राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कवियों ने पेश की अपनी रचनाएं
साहित्य कलश पत्रिका एवं पब्लिकेशन द्वारा कवि प्रोमिला गौतम द्वारा लिखी पुस्तक मेरा दर्द मेरा साथी का विमोचन एवं राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गय ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पटियाला : साहित्य कलश पत्रिका एवं पब्लिकेशन द्वारा कवि प्रोमिला गौतम द्वारा लिखी पुस्तक 'मेरा दर्द मेरा साथी' का विमोचन एवं राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रिंसिपल विवेक तिवारी एवं विशेष अतिथि के तौर पर डा. नीरज भारद्वाज, बांका बहादुर अरोड़ा, प्रो. सुभाष शर्मा, ऋषि रविदर रवि, आरडी जिदल, इंद्रजीत चोपड़ा, दिनेश कुमार सूद ने शिरकत की। कवि सम्मेलन में पंजाब के अलग-अलग शहरों से सौ से ज्यादा साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर प्रि. विवेक तिवारी ने साहित्य कलश परिवार को यह आश्वासन दिया कि उनका समर्थन और समुचित योगदान साहित्य कलश परिवार को मिलता रहेगा क्योंकि साहित्य कलश मंच विद्यार्थियों को निरंतर मार्गदर्शन दे रहा है। डा. नीरज भारद्वाज ने कहा कि हम सबको मिलकर साहित्य कलश के साथ इस साहित्य की मुहिम को हर घर तक पहुचाना चाहिए।
साहित्य कलश पब्लिकेशन के संस्थापक सागर सूद ने बताया कि प्रोमिला गौतम द्वारा लिखी पुस्तक में कवि ने अपनी जिदगी के खट्टे मीठे अनुभवों को साझा किया है। इस दौरान काव्य गोष्ठि का शुभारंभ वरिंदरजीत कौर ने सरस्वती वंदना गायन से किया। डा. इंद्रपाल कौर ने धरती, औरत और फूल कविता पेश की। मिहाशा कपूर ने मयखाना तथा हरदीप कौर ने वीरां दा मान कविता पेश की। मनजीत कौर ने जहां मिट्टी के महत्व को दर्शाती कविता मिट्टी करे पुकार पेश की वहीं संजय दर्दी ने गजल 'यूं हुआ उसकी निगाहों का असर' पेश की। छात्रा सिमरन ने 'सपनों की पतंग' तथा नवदीव ने आधुनिक समय में लड़कियों के बुलंद हौसलों तथा आगे बढ़ने की ललक से परिचय करवाया। हतीक्षा ने कविता खुदा का रोल' तथा अकांक्षा ने कृष्णा भजन सुनाया।
अमरेंद्र जैन ने कविता 'आह' पेश की। ब्रजेंद्र ठाकुर के हास्यरस से भरी कविताएं सुनाईं। पुनीत गोयल ने 'खुद के लिए' एवं संदीप सिंह ने 'बच्चों के झूले' तथा अभिषेक शमर ने 'अगर मैं पंछी होता' कविता पेश की। बलविदर भट्टी तथा गुरदर्शन गुसील ने कुटिल राजनीति पर वार करतीं कविताएं सुनाई। शीतल खन्ना ने 'दुनिया में मुहब्बत की बस इतनी सी कहानी है' पेश की। कुलदीप धंजू ने 'मेरे भारत की मिट्टी की खुशबू चंदन सी महका करती है.पेश की। बलजिदर सरोए ने जिन्दगी बहुत कुछ सिखाती है.कविता सुनाई।
मुख्य अतिथियों में शामिल रविदर रवि, आरडी जिदल ने शायरी के रंग बिखेरे। प्रो. सुभाष शर्मा ने अपनी खूबसूरत आवाज में अपनी रचना 'मेरी जिन्दगी की किताब है इसे रफ्ता रफ्ता पढ़ो जरा' प्रस्तुत की। कवि सरिता नौहरिया ने 'जिदगी में क्या खोया, क्या पाया' कविता पेश की। डा. पूनम गुप्त ने 'इतना सताना भी अच्छा नहीं' व हरीदत्त हबीब ने अपनी सुरीली आवाज में 'सफर मुश्किल सही, पीछे कभी मुड़कर नहीं देखा तरन्नुम में पेश की। बांका बहादुर अरोड़ा ने नारी महत्व को दर्शाती कविता 'क्रांति' पेश की।

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