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    रूपनगर: तख्त श्री केसगढ़ साहिब में शुरू हुआ नया अध्याय, ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज की जत्थेदार के रूप में ताजपोशी

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 05:48 PM (IST)

    तख्त श्री केसगढ़ साहिब में ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज की जत्थेदार के रूप में ताजपोशी की गई। यह ताजपोशी पंथक रीति-रिवाजों के अनुसार हुई, जिससे पहले की नियुक्ति को लेकर सिख जत्थेबंदियों में उपजा विवाद समाप्त हो गया। पूर्व जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने उन्हें पगड़ी पहनाई। ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने धर्म परिवर्तन पर चिंता जताई और सभी से एकजुट रहने का आह्वान किया।

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    तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज की हुई ताजपोशी (फाइल फोटो)

    संवाद सहयोगी, आनंदपुर साहिब\रूपनगर। तख्त श्री केसगढ़ साहिब में आयोजित विशेष सम्मान समारोह में ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज को श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी और श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार नियुक्त किए जाने के बाद पैदा हुआ विवाद समाप्त हो गया। पंथक रीति रिवाजों के आधार पर जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज की आज एक बार फिर से दस्तारबंदी की गई है।

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    सिख जत्थेबंदियों द्वारा करीब आठ माह से चल आ रहा यह विवाद आज खत्म हो गया। इस समारोह दौरान पूर्व जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज को पगड़ी पहनाई। विशेष सम्मान समारोह में सिख और निहंग जत्थेबंदियां मौजूद थी।

    इस मौके पर ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने सभी सिख जत्थेबंदियों को एकजुट होकर श्री अकाली तख्त साहिब की छत्रछाया में चलने की बात कही। उन्होंने पंजाब में हो रहे धर्म परिवर्तन पर चिंता व्यक्त की। इसके अलावा उन्होंने मोगा में पति पत्नी द्वारा नशों के लिए अपनी ही औलाद को बेचने की घटना पर भी दुख व्यक्त किया।

    सियासी दबाव में बदले समीकरण

    एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी और श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह दोनों ने सियासी दबाव में गड़गज की नियुक्ति को स्वीकार कर लिया है। पहले एसजीपीसी ने दस मार्च को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी, गुरु पंथ और संगत की हाजिरी से बिना ही जत्थेदार गड़गज की दस्तारबंदी कर दी थी। जिसके कारण कई पंथक जत्थेबंदियों और संप्रदाय नाराज थी।

    सूत्रों के अनुसार शिरोमणि अकाली दल (बादल) के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने दस मार्च की आधी रात को गुप्त ढंग से गड़गज को जत्थेदार नियुक्त किया था। जिससे वह पंथ में अपनी कमजोर हो रही पकड़ को दोबारा मजबूत कर सकें। लेकिन जब इसका विरोध हुआ तो सुखबीर सिंह बादल ने निजी तौर पर दखल दिया। प्रमुख सिंह संगठनों और संप्रदाय से मुलाकात की और उनको गड़गज को स्वीकार करने की अपील की। इसके लिए ताजपोशी समारोह दोबारा आयोजित किया गया।

    माहिरों का कहना है कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह के शिरोमणि अकाली दल पुनर्वास में शामिल होने के बाद पंथक हलकों में अकाली दल बादल प्रति असंतोष बढ़ गया है। इसके कारण सुखबीर बादल अब सिख जत्थेबंदियों को अपने के साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

     यह इतिहास में पहली बार हुआ है, जब एसजीपीसी द्वारा नियुक्त किए जत्थेदार की बार बार ताजपोशी की जा रही है और संगत से उनको जत्थेदार मानने के लिए कहा जा रहा है। पंथक हलकों में इसको सिख परंपराओं के लिए शर्मनाक स्थिति बताया जा रहा है। पंथक माहिरों का मानना है कि अब राजनीति एसजीपीसी पर हावी होती जा रही है। जिसके कारण यह सारा घटनाक्रम सामने आ रहा है।