नवल जी कुटिया आश्रम बन चुका है दिव्य शक्ति का केंद्र
सुभाष शर्मा, नंगल : ऋषि-मुनियों की तप स्थली नंगल के सतलुज दरिया के तटवर्ती स्थित श्री नवल जी की कुटिया आश्रम आलौकिक दिव्य आनंद का केंद्र बन चुका है। पूज्य श्री नवल जी महाराज बचपन से ही अध्यात्मवाद प्रवृत्ति के थे। आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी नवल जी महाराज का अखण्ड भारत के गांव घुमाण (लाहौर पाकिस्तान) में वर्ष 1921 में श्री विशन दास जोशी के घर में जन्म हुआ। उन्होंने वर्ष 1953 में सच्चा बाबा की प्रेरणा स्वरूप इलाहाबाद से आडिटर जनरल की नौकरी तथा अपने गृहस्थ आश्रम को त्याग दिया। दुर्गा मां के पुजारी तथा मां आदि शक्ति के दिव्य दर्शन के उपरांत वे यहां ऐतिहासिक धरती सतलुज के तटवर्ती वर्ष 1970 में तपस्या में लीन हो गए। विष्णु महायज्ञ का आयोजन करने के उपरांत यहां वे लगातार 28 वर्ष तक एक साधारण कुटिया बना कर तपस्या करते रहे। उन्होंने जनमानस का अध्यात्मिक मार्गदर्शन करने के साथ-साथ क्षेत्र में पहली बार विद्या प्रसार के उद्देश्य से श्री विष्णु सनातन धर्म कालेज भटोली का शुभारम्भ किया। अचानक 18 जून, 1999 को वे किडनी की बीमारी से पीड़ित हो लुधियाना जाते-जाते प्रभु चरणों में विलीन हो गए।
पूज्य श्री की छोटी सी कुटिया आज अगाध श्रद्घा का केन्द्र बन कर एक आश्रम का रूप धारण कर तीन एकड़ में फैल चुकी है, जहां समय-समय पर भव्य धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जाने के साथ-साथ औषद्यालय, गौ-शाला, यज्ञ शाला जैसे संस्कारित कार्यक्रम चलाए जा रहे है। प्रतिवर्ष यहां बसंत पंचमी तथा पूज्य श्री के स्मृति दिवस 18 जून को भव्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इन भव्य कार्यक्रमों में देश के महान साधू-संत व दिव्य शख्शियतें पधार कर प्राणी मात्र का मार्गदर्शन करती है।
पूज्य श्री की प्रेरणा से बद्री नाथ धाम में अन्न क्षेत्र, वृंदावन में भगवत विद्यालय तथा हरिद्वार में सच्चा निकेतन आश्रम आदि संस्थानों के माध्यम से प्राणी मात्र का उचित मार्गदर्शन व सेवा की जा रही है। नंगल के इस आलौकिक स्थल में श्रद्घालुओं के लिए आवास व लंगर की नि:शुल्क व्यवस्था की गई है तथा प्रतिदिन हवन-यज्ञ में शामिल होकर भक्तजन स्वयं को धन्य बना रहे है।
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पुण्यतिथि को समर्पित कार्यक्रम आज
नंगल: ब्रह्मलीन स्वामी नवल जी महाराज की पुण्यतिथि को समर्पित 8 दिवसीय भव्य धार्मिक कार्यक्रम आज मंगलवार को संपन्न होगा। स्वामी बसंत ब्रह्मचारी जी ने बताया कि सुबह 6 बजे समाधि पूजन के बाद 8 बजे वेद मंत्रोच्चारण के बीच हवन यज्ञ में पूर्णाहुति डाली जाएगी। सुबह 11 बजे संत सम्मेलन में संतजन प्राणी मात्र का आध्यात्मिक मार्गदर्शन करेंगे। इसके बाद दोपहर एक बजे अटूट भंडारा वितरित किया जाएगा।
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