आनंदपुर साहिब में गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहीदी पर लाखों की भीड़, उठी बंदी सिंहों को रिहा करने की मांग
श्री आनंदपुर साहिब में गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी शताब्दी पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़ग ने बंदी सिंहों की रिहाई का मुद्दा उठाया और सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की। उन्होंने पंजाब सरकार पर भी लापरवाही का आरोप लगाया। कार्यक्रम में धार्मिक उत्साह छाया रहा और बंदी सिंहों की रिहाई की मांग गूंजती रही।

गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी शताब्दी की श्री आनंदपुर साहिब में श्रद्धालुओं की भारी आमद रही (फाइल फोटो)
सुभाष शर्मा, श्री आनंदपुर साहिब। गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी शताब्दी की श्री आनंदपुर साहिब में श्रद्धालुओं की भारी आमद रही व धार्मिक माहौल बेहद भावुक दिखाई दिया।
इसी दौरान सिख उच्च शख्सियतों ने एक बार फिर बंदी सिंहों की रिहाई का मुद्दा जोरशोर से उठाया व सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब बंदी सिंहों को आज़ादी मिलेगी।
गुरुद्वारा शीशगंज साहिब में आयोजित विशाल दीवान सभा में अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने संगत को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए थे व ऐसे पावन अवसर पर सरकार को उन बंदी सिंहों की रिहाई पर तुरंत कदम उठाने चाहिए, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है लेकिन फिर भी जेलों में बंद हैं।
उन्होंने प्रश्न उठाया कि जब राजीव गांधी हत्या मामले में दोषियों को रिहा किया जा सकता है तो अपनी सजा पूरी कर चुके सिख कैदियों को क्यों नहीं छोड़ा जा रहा।
जत्थेदार ने पंजाब सरकार व आप राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को भी कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि दोनों ही सरकारें इस मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखा रही हैं।
उन्होंने कहा कि यदि केंद्र व पंजाब सरकार सचमुच गुरु तेग बहादुर जी के प्रति सम्मान प्रकट करना चाहती हैं तो उन्हें पहले बंदी सिंहों की रिहाई सुनिश्चित करनी चाहिए। उनके इन शब्दों पर संगत ने भी ' बोले सो निहाल सत श्री अकाल के जय घोष' लगाकर जोरदार समर्थन जताया।
इससे पहले गुरुद्वारा शीशगंज साहिब में अमृत संचार कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं विशेषकर युवाओं ने हिस्सा लिया।
एसजीपीसी की धरम प्रचार कमेटी ने मौके पर सिख इतिहास व शिक्षाओं से संबंधित साहित्य वितरित किया व युवाओं को असली सिख स्वरूप अपनाने का आह्वान किया। धाड़ी जत्थों ने वीरता व बलिदान की ऐतिहासिक कथाओं का गायन किया जिससे वातावरण और अधिक भावुक हो गया।
उधर मुख्य कार्यक्रमों से पहले ही आनंदपुर साहिब में श्रद्धालुओं की अब तक की सबसे अधिक भीड़ उमड़ी। तख्त श्री केसगढ़ साहिब व गुरुद्वारा शीशगंज साहिब की ओर जाने वाले मार्ग भक्तों से खचाखच भरे दिखाई दिए व यातायात धीमा पड़ गया। देशभर से आए परिवार, युवा व बुजुर्ग पैदल ही गुरुद्वारों की ओर बढ़ते नजर आए।
तख्त श्री केसगढ़ साहिब के बाहर एसजीपीसी द्वारा लगाई गई विशेष प्रदर्शनी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रही। गुरु गोबिंद सिंह जी से जुड़े शस्त्रों की प्रतिकृतियों जैसे तलवारें, बरछे व ढालों से सुसज्जित विशेष बस के बाहर भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं।
शहर में धार्मिक उत्साह चरम पर है व हर तरफ आध्यात्मिक ऊर्जा का माहौल महसूस किया जा रहा है। गुरु तेग बहादुर जी की शहादी शताब्दी की पूर्व संध्या जहां श्रद्धा व स्मरण का अवसर बनी, वहीं यह मंच सिख नेतृत्व द्वारा उनकी लंबे समय से उठाई जा रही मानवतावादी व राजनीतिक मांगों को फिर से बुलंद करने का माध्यम भी बन गया है।
आनंदपुर साहिब में संगत का सैलाब बढ़ता जा रहा है, बंदी सिंहों की रिहाई की मांग पूरे आयोजन में लगातार गूंजत रही है।

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