पंजाब के ये तीन शहर पवित्र घोषित, विधानसभा में पारित हुआ प्रस्ताव; शराब समेत किन-किन चीजों पर लगेगा प्रतिबंध?
पंजाब के तीन तख्तों वाले शहरों के अंदरूनी इलाके पवित्र घोषित किए गए हैं, जहाँ शराब, तंबाकू और मांस की बिक्री और सेवन पर पाबंदी होगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा के विशेष सत्र में यह प्रस्ताव पेश किया, जो सर्वसम्मति से पारित हो गया। सत्र में केंद्र सरकार की आलोचना की गई और गुरु तेग बहादुर साहिब के बलिदान को याद किया गया। सरकार इन शहरों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

पंजाब के तीन शहर पवित्र घोषित, विशेष सत्र में निशाने पर रहा केंद्र। फाइल फोटो
इन्द्रप्रीत सिंह, श्री आनंदपुर साहिब (रूपनगर)। पंजाब में स्थित तीन तख्तों वाले शहरों के अंदरूनी इलाके (वाल्ड सिटी) अब पवित्र स्थान होंगे। यहां पर शराब, तंबाकू और मांस न तो बिकेगा और न ही सेवन किया जा सकेगा। ये तीनों तख्त श्री अकाल तख्त साहिब (अमृतसर), श्री दमदमा साहिब (तलवंडी साबो, बठिंडा) और तख्त श्री केसगढ़ साहिब (श्री आनंदपुर साहिब) में हैं।
सोमवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने श्री आनंदपुर साहिब में विधानसभा के विशेष सत्र में यह प्रस्ताव पेश किया जो सर्वसम्मति से पारित हो गया। राज्य में पहली बार चंडीगढ़ के बाहर विधानसभा का कोई सत्र बुलाया गया था। यह सत्र श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस को समर्पित था।
खास बात यह है कि भाई जैता जी मेमोरियल हाल में कराए गए विधानसभा के विशेष सत्र में भाजपा विधायकों को छोड़ शेष सभी विधायकों ने पंजाब के हकों को लगातार छीनने को लेकर केंद्र सरकार की सख्त शब्दों में आलोचना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार इनके विकास व सुरक्षा और यहां धार्मिक टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जरूरी बजट देगी और केंद्र सरकार से भी फंड मांगेगी।
वाल्ड सिटी में शराब, तंबाकू और मीट की दुकानें चला रहे लोग कहीं और काम करना चाहते हैं, तो सरकार मदद भी करेगी।मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भाजपा का नाम लिए बगैर कहा कि कोई गलत फहमी में न रहे, पंजाब अपने हकों को लेना जानता है। जो चाहो प्यार से लो, अगर बांह मरोड़ने की कोशिश करोगे तो पंजाब मुंहतोड़ जवाब देने के लिए खड़ा है।
श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के बलिदान पर मुख्यमंत्री ने भावुक लहजे में कहा कि उनके बलिदान पर कुछ लिखना चाहे तो धरती रूपी स्लेट, इस पर लगे पेड़ों रूपी कलम व समुद्र रूपी स्याही कम पड़ जाएगी।
कहा कि कश्मीरी पंडितों को लेकर आए कृपा राम ने तब गुरु तेग बहादुर साहिब से सहायता मांगी जब मुगल सम्राट औरंगजेब हर रोज मन (40 किग्रा) के करीब जनेऊ उतरवाकर लोगों को जबरन मुस्लिम बनाता था। उन्हीं कृपा राम ने बाद में अमृत छककर खालसा पंथ ग्रहण किया और चमकौर की गढ़ी में शहादत दी।
विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब को 'हद की चादर' कहने के बजाय 'सृष्टि की चादर' कहना चाहिए। भाजपा का नाम लिए बिना बाजवा ने कहा कि देश पर राज कर रही सरकार इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश कर रही है। इस पर भाजपा विधायक अश्वनी शर्मा ने बाजवा का नाम लेते हुए कहा कि आज राजनीति पर बात करने की जरूरत नहीं है, लेकिन कुछ लोग आदत से मजबूर हैं।
कहा कि जनेऊ और तिलक सिर्फ पंडितों की निशानी नहीं थी, उस समय यह सनातन की पहचान थी जिसे बचाने के लिए गुरु साहिब ने अपना बलिदान दिया। इसी कारण उन्हें हद दी चादर कहा गया। बलिदान की यह परंपरा रुकी नहीं बल्कि गुरु पुत्रों तक गई।

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