Saria Rate In Punjab: एक साल में सरिया के भाव आए 1800 रुपये प्रति क्विंटल नीचे, जानें पंजाब में क्या है रेट
कोविड के बाद सरिया के दाम में इस कदर आग लगी कि सरिया का दाम फिर दोबारा नीचे नहीं आया। सरिया की मांग में वो तेजी नहीं आ पाई है जितनी व्यापारियों को उम्मीद थी। वीरवार की मार्केट में सरिया का दाम आया है वो 6560 रुपये प्रति क्विंटल है।
रूपनगर, अजय अग्निहोत्री । Saria Rate In Punjab/Saria Price In Punjab। कोविड के बाद सरिया के दाम में इस कदर आग लगी कि सरिया का दाम फिर दोबारा नीचे नहीं आया। यही वजह है कि सरिया की मांग में वो तेजी नहीं आ पाई है, जितनी व्यापारियों को उम्मीद थी। वीरवार की मार्केट में सरिया का दाम आया है वो 6560 रुपये प्रति क्विंटल है।
सरिया का दाम सोने के भाव की तरह हर रोज ऊपर नीचे जा रहा है। कभी दो सौ तीन सौ रुपये ऊपर तो कभी दो सौ तीन सौ रुपये नीचे। जब जागरण संवाददाता ने सरिया व्यापारियों से बात की तो ये तथ्य सामने आया कि व्यापारियों की उम्मीद के मुताबिक सरिया की डिमांड नहीं बढ़ रही है।
6700 प्रति क्विंटल था दस दिन पहले दाम
रूपनगर एंटरप्राजिज के मालिक नविंदर सिंह ने कहा कि सरिया का दाम दस दिन पहले 6700 प्रति क्विंटल था। डेढ़ माह पहले सरिया का दाम 6900 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था। चार माह पहले सरिया का दाम 6500 के आसपास बिक रहा था। बाजार में सरिया की डिमांड सामान्य ही कही जा सकती है। कोई उछाल नहीं है। अब मानसून का सीजन शुरू होने वाला है तो डिमांड के और कम होने के आसार हैं।
एक साल पहले 1800 प्रति क्विंटल अधिक था दाम
1 साल पहले अप्रैल माह से अब के दाम का मुकाबला करें तो दाम 18 सौ रुपये प्रति क्विंटल अधिक था। अप्रैल 2022 में सरिया का दाम 8300 रुपये प्रति क्विंटल तक चला गया था। उसके बाद सरिया का दाम बेशक नीचे आया है लेकिन सरिया का दाम कब बहुत ज्यादा ऊपर और कब नीचे चला जाए कहा नहीं जा सकता।
लॉकडाउन के वक्त 4600 रुपये था प्रति क्विंटल दाम
कोरोना के समय से लेकर अब तक सरिया का दाम 1960 रुपये प्रति क्विंटल ऊपर है। 23 मार्च 2020 को जब कोरोना की वजह से पंजाब में लॉकडाउन लगा तब मार्केट में सरिया का दाम 4600 प्रति क्विंटल था। तब से लेकर सरिया का दाम ऊपर ही गया।
पंजाब में 60 हजार टन की एक माह में है खपत
ज्योति सरिया के एरिया मैनेजर कपिल शर्मा ने कहा कि पंजाब में सरिया की अनुमानित 60 हजार टन प्रतिमाह की खपत है। इसमें कुछ कम ज्यादा होता रहा है। ऐसा तब होता है जब सीमेंट के दाम बढ़ते हैं या लोगों या कांट्रेक्टर द्वारा मकान बनाने में कोई अड़चनें आने लगती हैं।