवार की निशानियां
मनदीप कुमार, संगरूर जींद रियासत की राजधानी संगरूर का रियासत में बड़ा योगदान रहा है।
मनदीप कुमार, संगरूर
जींद रियासत की राजधानी संगरूर का रियासत में बड़ा योगदान रहा है। समय के साथ बेशक रियायती दौर खत्म हो गया है, लेकिन रियासत के साथ जुड़ी चीजें व संगरूर के शाही परिवार की रियासती वस्तुएं जैसे हथियार, पोशाकें, बंदूके, बर्तन, सिक्के आदि आज भी लोगों के दिलों में घर बनाए हुए हैं। इन बेशकीमती व अनमोल वस्तुओं को लोगों के देखने के लिए स्थानीय बनासर बाग में अजायबघर बनाकर सुरक्षित रखा गया, लेकिन अब पिछले कई वर्षों से लोग इन वस्तुओं का दीदार करने को तरस रहे हैं, क्योंकि आजायबघर की मरम्मत करवाने के लिए इसे ऐसा बंद किया गया कि आज तक लोगों को इसके दोबारा खुलने का इंतजार है।
एक म्यान में दो तलवारें है बेहद खास
कहावत है कि एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकती, लेकिन संगरूर के अजायबघर में एक ऐसी ही म्यान हैं जिसमें दो तलवारें डलती हैं। यह तलवारें बेहद खास हैं और सबसे बड़ी खासियत यही है कि यह दोनों तलवारें एक ही म्यान में एक साथ रखी जा सकती है।
रियासती वस्तुएं आज भी करती हैं अपनी कहानी बयां
राजा गजपत ¨सह, राजा भाग ¨सह, फतेह ¨सह, संगत ¨सह, सरूप ¨सह, रघवीर ¨सह, राजा रणबीर ¨सह की कई निशानियां इस आजायब घर की शौभा बढ़ा रही है। अजायब घर में जींद स्टेट के सिक्के, राजा-महाराजा सहित मेहमानों की पुरानी तस्वीरें, हाथों से तैयार की गई पें¨टग, हथियार, बाहर से हाथ छड़ी व भीतर छुपी तीखी तलवारें, बंदुकें, राजा साहिब की पौशाक, जींद स्टेट के मैडल, तकिए के कवर, फुलकारी, मेज कवर, चांदी के आभूषण आदि आज भी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं। तलवालों के हत्थियां जहां हाथी के दांत, शीशा, पत्थर के बने हैं, वहीं छोटी से छोटी व बड़ी तलवारों की अपनी ही अलग पहचान है।
जुबली अस्पताल की नींव रखने को इस्तेमाल हुआ चांदी का तसला
संगरूर का सिविल अस्पताल जिसे जुबली अस्पताल का नाम दिया गया था कि नींव खुद राजा रणबीर ¨सह ने अपने हाथों से रखी। इस दौरान चांदी का तसला, कस्सी सहित अन्य औजारों का इस्तेमाल किया गया। यह सभी वस्तुएं आज भी आजायब घर में रखी हुई है।
हस्त लिखित भगवत गीता भी बेहद खास
रियासती समय में ¨प्र¨टग का दौर अधिक न होने के कारण अधिक पुस्तकों के हाथ से ही लिखा जाता था, जिसमें से देवनागरी में हस्तलिखित श्री भगवत गीता भी आजायबघर में रखी गई है। इसके अलावा चांदी की मछली भी मौजूद है, जिसे छूने से ही मछली जैसे लचकदार महसूस होती है। जींद स्टेट की गोल्डन जुबली समागम दौरान राजा रणबीर ¨सह को मिले चांदी के ट्रे व अन्य सम्मान चिह्न भी मौजूद हैं।
तीन मंजिला टैंट की थी अपनी अलग ही शान
कहा जाता है कि संगरूर के राजा रणबीर ¨सह ने अपनी विरासत को नया रूप देने व संगरूर को विकसित करने में कई अहम फैसले लिये। जिनकी बदौलत आज भी शहर में उनके नाम से कई इमारतें मौजूद हैं। वह यहां एक तीन मंजिला टैंट भी लेकर आए, जो यहां किसी अन्य राजा के पास मौजूद नहीं था। इसके साथ का दूसरा टैंट केवल शाहजहां के बेड़े में ही शामिल था। इस टैंट की अपनी ही अलग शान थी, जिसे खास मेहमानों के स्वागत के लिए लगाया जाता था, जिसकी ऊंची तीन मंजिला इमारत से भी अधिक थी।
अधर में लटका मरम्मत का काम
आजायबघर की दीवारें, फर्श, लकड़ी का कार्य सहित बिजली की पूरी फि¨टग करने का कार्य आरंभ किया गया था। फर्श पर भले ही पत्थर लग चुका है, लेकिन पत्थर की रगड़ाई, लकड़ी का कार्य बीच में ही बंद कर दिया गया है। करीब डेढ़ वर्ष से इसी कारण आजायबघर बंद पड़ा हुआ है। बिजली की फि¨टग का काम अभी तक शुरू ही नहीं किया गया, जिस कारण अंदर रोशनी का भी प्रबंध नहीं है। पुरानी लाइटें व बिजली व्यवस्था पूरी तरह से खस्ता हो चुकी थी, जिसे दुरुस्त करवाने की सख्त जरूरत है।
हर माह पहुंचते थे 800 से अधिक पर्यटक
अब डेढ़ वर्ष से बंद पड़ा आजायब घर में हर माह 800 से अधिक पर्यटक इसे देखने के लिए पहुंचते थे। मात्र 10 व चार रुपये की फीस पर लोग रियासती समय की यादगार वस्तुओं को देखते थे, लेकिन अब यहां हर समय सन्नाटा छाया रहता है।
पब्लिक स्पीक्स
फोटो फाइल: 14
बनाया जाना चाहिए पर्यटक स्थल: शम्मी
स्वर्णकार आक्रमण ¨सह शम्मी का कहना है कि जींद रियासत का हिस्सा संगरूर का नाम इतिहास के पन्नो में सुनहरी अक्षरों में लिखा है, लेकिन सरकारों की अनदेखी की वजह से रियासती इमारतें मिट्टी में मिल रही हैं। यदि सरकार इन रियासती स्थलों को पुन:विकसित करें तो इन्हें अच्छा पर्यटक स्थल बनाया जा सकता है, जिसमें देश भर से पर्यटक आकर इस आजायबघर में रियासती वस्तुएं देख सकते हैं। इससे न केवल सरकार को अच्छा रैविन्यू मिल सकता है, बल्कि संगरूर शहर का व्यापार भी बढ़ेगा।
फोटो फाइल: 15
आने वाली पीढ़ी जान सकेगी अपना इतिहास: दिनेश
वकील दिनेश कुमार का कहना है कि वह छोटी आयु से इस आजायबघर को देखते आ रहे हैं, लेकिन अब लंबे समय से आजायबघर के बंद पड़े रहने की वजह से लोगों को यहां से वापस लौटना पड़ता है। आजायबघर को जल्द से दोबारा खोला जाना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी रियासती वस्तुओं को देख सके व संगरूर के इतिहास को करीब से जान सकें।
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सरकारों की उदासीनता भविष्य के लिए नहीं ठीक : आनंद
इनकम टैक्स वकील कमल आनंद का कहना है कि संगरूर ही नहीं बल्कि पंजाब भर में मौजूद ऐसी रियासती इमारतों व वस्तुओं की संभाल के लिए सरकार को गंभीरता दिखानी चाहिए। रियासती समय की वह रौनक दोबारा नहीं लौट सकती, लेकिन यदि इनकी संभाल करें तो इन्हें मिटने से बचाया जा सकता है। यदि सरकार अभी भी गंभीरता से कदम नहीं उठाएगी तो आने वाली पीढ़ी को इतिहास से परिचित कराने के लिए केवल किताबों का ही सहारा होगा।
- कुछ दिन पहले ही लिखा विभाग को पत्र : जसविंदर
आजायबघर में ड्यूटी पर तैनात पुरातन व सभ्याचारक विभाग के कर्मचारी जस¨वदर ¨सह ने बताया कि मरम्मत का कार्य बीच में ही रुकने के कारण आजायबघर खुलने में समय लग रहा है। उन्होंने अपने स्तर पर कार्य जल्द से जल्द पूरा करवाने व आजायब घर को खोलने का प्रबंध करने की खातिर पुरातन व सभ्याचारक विभाग के डायरेक्टर को पिछले माह ही पत्र लिखा है। उम्मीद है कि मरम्मत का कार्य जल्द ही दोबारा शुरू करवाया जाएगा व जल्द ही लोगों को फिर से रियासती वस्तुएं देखने का मौका मिलेगा।
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