माता कौशल्या अस्पताल में स्किन स्पेशलिस्ट नहीं, गायनी डाक्टरों की भी कमी
माता कौशल्या अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को इलाज शुरू करवाने से पहले घंटों कतारों में लगकर इंतजार करना पड़ता है फिर कहीं जाकर डाक्टर की सला ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पटियाला : माता कौशल्या अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को इलाज शुरू करवाने से पहले घंटों कतारों में लगकर इंतजार करना पड़ता है फिर कहीं जाकर डाक्टर की सलाह मिलती है। मरीजों को पहले पर्ची बनवाने के लिए लंबी कतार में लगना पड़ता है और जब पर्ची बन जाए तो फिर डाक्टर को दिखाने के लिए उनके कमरों के बाहर लाइनों में लगना पड़ता है। इस व्यवस्था का न तो सिविल सर्जन आफिस कोई उचित हल निकाल रहा है और न ही अस्पताल प्रशासन इस मसले पर गौर फरमा रहा है। अस्पताल में पर्ची बनवाने के लिए अस्पताल में पांच काउंटर हैं। दो काउंटरों पर महिलाएं व पुरुष पर्ची बनवाते हैं। एक पर सीनियर सिटीजन व दिव्यांग लोग, चौथे पर दाखिला फाइल की फीस जमा होती है और पांचवें पर टेस्ट की फीस जमा होती है। पुरानी पर्ची पर स्टैंप लगवाने के लिए अलग काउंटर बनाया गया है लेकिन फिर भी महिला व पुरुष की कतार में लोगों को इंतजार करना पड़ता है। अस्पताल में घड़ाम से आए बुजुर्ग कुलविदर सिंह ने कहा कि वो सुबह 11 बजे अस्पताल में आया है और आधे घंटे से उसके परिवार का सदस्य पर्ची की लाइन में ही लगा हुआ है।
इसके अलावा अस्पताल में स्किन स्पेशलिस्ट डाक्टर की लंबे समय से कमी चल रही है। वहीं, मेडिसन के डाक्टर अधिक हैं। कोविड के कारण अस्पताल में मेडिसन के डाक्टर अस्पताल में चार तैनात किए गए थे लेकिन अब कोविड के मरीजों की कमी है तो यहां पर मेडिसन के डाक्टर अधिक हैं। बात करें गायनी के डाक्टरों की तो यहां पर तीन डाक्टर हैं और फिलहाल तीन डाक्टरों की कमी है। यहां पर अधिकतर मरीज गर्भवती महिलाएं अधिक आती हैं तो उनके लिए गायनी की डाक्टरों की कमी के कारण वे कतारों में लगती हैं। 1500 की ओपीडी, अधिकतर संख्या गर्भवतियों की
माता कौशल्या अस्पताल में रोजाना करीब 1500 की ओपीडी है। आम लोगों के लिए पर्ची काउंटर कम होने के कारण काफी समय तक लंबी कतार में लगना पड़ता है। रोजाना साढ़े आठ बजे पर्ची बननी शुरू होती है जो तीन बजे तक बनती है। सुबह जल्दी आने के बाद भी मरीजों की 12 बजे तक कतारें लगती हैं। उसके बाद फिर उनको डाक्टर को चेकअप के लिए लाइन में लगना पड़ता है। जब डाक्टर कोई टेस्ट लिख दे तो टेस्ट के लिए 12 बजे के बाद वहां पर सैंपल लेना बंद हो जाता है। फिर मरीजों को बाहर से टेस्ट करवाने के लिए जाना पड़ता है अथवा अस्पताल के भीतर खुली लैब (जहां पर कम दाम में टेस्ट होते हैं) में टेस्ट करवाने पड़ते हैं। लेकिन गरीब लोग तो फ्री में टेस्ट करवाने को तरजीह देते हैं। यह बात पहले मेरे ध्यान में नहीं थी। अब मामला ध्यान में लाया गया है तो अस्पताल के अधिकारियों के साथ बातचीत करके मरीजों की समस्या का समाधान करवाया जाएगा। रही बात डाक्टरों की कमी अथवा अधिक होने की तो मैं इस संबंध में प्रदेश के सेहत मंत्री से बात करूंगा।
अजीतपाल कोहली, विधायक

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