पटियाला: पंजाबी यूनिवर्सिटी में कोन्ट्रैक्ट शिक्षकों का शिक्षक विभाग पर लीगल वार, क्यों लगाया संविधान उल्लंघन का आरोप?
पटियाला में पंजाबी यूनिवर्सिटी के कोन्ट्रैक्ट अध्यापकों ने यूनिवर्सिटी और उच्च शिक्षा विभाग को लीगल नोटिस भेजा है। यह नोटिस संवैधानिक अधिकारों और यूजीसी नियमों के उल्लंघन के आरोप में भेजा गया है। अध्यापकों की मांग है कि उन्हें नियमित किया जाए और सातवें वेतन आयोग के लाभ दिए जाएं। नोटिस में कहा गया है कि यूनिवर्सिटी का व्यवहार संविधान का उल्लंघन है। ऐसा न होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।

पंजाबी यूनिवर्सिटी और उच्च शिक्षा विभाग को लीगल नोटिस (फोटो: जागरण)
जागरण संवाददाता, पटियाला। पंजाबी यूनिवर्सिटी में कांट्रैक्ट पर काम कर रहे अध्यापकों ने पंजाबी यूनिवर्सिटी और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों को संविधान और यूजीसी की विभिन्न धाराओं के उल्लंघन के संबंध में लीगल नोटिस जारी किया है।
यूनिवर्सिटी के कांट्रैक्ट असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियमित नियुक्ति और सातवें वेतन आयोग के लाभों की मांग को लेकर यह कानूनी नोटिस भेजा गया है। यह नोटिस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर, डीन अकादमिक, रजिस्ट्रार, डायरेक्टर (कॉलेजिज) और पंजाब सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को भेजा गया है।
नोटिस में दलील दी गई है कि यूनिवर्सिटी द्वारा कांट्रैक्ट असिस्टेंट प्रोफेसरों के साथ किया जा रहा व्यवहार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 16, 21 और 39(डी) का उल्लंघन है।
साथ ही यूजीसी रेगुलेशन 2018 (क्लाज़ 13) का भी स्पष्ट रूप से उल्लंघन बताया गया है। नोटिस के अनुसार, प्रोफेसर पिछले 10 से 14 वर्षों से लगातार बिना किसी अवरोध के सेवा दे रहे हैं। उनकी नियुक्ति विज्ञापन और इंटरव्यू प्रक्रिया के माध्यम से की गई थी।
वे सभी यूजीसी के नियमों के अनुसार योग्य (नेट या पीएचडी) हैं और नियमित अध्यापकों की तरह ही अकादमिक और प्रशासनिक कार्य कर रहे हैं। नोटिस में मांग की गई है कि यूनिवर्सिटी और पंजाब सरकार 30 दिनों के भीतर नियमित नियुक्ति का आदेश जारी करें, अन्यथा कांट्रैक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर करेंगे।
पंजाबी यूनिवर्सिटी के कांट्रैक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर डा. रविंदर सिंह, रमनप्रीत सिंह और अन्य ने कहा कि यूनिवर्सिटी में एक दशक से भी अधिक समय से बिना किसी ब्रेक के कांट्रैक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत हैं।
सभी अध्यापक यूजीसी नियमों के अनुसार विज्ञापन, स्क्रीनिंग और चयन समिति इंटरव्यू प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए थे। फिर भी, उन्हें सातवें वेतन आयोग के लाभ नहीं दिए गए।
पंजाबी यूनिवर्सिटी के 2025-26 बजट के अनुसार कुल 1,110 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों में से केवल 376 भरे हुए हैं, जबकि 734 पद अब भी खाली हैं, जिससे अकादमिक कार्य और विद्यार्थियों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।
नोटिस में कहा गया है कि यूनिवर्सिटी ने 2023 में कांट्रैक्ट अध्यापकों का वेतन छठे वेतन आयोग के अनुसार 15,600 रुपये, 6,000 रुपये ग्रेड-पे तथा अन्य भत्तों के साथ तय किया था, परंतु सातवें वेतन आयोग के लाभ अब तक नहीं दिए गए। इसे संविधान का स्पष्ट उल्लंघन बताया गया है।
एडवोकेट ऋषभ कंबोज के अनुसार, नोटिस में सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णयों का उल्लेख किया गया है, जैसे जहां अध्यापकों को सम्मानजनक वेतन देना संवैधानिक जिम्मेदारी बताया गया।
वहीं लंबे समय से कांट्रैक्ट पर कार्यरत शिक्षकों की नियमित नियुक्ति का आदेश भी पूर्व में एक कोर्ट केस में दिया जा चुका है। बताया गया है कि नमिता खरे बनाम यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली (2025) केस में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि लगातार सेवा कर रहे कांट्रैक्ट अध्यापकों को नियमित न करना अनुचित है।

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