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    नगर कौंसिल की सीनाजोरी, नहीं देता आरटीआइ से मांगी जानकारी

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 08 Dec 2020 03:28 AM (IST)

    सूचना का अधिकार भले ही लोगों को निर्धारित समय पर जानकारी मुहैया करवाने में है पीछे।

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    नगर कौंसिल की सीनाजोरी, नहीं देता आरटीआइ से मांगी जानकारी

    मनदीप कुमार, संगरूर :

    सूचना का अधिकार भले ही लोगों को निर्धारित समय पर जानकारी मुहैया करवाने के लिए बनाया गया था, लेकिन संगरूर की नगर कौंसिल इस कानून की जमकर धज्जियां उड़ा रही है। नगर कौंसिल से न तो आरटीआइ का जवाब दिया जाता है तथा न ही दफ्तर में आरटीआइ के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कोई बोर्ड लगाया गया है। यहां तक की नगर कौंसिल दफ्तर में आरटीआइ संबंधी पर्याप्त रिकार्ड रखा जाता। ऐसे में साफ है कि कौंसिल से किसी प्रकार की जानकारी हासिल करना आसान नहीं है। मांगी कई अहम जानकारी, नहीं मिला कोई जवाब

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    शहर निवासी योगेश मनचंदा ने बताया कि शहर में धड़ल्ले से कमर्शियल इमारतों का निर्माण हो रहा है। इमारतों के निर्माण से पहले नक्शा पास करवाना भी नगर कौंसिल से जरूरी है। इस संबंधी उन्होंने नगर कौंसिल में वर्ष 2018 से अब तक कितने कामर्शियल व आवासीय नक्शे अप्लाई हुए व पास किए गए। कितने नक्शे बकाया हैं। सुनामी गेट रोड पर कवर किए गए गंदे नाले पर कितनी दुकानें बेची गई, कितने की रजिस्ट्री हुई, कितनी नगर कौंसिल को इनकम हुई, इस आमदन को कहां पर खर्च किया व किसके आदेशों पर खर्च की गई, कितनी रजिस्ट्रियां बाकी हैं, कितना लोगों की तरफ बकाया बाकी है। किस नियम के तहत दुकानों को बेचा गया संबंधी कई माह पहले आरटीआइ डाली गई थी, लेकिन नगर कौंसिल ने अभी तक इसका जवाब नहीं दिया। बार-बार रिमाइंडर डालने के बाद भी नगर कौंसिल जानकारी देने से भाग रही है। नगर कौंसिल का आरटीआइ के प्रति रवैया निराशजनक

    शहर निवासी रवि पाहुजा ने कहा कि नौ अक्टूबर 2020 को उनकी तरफ से नगर कौंसिल को ई-रेगुलराइजेशन के तहत कितनी कालोनी को रेगुलर किया गया। कितने नक्शे पास किए गए। कालोनियों को रेगुलर करने से नगर कौंसिल को कितनी इनकम हुई, यह रकम कहां खर्च की गई की जानकारी मांगी गई थी। इसके अलावा संगरूर नगर कौंसिल ने वर्ष 2000 से वर्ष 2020 तक कितनी संपति बेची गई, जिसकी तरफ से संपति बेचने के लिए मंजूरी दी गई। संपति बेचने से कितनी आमदन हुई व इस आमदन को नगर कौंसिल द्वारा कहां पर खर्च किया गया। इसके अलावा शहर को सोहियां रोड पर मौजूद होटल-कम मैरिज पैलेस का नक्शा कब पास किया गया, कितु इसकी भी जानकारी नहीं दी। पिछले एक वर्ष दौरान डाली गई विभिन्न आरटीआइ का भी जवाब नगर कौंसिल ने उन्हें नहीं दिया है। रवि ने कहा कि एक आरटीआई का समय पर जवाब देने पर नगर कौंसिल के कार्यसाधक अफसर को पांच हजार का जुर्माना भी हो चुका है। निर्धारित समय पर जानकारी देना है अनिवार्य

    आरटीआई एक्टीविस्ट जतिदर जैन का कहना है कि आरटीआइ के तहत मांगी गई जानकारी संबंधित विभाग द्वारा निर्धारित समय पर देना अनिवार्य है। नगर कौंसिलों से आरटीआइ के तहत मांगी गई जानकारी प्रदान न करना के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन इस प्रति कमीशन भी गंभीरता से कार्य नहीं कर रहा है। नगर कौंसिल से आरटीआइ की जानकारी न देने पर नगर कौंसिल का कार्यसाधक अफसर जिम्मेदार है। नियमों का उल्लंघन करने वाले नगर कौंसिल पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। कमीशन की सुस्ती के कारण नगर कौंसिलों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। नगर कौंसिलों के पास न तो पर्याप्त आरटीआइ का रजिस्टर नगर कौंसिल के पास है तथा न ही फीस की रसीद काटी जाती है। जिस कारण नगर कौंसिल को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। जल्द दी जाएगी जानकारी, लगाएं जाएंगे बोर्ड

    नगर कौंसिल के कार्यसाधक अफसर रमेश कुमार से इस संबंधी की गई बात दौरान उन्होंने कहा कि नगर कौंसिल हर प्रकार की जानकारी आरटीआई तहत देने के लिए वचनबद्ध है व हर आरटीआई का समय पर जानकारी दी जा रही है। बोर्ड भी नगर कौंसिल में जल्द लगाए जाएंगे, ताकि नगर कौंसिल में आने वाले हर व्यक्ति को अधिकार की जानकारी मिल सकें व लोग आरटीआइ का फायदा उठा सकें। लोगों को किसी भी प्रकार की आरटीआइ संबंधी समस्या पेश नहीं आने दी जाएगी।