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    मंडियों में गेहूं की खरीद का काम पूरा, लिफ्टिग व भुगतान रहा संतोषजनक

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 22 May 2022 04:34 PM (IST)

    जिले की मंडियों में गेहूं की खरीद का काम संपन्न हो चुका है।

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    मंडियों में गेहूं की खरीद का काम पूरा, लिफ्टिग व भुगतान रहा संतोषजनक

    संवाद सहयोगी, रूपनगर :

    जिले की मंडियों में गेहूं की खरीद का काम संपन्न हो चुका है। लिफ्टिंग का काम पूरा होने के साथ-साथ भुगतान की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। लेकिन किसान फिर भी मायूस देखे गए, क्योंकि इस बार मौसम की मार के कारण गेहूं का उत्पादन काफी प्रभावित रहा।

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    वैसे इस बार जनवरी के शुरू तक अंदाजा लगाया जा रहा था कि जिस हिसाब से खेतों में गेहूं की फसल लहलहा रही है उससे किसानों को गेहूं का अच्छा झाड़ मिलेगा, लेकिन जनवरी व फरवरी में हुई बारिश एवं मौसम के बिगड़े मिजाज ने किसानों की आशाओं पर पानी फेर दिया, जो थोड़ी बहुत फसल के बचने की उम्मीद बची थी उस पर मार्च माह के शुरू में ही समय से पहले पड़नी शुरू हुई गर्मी ने काफी बुरा प्रभाव डाला। परिणामस्वरूप गेहूं का दाना समय से पहले पकने के कारण बारीक रह गया। इस बार 80 हजार हेक्टेयर में हुई थी खेती

    जिले अंदर इस बार 80 हजार हेक्टेयर में गेहूं की काश्त की गई थी तथा उम्मीद थी कि किसानों को अच्छी फसल मिलेगी, लेकिन मौसम के बिगड़े मिजाज के चलते इस बार किसानों को प्रति एकड़ चार से पांच क्विंटल तक झाड़ कम मिला है, जोकि किसानों को मायूस करने वाला है। दो साल किसानों को कोरोना ने मायूस किया तो इस बार मौसम दगा दे गया।

    जिला खाद्य एवं आपूर्ति कंट्रोलर सतबीर सिंह मावी के अनुसार पिछले साल जिले के अंदर मंडियों में 19 लाख 94 हजार 980 क्विटल गेहूं की आमद एवं खरीद हुई थी, जबकि इस बार जिले अंदर 28 खरीद केंद्रों एवं मंडियों में 12 लाख 44 हजार 150 क्विटल गेहूं की आमद हुई, जोकि पिछले साल की तुलना में सात लाख 50 हजार क्विटल कम है। 25 प्रतिशत से तक की आई कमी

    जिले के किसान सोहन सिंह धमाना ने बताया कि उनके गांव में लगभग हर किसान के खेत में लगभग 20 से 25 प्रतिशत उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसी प्रकार रेशम सिंह तथा इकबाल सिंह ने कहा कि हर साल उनके खेतों से 70-75 क्विटल गेहूं की पैदावार होती थी, लेकिन इस बार 55 से 60 क्विटल ही हुआ है। उन्होंने सरकार से किसानों को मुआवजा देने की मांग भी उठाई। इस बार हुई खरीद पर अगर नजर डालें तो खरीद में सबसे आगे पनग्रेन रहा है, जबकि एफसीआइ ने सबसे कम खरीद की है।

    इस बार की खरीद एजेंसी क्विंटल

    पनग्रेन 3,52,470

    मार्कफेड 3,40,510

    पनसप 2,16,240

    पंजाब वेयर हाउस 1,38,080

    एफसीआइ 98,010

    व्यापारियों 97,840