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    Panchsheel Agreement: आज ही के दिन नंगल में हुआ था चीन से समझौता, पीएम नेहरू ने खुद चुना था 'पंचशील' शब्द

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    Updated: Wed, 27 Apr 2022 08:47 PM (IST)

    भाखड़ा बांध परियोजना के निर्माण काल के समय 28 अप्रैल 1954 को नंगल में ही भारत और चीन के मध्य पंचशील समझौता हुआ था। जहां यह समझौता हुआ वहां एक शिला पट्टिका लगी हुई है। ग्लास हाउस को भी संजोकर रखा हुआ है।

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    नंगल में भाखड़ा बांध निर्माण के दौरान आए चीन के प्रधानमंत्री चो इन लाई को बांध दिखाते हुए प्रधानमंत्री नेहरू।

    सुभाष शर्मा, नंगल। हरित क्रांति का सपना साकार करने वाली भाखड़ा बांध परियोजना के निर्माण काल के समय 28 अप्रैल, 1954 को नंगल में ही भारत और चीन के मध्य पंचशील समझौता हुआ था। जहां यह समझौता हुआ था वहां के ग्लास हाउस को आज भी संजोकर रखा हुआ है। हाउस के सामने एक शिलापट्ट भी स्थापित है, जिस पर पंचशील समझौते की तिथि व उद्देश्यों का उल्लेख किया गया है।

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    जब बांध का निर्माण चल रहा था, तब प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू विदेशी प्रधानमंत्रियों व अन्य शख्सियतों को आमंत्रित कर गर्व से निर्माण कार्यों के बारे जानकारी दिया करते थे। जब चीन के प्रधानमंत्री चो इन लाई भारत आए तो उनके साथ भारत और चीन के मध्य आर्थिक व राजनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने के लिए पंचशील समझौता किया गया।

    13 बार भाखड़ा बांध निर्माण देखने नंगल आए प्रधानमंत्री नेहरू 

    भाखड़ा बांध के निर्माण के समय पंडित नेहरू 13 बार नंगल आए थे। उन्हें पता था कि भाखड़ा बांध परियोजना ही उत्तर भारत में बाढ़ जैसी त्रासदी को रोक कर हरित क्रांति लाने का सपना साकार कर सकती है। उस समय भाखड़ा बांध विश्व का सबसे ऊंचा बांध था। 

    समझौते का संदेश देती शिलापट्टिका। जागरण

    पंडित नेहरू के बाद देश का कोई भी प्रधानमंत्री भाखड़ा बांध परियोजना को देखने तक नहीं आया है। यहां तक कि कांग्रेस के संस्थापक नेहरू परिवार के एक भी सदस्य ने भाखड़ा बांध देखने की जरूरत समझी, जबकि बांध को देखने के लिए हर वर्ष करीब पांच लाख से अधिक पर्यटक देश के कोने-कोने से भाखड़ा नंगल आते हैं। बताया जाता है कि आजाद भारत में भाखड़ा बांध का निर्माण विदेश में भी एक बड़ा आकर्षण था। सभी यह देखना चाहते थे कि आखिर बांध परियोजना के निर्माण का व्यापक मकसद क्या है।

    नंगल में भाखड़ा ब्यास प्रबंध बोर्ड की ओर से संजोय रखा गया ग्लास हाऊस। इसी जगह पंचशील समझौता हुआ था। जागरण

    पंडित नेहरू ने ही किया था पंचशील शब्द का चयन

    आपसी संबंधों को मधुर बनाने के मद्देनजर ही दोनों देशों के बीच पंचशील समझौता भाखड़ा ब्यास प्रबंध बोर्ड के ऐतिहासिक विश्राम गृह सतलुज सदन में बने ग्लास हाउस में हुआ था। समझौते में यह तय हुआ था कि दोनों देश एक-दूसरे के विरुद्ध कोई आक्रामक कार्रवाई नहीं करेंगे। समझौते के बाद ही 'हिंदी चीनी भाई-भाई' का नारा लगा था। बौद्ध अभिलेखों से ही पंचशील शब्द का चयन पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था हत्या व चोरी न करना, व्यभिचार न करना, असत्य न बोलना तथा मदिरापान न करना ही पंचशील शब्द की परिभाषा है।

    यह है पंचशील समझौता

    1- शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की नीति में विश्वास रखना। 2-एक-दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करना 3-एक-दूसरे के विरुद्ध आक्रामक कार्रवाई न करना। 4-एक-दूसरे के आंतरिक विषयों में हस्तक्षेप न करना 5-समानता और परस्पर लाभ की नीति का पालन करना