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48 में से 24 स्टाफ नर्सो के सहारे चल रहा जिला अस्पताल

एक तरफ कोरोना के बढ़ते केस के मद्देनजर एक बार फिर विपदा का स्थित आ खड़ी हुई है दूसरी तरफ सदर मुकाम के सिविल अस्पताल में स्टाफ नर्सों की कमी के खिलाफ नर्सों ने ही हल्ला बोल दिया है।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 24 Feb 2021 10:05 PM (IST)
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48 में से 24 स्टाफ नर्सो के सहारे चल रहा जिला अस्पताल

जागरण संवाददाता, रूपनगर: एक तरफ कोरोना के बढ़ते केस के मद्देनजर एक बार फिर विपदा का स्थित आ खड़ी हुई है, दूसरी तरफ सदर मुकाम के सिविल अस्पताल में स्टाफ नर्सों की कमी के खिलाफ नर्सों ने ही हल्ला बोल दिया है। उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ के 48 पद मंजूर हैं, लेकिन इनमें से 24 ही भरे हुए हैं। भरी हुई पोस्टों में से तीन स्टाफ नर्स डेपुटेशन पर नर्सिंग स्कूल में ड्यूटी दे रही हैं। चार नर्सिंग स्टाफ फील्ड की ड्यूटी से हटाकर सिविल अस्पताल में लगाई गई है, लेकिन इसके बावजूद स्टाफ नर्सों की कमी खल रही है। दिन में तो स्टाफ नर्सों का सहयोग नर्सिंग स्कूल की छात्राएं करती हैं, लेकिन ज्यादा पोस्टें खाली होने की वजह से ड्यूटी दे रही स्टाफ नर्सों पर अतिरिक्त बोझ है। बुधवार को स्टाफ नर्सों ने सिविल सर्जन दफ्तर के समक्ष इकट्ठे होकर सिविल सर्जन हाय हाय, एसएमओ हाय हाय, और साडा स्टाफ पूरा करो के नारे लगाए। इस दौरान उनके नर्सिंग स्कूल की छात्राएं भी शामिल थीं। वहीं मौके पर सिविल सर्जन डा. दविदर कुमार ने दफ्तर के कर्मचारी को भेजकर नर्सिंग स्कूल की छात्राओं को स्कूल जाने की हिदायत दी। सुबह सवा 10 बजे अस्पताल की समूह स्टाफ नर्सों की साझी एक्शन कमेटी की अगुवाई में स्टाफ नर्सों ने कामकाज बंद रखा। मांगपत्र सौंपने के बाद भी नहीं हुई कोई कार्रवाई जिला नर्सिंग एसोसिएशन की प्रधान कमलजीत कौर, उपाध्यक्ष गुरिदर कौर, संदीप रावत व अमनप्रीत ने कहा कि उन्होंने 18 फरवरी को एसएमओ रूपनगर को पत्र लिखकर उनकी मांगों की तरफ ध्यान देने की मांग की थी, लेकिन उनकी मांगों को नजरंदाज करने के विरोध स्वरूप उन्हें प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने एसएमओ को लिखे पत्र की प्रति सिविल सर्जन रूपनगर को भी भेजी थी। इसमें लिखा था कि सिविल अस्पताल की सात यूनिटों में विभिन्न तरह के मरीज दाखिल होते हैं। इन यूनिटों में काम करने के लिए जरूरी स्टाफ नर्सों की कमी है। आमतौर पर स्टाफ नर्सों को एक समय में दो या तीन वार्ड देखने पड़ते हैं, जोकि काफी मुश्किल है। लेबर एक्ट के मुताबिक मंजूरशुदा पोस्टें भरी होनी चाहिए, लेकिन यहां स्टाफ नर्सों को अपनी ड्यूटी से कई गुणा ज्यादा काम करना पड़ रहा है।

स्टाफ नर्सों की पोस्टों के बारे में एसएमओ जो रिपोर्ट बनाकर भेजेंगे, वह उच्चाधिकारियों को भरने के लिए भेजी जाएगी। वैसे भी हरेक 15 दिन बाद खाली पोस्टों के बारे में जानकारी उच्चाधिकारियों को रुटीन में भेजी जाती है। उम्मीद है कि स्वास्थ्य विभाग जल्द खाली पदों को भरेगा।

डा. दविदर कुमार, सिविल सर्जन।