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नारायण बनने के लिए मानव जीवन में भगवान का भजन करना जरूरी

आध्यात्मिक सम्मेलन शुक्रवार को नया नंगल सेक्टर दो के रामलीला मैदान में भक्तिमय वातावरण में शुरू हो गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Dec 2019 10:37 PM (IST)Updated: Fri, 27 Dec 2019 10:37 PM (IST)
नारायण बनने के लिए मानव जीवन में भगवान का भजन करना जरूरी
नारायण बनने के लिए मानव जीवन में भगवान का भजन करना जरूरी

जागरण संवाददाता, नंगल

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आध्यात्मिक ज्ञान की अमृतधारा से प्राणी मात्र का मार्गदर्शन करने के लिए आयोजित तीन दिवसीय विराट आध्यात्मिक सम्मेलन शुक्रवार को नया नंगल सेक्टर दो के रामलीला मैदान में भक्तिमय वातावरण में शुरू हो गया। डेरा बाबा रुद्रानंद जिला ऊना के संचालक परम पूज्य वेदांताचार्य सुग्रीवानंद जी महाराज का सम्मेलन में पहुंचने पर भव्य स्वागती द्वार लगाकर भक्तजनों ने गगनभेदी जयघोषों से उनका स्वागत किया। इस दौरान डेरा के आचार्य हेमानंद जी, सेवक मंडल नंगल के अध्यक्ष आचार्य निरंजन शास्त्री, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रो. शिव कुमार शर्मा आदि सहित भजनोपदेशकों ने डेरा के दिव्य गुणों का व्याख्यान करते हुए डेरा की अरंमपार महिमा से अवगत करवाया। उन्होंने लोगों से आह्वान किया गया कि वेद ग्रंथों के अमूल्य उपदेशों के ज्ञान से मानवता का मार्गदर्शन करने के लिए गुरु-शिष्य परंपरा तथा धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजनों को बरकरार रखा जाना चाहिए। इसस पहले श्री गीता में मंदिर में पहुंचने पर पूज्य श्री का तिलक लगाकर बैंडबाजों के साथ डेरा बाबा रुद्रानंद सेवक मंडल नंगल ने अभिनंदन किया गया। सम्मेलन में आचार्य हेमानंद जी ने कहा कि हरी का नाम पापों को हरने वाला है। एक बार किसी ने जाने या अंजाने में भी हरी का नाम ले लिया, तो उसके सब पापों का नाश हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सभी का सौभाग्य है कि पूज्य स्वामी सुग्रीवानंद महाराज की अपार कृपा से उनके तीन दिन तक प्रवचन सुनने का सुअवसर प्राणी मात्र को प्राप्त हुआ है। उपदेशों को अपने अंत:करण में धारण करने की प्रेरणा भी उन्होंने अपने प्रवचनों में दी। वहीं वेदांताचार्य सुग्रीवानंद जी महाराज ने कहा कि मनुष्य संस्कारवान बनने की दिशा में धर्म मर्यादाओं के अनुरूप जीवन यापन करे। मनुष्य का आचरण भी शुद्ध होना चाहिए, क्योंकि धर्म ही आचरण है। पूज्य श्री ने कहा कि श्री गीता में भगवान मनुष्य को कहते हैं मैंने तुझे नर बना दिया है, नर बनना तुम्हारा काम है। वैदिक धर्म के उत्थान के लिए अपने पूरे जीवन को समर्पित करके मानवता का मार्गदर्शन कर रहे सुग्रीवानंद जी ने कहा कि नारायण बनने के लिए प्रभु का भजन करना जरूरी है और साथ ही आहार व आचरण की सात्विकता भी अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि यह जानते हुए भी आज का प्राणी नियमित आचरण नहीं कर रहा है। धर्म के बिना जीवन कुछ नहीं है। अच्छे गुणों को धारण करना ही धर्म है। पूज्य श्री ने 84 लाख योनियों के बाद मिले मनुष्य के शरीर के माध्यम से धर्म मर्यादाओं का पालन करने की प्रेरणा भी संगत को दी। पूज्य श्री ने कार्यक्रम में पहुंच पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा केपी सिंह का भी स्वागत कर उन्हें सेवा कार्यो को जारी रखने की प्रेरणा दी। इन्होंने भी भरी कार्यक्रम में हाजिरी कार्यक्रम में सेवक मंडल नंगल के अनिल अग्रवाल, जेके दत्ता, डा. शिव पाल कंवर, दीपक शर्मा हैप्पी सरपंच, संजीव सहोड़, आरएन शर्मा, सुभाष शर्मा, दीपक जोशी, सुनील उप्पल, अश्वनी अजौली, चितरंजन शर्मा, सुभाष चीटू, डा. संजीव गौतम, महेश शर्मा, राजेश शर्मा, जगदीश चोपड़ा, डा. अशोक शर्मा, गिरीश जसवानी, पदम नाभ पुरी, राकेश कुमार, नंबरदार राम, सुधीर शर्मा, अविनाश, प्रह्लाद गौतम व हरी ओम सहित सतीश कुमार, संजय मैहता, विकास सहगल व प्रवीन कुमार ने भी शिरकत की। वहींअनिल भट्ट, नीरज अग्रवाल, विनाल सेठ, रिक्की सहगल, अश्वनी फौजी के अलावा नगर कौंसिल के चेयरमैन अशोक पुरी, ब्लाक कांग्रेस नंगल के प्रधान संजय साहनी, उमाकांत शर्मा, दीपक नंदा, पूर्व पार्षद सुरेंद्र पम्मा, कपूर सिंह सहित पूज्य श्री के शिष्य परमजीत संदल, जसबंत सिंह, राजीव शर्मा, अरविंद जोशी, सुरेश मनन पस्सीवाल, पार्षद संजीव राणा, संदीप धवन, गुरदेव सिंह बिल्ला आदि सहित दूर-दराज से आए भक्तजन भी कार्यक्रम में मौजूद रहे। सम्मेलन का लाभ उठाकर करें उपदेशों का पालन : स्पीकर

वहीं पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा केपी सिंह ने नंगल आए स्वामी सुग्रीवानंद जी का इलाकावासियों की तरफ से स्वागत करते उनका आभार जताया। उन्होंने कहा कि मध्य युग में हमारी धर्म संस्कृति पर कई कटाक्ष हमले व जोरदार दबाव बना रहा। बावजूद इसके हिदू धर्म सामाजिक समरसता तथा प्रभु चरणों में लीन रहने का अध्यात्मिक संदेश देता रहा। ये सब स्वामी सुग्रीवानंद जी जैसी शख्सियतों के प्रयासों से ही संभव हो सका है। शंकराचार्य जी जैसे लोग यदि न होते, तो आज हम सभी भी न होते। स्पीकर ने बड़ी संख्या में उपस्थित संगत को धर्म उपदेशों के ज्ञान का लाभ उठाने के विचार रखते हुए यह भी आग्रह किया कि सभी उपदेशों का अपने जीवन में पालन भी जरूर करें, ताकि मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सके।


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