पंजाब में वर्षा व तेज हवा से खेतों में बिछी धान की फसल, किसान परेशान
संगरूर में खेतों में खड़ी धान की फसल पर काले बादलों का खतरा मंडरा रहा है जिससे किसान चिंतित हैं। वर्षा और तेज हवा के कारण फसल जमीन पर गिर गई है। मंडियों में रखी धान भी भीग गई जिससे किसानों को नुकसान हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में भी मौसम ऐसा ही रहने की संभावना है।

नवदीप सिंह, संगरूर। खेतों में कटाई के लिए तैयार धान की फसल पर काले बादलों का खतरा मंडरा रहा है। जबकि यह समय आसमान पूरी तरह से साफ होना जरूरी होता है, ताकि अनाज के दाने सही तरीके से पक सकें और उन्हें किसी प्रकार की बीमारी न लगे। परन्तु दो दिन से बदले मौसम के मिजाज से खेतों में खड़ी फसल देखकर किसान परेशान हैं।
वर्षा व तेज हवा ने धान की फसल को झिंझोड़ दिया है। खेतों में कई जगह पर फसल जमीन पर गिर चुकी है, जिसे लेकर किसान चिंतित हैं। वहीं दूसरी तरफ मंडियों में फसल लिए बैठे किसान भी मुसीबत से बचे नहीं हैं, सोमवार को आई वर्षा ने मंडी में पड़ी धान पूरी तरह से भीग गई।
किसान फसल को तिरपाल से ढकने में लगे हुए थे। मंगलवार को भी मौसम खराब रहा बादल मंडराते रहे व दोपहर को तेज धूप भी निकली। मौसम विभाग के मुताबिक अभी एक-दो दिन तक मौसम ऐसा ही रह सकता है। अधिकतम तापमान 24 डिग्री व न्यूनतम तापमान 18 डिग्री रहा, जबकि पिछले दिनों तापमान 34-35 डिग्री चल रहा था। यानी तापमान में दस डिग्री तक गिरावट आ गई है।
उधर संगरूर के किसान भुपिंदर सिंह, जोगिंदर सिंह और गुरजीत सिंह का मानना है कि अगर मौसम एेसा ही रहा तो धान की पैदावार बड़े स्तर पर प्रभावित होगी। खेतों में धान करीब साठ प्रतिशत तक पक चुकी है, पंद्रह दिन के बाद पूरी तरह से पककर कट जाएगी।
वर्षा से कटाई में आएगी देरी
किसान बलवंत सिंह ने कहा कि यदि लगातार बादल, वर्षा व नमी रही तो इससे अधिक समय लग सकता है। धान की कटाई और पिछड़ सकती है, इससे आगे जाकर गेहूं की बुआई लेट होगी। इसका असर अप्रैल तक गेहूं कटने तक पड़ेगा। इन दिनों धूप और खुली हवा चलनी चाहिए, तभी जाकर धान की पैदावार अच्छी होती है।
सुनहरी से काले हुए दाने
किसानों ने बताया कि लगातार नमी और बीमारियों से धान इस बार बदरंग हो सकती है। अभी पिछले समय हल्दी रोग, झुलस रोग, तेला इत्यादि बीमारियों के कारण फसल के दाने काले हो गए हैं, अभी वर्षा के बाद बल्लियां धरती पर बिछ गई हैं, जिससे पानी में गलकर सड़ने का डर बन गया है। कंबाइन से भी बिछी फसल नहीं कट सकती। इसलिए किसानों के खर्च में बढ़ोतरी होगी।
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