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    दूसरों का नुकसान कर अपना भला न सोचें

    By Edited By:
    Updated: Sat, 16 Jun 2012 05:19 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, नंगल

    नवल जी कुटिया आश्रम में विश्वास्तिक मंडल की ओर से शनिवार को कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें स्वामी ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा कि धर्म से गिर जाने के कारण ही इतनी कृपा के बावजूद संतानें दुखी है, जीवात्मा दुखी है, क्योंकि धर्म के पालन में ही सुख व अधर्म से ही दुख होता है। अपने धर्म में स्थित पुत्र या पुत्री कभी दुखी-दरिद्र, रोगी व अल्पायु नहीं होते। चारों पुरुषार्थ-धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष और स्वयं परमात्मा भी माता-पिता की सेवा करने वाले पुत्र की सेवा में लगे रहते है।

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    पूज्यश्री ने कहा कि आज भौतिकवादी संसार में हर प्राणी केवल मात्र धन कमाने की होड़ में लगा हुआ है, जबकि वास्तविकता यह है कि प्रभु की कृपा व मन की शांति धन से नहीं, बल्कि धर्म मार्ग पर चलने से ही मिलेगी। उन्होंने भक्तों से कहा कि दूसरों का नुकसान कर अपना भला करने की न सोचें। यही प्रयास करें कि सकारात्मक विचारों से समाज में हर किसी के काम आ सकें।

    स्वामी जी ने कहा कि हमारा संबंध तो ईश्वर के साथ है संसार के साथ नहीं, क्योंकि वही संपूर्ण विश्व के मालिक है। हमें झूठ सच तथा सच मिथ्या नजर आता है। जिस प्रकार मधुमक्खी शहद इकट्ठा करके भी भूखी रहती है इसी प्रकार ही जीव भटकता है। जिस प्राणी का ईश्वर के साथ संबंध है, उसका संसार के साथ नहीं। जिसे मृत्यु की ¨चता है, उसी के कदम ईश्वर प्राप्ति की ओर बढ़ सकेंगे। अहंकार, क्रोध, मोह, लोभ व काम हमारे शत्रु है तथा यही हमारे विनाश का कारण बनते है।

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